Yogi Adityanath News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को विधानसभा के भीतर रौद्र रूप में नजर आए. संभल हिंसा में शामिल दंगाइयों को चेतावनी देते हुए योगी ने कहा कि 'याद रखना, जिसने पत्थरबाजी की होगी, जिसने माहौल खराब किया होगा, उसमें से एक भी बचने वाला नहीं है... एक भी नहीं बचेगा.' सीएम ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा, 'हम उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हैं, सम्मान भी करते हैं, लेकिन आप संविधान को मान रहे हो क्या?' योगी ने आगे कहा, ''बहराइच में राम गोपाल मिश्रा पर गोली घर के अंदर से चली, क्या भारत की धरती पर केसरिया झंडा नहीं लग सकता? क्यों नहीं लग सकता?' सीएम ने पूछा, 'शोभायात्रा पर ही क्यों पथराव होता है, मुस्लिम मोहल्ले और मस्जिद के सामने से कोई शोभायात्रा क्यों नहीं निकल सकती? मुस्लिम बस्तियों में ही दंगे क्यों होते हैं?' यूपी सीएम योगी ने कहा कि 'जय श्रीराम का नारा चिढ़ाने वाला नहीं.' पढ़िए योगी के भाषण की 5 बड़ी बातें.
- मस्जिद के सामने से शोभायात्रा क्यों नहीं निकल सकती? : योगी आदित्यनाथ ने बहराइच में हिंसा को याद करते हुए कहा, 'बहराइच का मामला... महराजगंज उस कस्बे का... जहां के बारे में आप कह रहे हैं कि मुस्लिम बस्ती थी... प्रशासन नहीं था? चार कंपनियां पुलिस थी वहां पर, दंगा सड़क पर नहीं हो रहा था, गोली घर के अंदर से चल रही थी... जिस निर्दोष रामगोपाल मिश्रा की हत्या हुई, घर के भीतर से गोली चलाकर उसकी निर्मम हत्या की गई... हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए. दंगा सड़क पर आमने-सामने नहीं था. अगर पुलिस घर के अंदर घुसती तो वो फिर कुछ और आरोप लगाते. पुलिस ने बचाव करने का प्रयास किया.' उन्होंने आगे कहा, 'मैं पूछना चाहता हूं कि हिंदू मोहल्ले से और हिंदू मंदिर के सामने से मुस्लिम जुलूस निकल सकता है तो मुस्लिम मोहल्ले और मस्जिद के सामने से कोई हिंदू शोभायात्रा क्यों नहीं निकल सकती? और यहीं पर विवाद होता है.'
- 'जय श्रीराम' का नारा सांप्रदायिक नहीं : योगी ने विपक्ष की ओर मुखातिब होकर कहा, 'आप पश्चिम में जाएंगे, आपके पूर्वज भी हो सकता है... और पश्चिम के सभी लोग सामान्य संबोधन में 'राम-राम' ही कहते थे, जय श्रीराम कहां से सांप्रदायिक संबोधन हो गया. हमारे यहां हम जपते हैं, 'हे राम' बोलते हैं, मिलते हैं 'राम-राम' का संबोधन होता है, और अंतिम यात्रा में विदा करते हैं तब भी 'राम नाम सत्य है' ही बोलते हैं... राम के बगैर तो हमारा कोई काम ही नहीं है. और अगर 'जय श्रीराम' किसी ने बोल ही दिया तो इसमें उत्तेजना का मतलब... ये नीयत आप समझ सकते हैं... ये चिढा़ने वाला नहीं है...'
- बाबरनामा का जिक्र, विष्णु अवतार की भविष्यवाणी : सीएम ने कहा, 'सूर्य को, चांद को और सत्य को कोई छिपा नहीं सकता है... सत्य जरूर सामने आएगा. नेता प्रतिपक्ष कह रहे थे कि वहां (संभल) की स्थिति ऐसी है कि मंदिर आ भी जाए तो क्या मंदिर बन जाएगा? मैं कहता हूं कि यह तो बाबरनामा भी कहता है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर एक ढांचा खड़ा किया गया. आपने एक श्रेष्ठ ब्राह्मण कुल में जन्म लिया है, आप तो भारत के पुराणों की परंपरा पर विश्वास करते हैं. हमारा पुराण भी इस बात को कहता है कि भगवान श्री हरि विष्णु का 10वां अवतार संभल में ही होगा, उसी संभल में होगा.'
- संभल में हिंसा कैसे भड़की? : योगी ने आगे कहना जारी रखा, 'यह तो केवल सर्वे की बात थी. माननीय न्यायालय के आदेश पर जिलाधिकारी का मतलब जिले का एडमिनिस्ट्रेटिव हेड, पुलिस अधीक्षक उस जिले की पुलिस फोर्स का मुखिया है, इनका दायित्व है कि शांतिपूर्ण तरीके से किसी सर्वे के कार्यक्रम को संपन्न कराना, माननीय न्यायालय के आदेश का अक्षरशः: पालन करना. और सर्वे 19 नवंबर को भी हुआ, 21 नवंबर को भी हुआ, 24 नवंबर को भी सर्वे का कार्य चल रहा था. क्या यह संभव है कि 21 को संपन्न नहीं हुआ था, लगातार सर्वे का काम चलता रहा. सर्वे के पहले दो दिन कोई शांतिभंग नहीं हुई, तीसरे दिन जब 23 नवंबर को जुमे की नमाज के पहले और जुमे की नमाज के दौरान जिस प्रकार की तकरीरें दी गईं, उन तकरीरों के बाद माहौल खराब हुआ और उसके बाद जिस प्रकार की स्थितियां की गईं, वह सबके सामने है.
- संभल में हिंसा का इतिहास रहा है : योगी ने कहा, 'हमारी सरकार ने तो पहले ही कहा कि हम जुडिशियल कमीशन बनाएंगे, सदन में उसकी रिपोर्ट आएगी. दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने आएगा. मैं केवल एक बात कहना चाहता हूं कि हम जब संभल के बारे में बात करते हैं, एक लंबा सिलसिला है इस संभल का. संभल में कैसे माहौल खराब किया... संभल में दंगों का इतिहास 1947 से ही प्रारंभ होता है, 1947 में एक मौत होती है, 1948 में छह लोग मारे जाते हैं... 1958 में भी दंगा होता है, 1962 में भी दंगा होता है... 1976 में भी पांच लोगों की मौत वहां पर हुई थी. 1978 में 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप से जला दिया गया था... 184 लोगों की... हिंदुओं की हत्या हुई थी... और जलाया भी गया था... 1980 में फिर दंगा हुआ था, एक मृत्यु हुई. 1982 में फिर दंगा हुआ, एक की मौत हुई. 1986 में भी चार लोग मारे गए. 1992 में पांच मौतें हुईं, 1996 में दो मौतें हुईं... लगातार यह सिलसिला चलता रहा. 1947 से अब तक वहां 209 हिंदुओं की हत्या हुई है और एक बार भी किसी ने उन निर्दोष हिंदुओं के लिए, उनके परिवारों के लिए संवेदना के दो शब्द नहीं कहे. घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों ने निर्दोष हिंदुओं के बारे में दो शब्द नहीं कहे. 1978 में जो दंगा हुआ, एक वैश्य ने सबको पैसा उधार दे रखा था. दंगा होने के बाद हिंदू उनके घर में एकत्र होते हैं, उन्हें घेर लिया जाता है और उनसे कहा जाता है कि इन हाथों से पैसा मांगोगे, इसलिए पहले हाथ, फिर पैर, फिर गला काट दिया जाता है. सौहार्द की बात करने पर इन्हें शर्म नहीं आती है.'