Trending Photos
Indonesia Island: इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर 2003 में प्राप्त हड्डियों से एक ऐसी प्रजाति के अस्तित्व का पता चला था, जो बंदर जैसे आकार के इंसानों की हो सकती है. इन इंसानों को "हॉबिट्स" के रूप में वर्णित किया गया है, जैसे कि "लॉर्ड ऑफ द रिंग्स" के कैरेक्टर. अब एक विशेषज्ञ का दावा है कि इस प्राचीन प्रजाति के जीवित सदस्य अभी भी हमारे बीच हो सकते हैं.
हॉबिट्स जैसे छोटे इंसान 'होमो फ्लोरेसिएन्सिस'
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रजाति, जिसे "होमो फ्लोरेसिएन्सिस" कहा गया है, एक बहुत छोटे आकार के इंसान थे जो लगभग 12,000 साल पहले तक अस्तित्व में थे. इनके अस्तित्व के प्रमाण फ्लोरेस द्वीप पर 2003 में मिले फॉसिल्स से मिले थे. लेकिन अब एक और चौंकाने वाला दावा सामने आया है कि ये छोटे इंसान आज भी जीवित हो सकते हैं.
प्रोफेसर ग्रेगरी फोर्थ, जो कि अल्बर्टा विश्वविद्यालय में मानवविज्ञान के पूर्व प्रोफेसर हैं, उन्होंने इस बारे में गहरा अध्ययन किया है. उन्होंने 1980 के दशक में फ्लोरेस द्वीप पर काम किया था और वहां के लियो जनजाति के लोगों से ऐसे छोटे बंदर जैसे प्राणियों के बारे में सुना था. इन प्राणियों को स्थानीय लोग "लाइ होआ" के नाम से जानते थे. दिलचस्प बात यह है कि इन लोककथाओं में बताई गई विशेषताएं बिल्कुल वैसी ही थीं जैसी होमो फ्लोरेसिएन्सिस की हड्डियों से मिली जानकारी में मिलीं.
प्रोफेसर का दावा: हो सकता है कि ये जीवित हों
प्रोफेसर फोर्थ ने कहा कि वह इस बारे में और अधिक जानकारी जुटा रहे थे, लेकिन जब फ्लोरेसिएन्सिस के फॉसिल्स का पता चला, तब उन्हें यकीन हुआ कि इन प्राचीन इंसानों की प्रजाति अभी भी जीवित हो सकती है. उन्होंने कहा, "जब ये रिपोर्ट्स सामने आईं, तो मैं बहुत हैरान हुआ. जो कुछ भी लोग बता रहे थे, जो पेलियोएंथ्रॉपोलॉजिस्ट्स वर्णन कर रहे थे, वो बिल्कुल वैसा ही था जैसा लियो लोगों ने मुझे पिछले साल बताया था."
फोर्थ का कहना है कि यह संयोग था कि उनके और पेलियोएंथ्रॉपोलॉजिस्ट्स द्वारा किए गए शोध एक ही समय पर सामने आए. स्थानीय लोग, जिन्होंने कभी इन छोटे प्राणियों को देखा था, वह भी यह मानते थे कि ये जीवित हो सकते हैं और उनका वर्णन बिल्कुल उसी तरह से था जैसा बाद में फॉसिल्स के अध्ययन में सामने आया.
नई शोध की दिशा
प्रोफेसर फोर्थ ने अपनी पुस्तक "बीट्वीन एपे एंड ह्यूमन: एन एंथ्रोपोलॉजिस्ट ऑन द ट्रेल ऑफ अ हिडन होमिनॉइड" में इस रहस्यमय प्रजाति के बारे में अपनी खोजों का विवरण दिया है. उनका मानना है कि अब इस प्रजाति के अस्तित्व का पता लगाना और भी जरूरी हो गया है, क्योंकि यह नई जानकारी हमारे इतिहास और विकास के बारे में महत्वपूर्ण सवालों का जवाब दे सकती है.