Trending Photos
Spending Time In Toilet: बाथरूम जाने का मुख्य कारण तो नहाना, धोना और दूसरे जरूरी काम करना होता है, लेकिन आजकल बहुत से लोग मुश्किल समय में बाथरूम को अपने लिए एक शांत जगह समझने लगे हैं. आप चाहे तो सिर्फ टॉयलेट के लिए जाएं, अपना रोज का स्किनकेयर रूटीन पूरा करें, रोएं, शैंपू की बोतल को माइक बनाकर गाएं, अपने मन के ख्याल बुने, या फिर कपड़े धो लें. असल में, बाथरूम में आप वो बन सकते हैं जो आप बनना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें: जॉब नहीं मिल रही थी तो टी-शर्ट पर ही छपवा लिया RESUME, फिर जगह-जगह करने लगा ऐसी हरकतें
पर फिर भी, एक अजीब सी बात है कि ज्यादातर लोग अब बाथरूम में ज़्यादा समय बिताने लगे हैं. बाथरूम में ज़्यादा समय बिताने का कारण जानने के लिए बाथरूम बनाने वाली कंपनी विलेरॉय एंड बॉश ने एक रिसर्च किया. इस रिसर्च में 2,000 से ज़्यादा लोगों को शामिल किया गया. नतीजों में पता चला कि ज़्यादातर लोग, खासकर युवा, सुकून के लिए बाथरूम का इस्तेमाल करने लगे हैं. 43% लोगों ने बताया कि वो शांति और अकेलेपन के लिए बाथरूम में समय बिताना पसंद करते हैं. वहीं 13% लोगों ने बताया कि वो अपने पार्टनर से थोड़ा समय अकेले रहने के लिए बाथरूम जाते हैं.
स्टडी की माने तो एक औसत ब्रिटिश व्यक्ति हफ्ते में 1 घंटा 54 मिनट यानी हर महीने लगभग एक वर्किंग टाइम शौचालय में बिताता है. हालांकि, उम्र के हर वर्ग में पुरुष महिलाओं से आगे निकल रहे हैं. पुरुष औसतन दो घंटे (लगभग 20 मिनट रोजाना) जबकि महिलाएं डेढ़ घंटा (लगभग 15 मिनट रोजाना) शौचालय में बिताती हैं. भले ही कुछ लोगों को पता न हो कि वे तनाव कम करने के लिए शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन लंबे समय तक शौचालय में रहने से मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
यह भी पढ़ें: हाइवे पर लड़कियों ने चलाई लापरवाही से थार, यूपी पुलिस ने कहा- गाजियाबाद टीम, जरा देखना...
मनोचिकित्सक जॉर्जिना स्टर्मर ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर काउंसलिंग एंड साइकोथेरेपी की सदस्य हैं. उन्होंने बताया था कि बहुत से लोग बाथरूम को शरणस्थल क्यों मानते हैं. स्टर्मर ने यह भी बताया कि जब जिंदगी बहुत व्यस्त और डिमांड वाली हो जाती है, तो हर किसी को उससे निपटने के तरीकों की जरूरत होती है. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि शौचालय का इस्तेमाल करना सामाजिक रूप से हमेशा स्वीकार्य होता है.