आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों को अलग-अलग समय की शिफ्ट वाली नौकरियां करनी पड़ती हैं. इसमें रात की शिफ्ट, सुबह जल्दी उठकर काम करना या फिर रोटेशनल शिफ्ट जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं.
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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों को अलग-अलग समय की शिफ्ट वाली नौकरियां करनी पड़ती हैं. इसमें रात की शिफ्ट, सुबह जल्दी उठकर काम करना या फिर रोटेशनल शिफ्ट (दिन-रात की बदलती शिफ्ट) जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं. हालांकि, इस तरह की अनियमित नींद और खान-पान की आदतें सेहत के लिए हानिकारक हो सकती हैं. हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया है कि शिफ्ट वाली नौकरियां टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती हैं.
यह अध्ययन अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है. शोधकर्ताओं ने दस सालों तक 2 लाख से अधिक लोगों पर अध्ययन किया. इनमें से कुछ लोग रेगुलर दिन के समय काम करते थे, जबकि कुछ लोग रात की पाली या रोटेशनल शिफ्ट में काम करते थे.
अध्ययन के दौरान पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से रात की पाली या रोटेशनल शिफ्ट में काम करते थे, उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 8% तक बढ़ गया था. वहीं, जिन लोगों ने अपने काम के दौरान शिफ्ट में बदलाव किया था, उनमें यह खतरा और भी ज्यादा (लगभग 16% तक) बढ़ गया था.
कैसे बढ़ता है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा?
शोधकर्ताओं का मानना है कि शिफ्ट वाली नौकरियां शरीर की आंतरिक घड़ी को बिगाड़ देती हैं. इससे शरीर का इंसुलिन बनाने का नेचुरल चक्र बाधित होता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, अनियमित नींद और खानपान की आदतें भी मोटापे का कारण बन सकती हैं, जो टाइप-2 डायबिटीज का एक मुख्य रिस्क फैक्टर है.
कैसे करें बचाव?
जहां तक हो सके, नियमित नींद लें. कोशिश करें कि रोजाना लगभग 7-8 घंटे की नींद पूरी करें.
हेल्दी भोजन करें. बैलेंस और पौष्टिक डाइट लें, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल हों.
नियमित व्यायाम करें. हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट मध्यम या 75 मिनट तेज व्यायाम करें.
प्रकाश का ध्यान रखें. जितना हो सके, दिन के उजाले में समय बिताएं. रात की शिफ्ट में काम करते समय, ऑफिस पर रोशनी का ध्यान रखें.
डॉक्टर से सलाह लें. अगर आपको टाइप-2 डायबिटीज का खतरा है या फिर इसके लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें.