Haunted Place: भारत के अलग-अलग राज्यों में कई हॉन्टेड प्लेस हैं. इनको लेकर कई तरह की हॉरर कहानियां भी मशहूर हैं. ऐसी ही एक जगह है उत्तराखंड के चम्पावत में सुंदर वादियों में स्थित एक बंगला. इसे अब भूतिया बंगला के नाम से जाना जाता है. इससे जुड़ी कहानी काफी दिलचस्प है.
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Mysterious Place: पहाड़ों में अक्सर भूत-प्रेत व आत्माओं की कहानी सुनने को मिलती है. एक तो पहाड़ों कि आबादी इतनी घनी नहीं होती और लोग भी कहीं न कहीं थोड़ी दूर-दूर फैले होते हैं और रात के वक़्त पहाड़ों में पसरा सन्नाटा हमें ये सोचने को मजबूर कर देता है कि यहां कुछ है. बहरहाल आज की हमारी कहानी भारत के उत्तराखंड के एक छोटे से इलाके एबट माउंट (Mount Abbot) की है जहां 100 साल से भी ज़्यादा पुराना एक abandoned अस्पताल है. इसके पास डॉक्टरों के लिए बंगला या स्टाफ क्वॉर्टर भी बना हुआ है. इसमें उस वक्त ब्रिटिशर अपने परिवार के साथ रहते थे, लेकिन अचानक एक दिन इस अस्पताल में ऐसा क्या हुआ कि, उसके बाद से लोगों ने यहां आना बंद कर दिया और धीरे धीरे यह एक Haunted Hospital के नाम से जाना जाने लगा.
उत्तराखंड के चम्पावत ज़िले में एक जगह है जिसका नाम एबट माउंट (Mount Abbot) है। Abbot एक अंग्रेज का नाम था और उसी के नाम से इस जगह को भी पहचान मिली. यह सन 1900 की बात है, उस वक़्त एक अंग्रेज यहां आता है. यहां आसपास के खूबसूरत नज़ारे, पहाड़, हरियाली उसका मन मोह लेती है और वह अपने परिवार के साथ यहीं पर एक बंगला बना कर रहने लगता है. आप को बता दें कि इसी इलाके आसपास मशहूर शिकारी Jim Corbett ने एक बाघ का शिकार किया था और इसलिए भी ये इलाका काफी मशहूर है. इस इलाके में गुलदार का भी आतंक है. Abbot ने लंदन जाने से पहले यहां बने बंगले को एक चैरिटेबल हॉस्पिटल के नाम कर दिया. उसकी तमन्ना थी की यहां एक अच्छा हॉस्पिटल बने ताकि आसपास के पहाड़ी लोगों का इलाज हो सके. इस हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज, अच्छे डॉक्टर, दवाइयां और तमाम सुविधाएं थीं.
कई साल बीतते चले गए, अस्पताल चलता गया. यहां नए डॉक्टर आते रहे और पुराने जाते रहे. इसी क्रम में यहां मोरिस नाम के एक डॉक्टर परिवार के साथ आते हैं. उनकी डॉक्टरी काफी मशहूर थी. वह किसी भी मरीज़ को ठीक कर देते थे. लोग उनको भगवान या जादूगर मानने लगे. शुरुआत के कुछ महीनों तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक से डॉक्टर मोरिस की भविष्यवाणी मशहूर होने लगी. एक समय ऐसा आया कि डॉक्टर मोरिस मरीज़ों को देख भविष्यवाणी कर देते कि उसकी मौत इस तारीख को इतने बजे हो जाएगी और होता भी बिल्कुल वैसा ही था. गांव के लोग भोले भाले थे और अंधविश्वासी भी. उन्हें भी डॉक्टर मोरिस की बातों पर आंख बंद करके भरोसा होने लगा. कहा जाता है कि ऐसी 100 से ज़्यादा मौतें हकीकत में उसी टाइम पर उसी दिन हुईं, जो डॉक्टर मोरिस ने बताईं थीं. उस दौर में यह सब घटनाएं ज़्यादा बाहर नहीं आईं क्योंकि तब इतने साधन नहीं थे कि इन दावों की जांच हो सके. इसके अलावा उस वक्त मीडिया भी उतना नहीं था. लोगों ने डॉक्टर मोरिस को आपार शक्तियों का स्वामी मान लिया.
धीरे-धीरे समय बीतता गया और अचानक एक दिन डॉक्टर मोरिस की पत्नी और बच्चे की मौत हो गई. इसके कुछ दिन बाद डॉक्टर मोरिस की भी मौत हो गई. उस बंगले के पास मौजूद एक चर्च के करीब एक कब्रिस्तान भी है. डॉ मोरिस के पूरे परिवार को उसी में दफनाया गया. उस चर्च में लोगों का आना-जाना भी रहता था. डॉक्टर मोरिस की मौत के बाद उस जगह पर जब दूसरे डॉक्टर आए तो धीरे-धीरे डॉक्टर मोरिस के भविष्यवाणी वाले राज से पर्दा उठने लगा. गांव वालो ने जब नए डॉक्टरों को डॉ. मोरिस के बारे में बताया कि वो ऐसे-ऐसे भविष्यवाणी करते थे तो डॉक्टरों को भी अजीब लगा क्योंकि कोई भी डॉक्टर मरीज़ की मौत की एकदम सटिक भविष्यवाणी नहीं कर सकता है. यह असंभव है. ऐसे में नए डॉक्टरों ने इसकी छानबीन शुरू की.
सबसे पहली छानबीन में यह पता चला कि डॉक्टर मोरिस दिन में 10-15 मरीज़ देखते थे और इननमें कोई एक मरीज़ जिसकी हालत सबसे ज़्यादा ख़राब होती थी उसके बारे में मोरिस भविष्यवाणी करते थे. मोरिस की भविष्यवाणी के साथ ही उस मरीज़ को उठाकर उसी हॉस्पिटल के एक ऐसे कमरे में रख दिया जाता था, जिसमें सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर मोरिस को जाने की इजाज़त थी. उस कमरे में जाने वाला कोई भी मरीज जिंदा बाहर नहीं आया था. बाद में जब पूरी सच्चाई बाहर आई तो पता चला की डॉक्टर मोरिस ने जो भी कहा, जो भी भविष्यवाणी की वो सब उन्हीं का रचाया हुआ था और हर मरीज़ की मौत के लिए वह खुद ज़िम्मेदार होते थे.
कहा जाता हैं की डॉ मोरिस एक बेहद काबिल और महत्वकांशी डॉक्टर थे. वह मेडिकल फील्ड में काफी आगे जाना चाहते थे. वह हमेशा यह सोचते या रिसर्च करते कि इंसान का दिल धड़कता कैसे है, इंसान का दिमाग सोचता कैसे है, क्यों इंसान के दिमाग अलग-अलग होते हैं और वो क्यों एक सा नहीं सोचते? इस तरह के सवाल डॉ. मोरिस के ज़हन में रहते थे. उनके इन्हीं बेतुके रिसर्च की वजह से मरीज़ की जान चली जाती थी. डॉ मोरिस जब मरीज़ की मौत की तारीख और समय बताते थे तो उसे अपनी एक डायरी में नोट करते और ठीक उसी समय वह उस मरीज़ को मार डालते और बाद में कमरे से सिर्फ लाश निकलती. जब डॉ. मोरिस की हरकत का खुलासा हुआ तो लोगों ने उन्हें Dr death बुलाना शुरू कर दिया. आज भी वो जगह डॉक्टर डेथ के बंगले के नाम से ही जाना जाता है.
धीरे-धीरे लोगों ने इस अस्पताल में आना बंद कर दिया और दूसरे अस्पतालों की ओर रुख करने लगे. नए डॉक्टरों के आने के बाद भी लोग वहां जाने से बचने लगे. इस हॉस्पिटल को लेकर लोगो ने कई तरह की बातें भी शुरू कर दीं. लोग कहने लगे कि अस्पताल से रात को चीखें निकलती हैं. अजीब-अजीब परछाइयां दिखती हैं. लोगों के रोने की आवाज़ें आती हैं. बाद में अस्पताल को भूतिया घोषित कर दिया गया. इसके बाद लोगों ने अस्पताल के पास मौजूद चर्च और कब्रिस्तान में भी जाना छोड़ दिय. वर्ष 2022 में भी वो बंगला मौजूद है और आज भी लोग उससे दूर रहते हैं. बाद में इस जगह को बेचने की भी कोशिश की गई लेकिन डर के मारे किसी की हिम्मत इसे खरीदने की नहीं हुई.
इस बंगले को लेकर काफी सारे youtubers और न्यूज़ चैनल्स ने भी रिसर्च किया है लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा. अगर आप भी इस डॉ. डेथ के बंगले की झलक पाना चाहते हैं तो चम्पावत के लोहाघाट के पास mount abbot ज़रूर आइए.