BARC: अमेरिका ने नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण से पहले भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र समेत तीन भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाने का फैसला लिया है. जो बाइडेन प्रशासन के इस फैसले पर कई एक्सपर्ट्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. कई एक्सपर्ट्स ने अमेरिका के इस निर्णय का स्वागत किया है.
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BARC: अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) समेत तीन भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाने का निर्णय लिया है. इस फैसले के बाद अमेरिका का स्वागत करते हुए एक्सपर्टस ने गुरुवार ( 16 जनवरी ) को कहा कि इससे महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और देश को नई प्रौद्योगिकियों ( Technologies ) तक पहुंच मिलेगी. हालांकि, परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के पूर्व सचिव अनिल काकोदकर ने कहा कि किसी को भी घटनाक्रम से बहुत खुश नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह वक्त ही बताएगा कि बैन हटने से भारतीय परमाणु ऊर्जा क्षेत्र और रिसर्च को कितना फायदा होगा.
न्यूक्लियर फिल्ड में अपने दशकों लंबे करियर के दौरान बार्क डाइरेक्टर, परमाणु ऊर्जा आयोग ( AEC ) के चेयरमैन और डीएई सचिव के रूप में काम कर चुके काकोदकर ने कहा कि प्रतिबंधों को हटाने का काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. जब 2008 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर सिग्नेचर किए गए थे, तब 81 साल के वैज्ञानिक एईसी के चेयरमैन और डीएई सचिव थे. काकोदकर ने कहा, " प्रतिबंध हटाने से सहयोग और परमाणु क्षेत्र में में मदद मिलेगा. अब सहयोगात्मक पहल शुरू होने और फिर इनके कायम रहने की बेहतर संभावनाएं हैं."
डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण से पहले बाइडन का बड़ा फैसला
जो बाइडन एडमिनिस्ट्रेशन ने बुधवार को तीन भारतीय संस्थाओं बार्क ( BARC ), इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड ( IREL ) और इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र ( IGCAR ) से प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया है. यह फैसला 20 जनवरी को होने वाले अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण से कुछ दिन पहले आया है.
बार्क और IGCAR परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रमुख अनुसंधान संस्थान हैं, जबकि IREL इसके अंतर्गत एक सार्वजनिक उपक्रम है. अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) ने कहा कि इन भारतीय संस्थाओं पर शीतयुद्ध ( Cold War ) के दौरान लगाए गए बैन हटाए जाने से साझा ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं और लक्ष्यों की दिशा में संयुक्त अनुसंधान और विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग समेत उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के मकसदों को समर्थन मिलेगा.
NFC के पूर्व अध्यक्ष ने क्या कहा?
यह कदम ऐसे वक्त में आया है जब चीन दुर्लभ पृथ्वी तत्व के क्षेत्र में अपना विस्तार कर रहा है. यह ऐसे वक्त भी आया है जब भारत छोटे परमाणु रिएक्टर विकसित करने पर विचार कर रहा है. परमाणु ईंधन परिसर (NFC) के पूर्व अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी एन साईबाबा ने अमेरिका के फैसले का इस्तकबाल किया और कहा कि बैन हटने से भारत को महत्वपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
साईबाबा ने कहा, "प्रतिबंध हटने से भारत को नई प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्राप्त करने में मदद मिलेगी. अब जब दो बहुत महत्वपूर्ण संस्थाओं-बार्क और आईजीसीएआर को बैन लिस्ट से हटा दिया गया है, तो यह लगभग पूरे डीएई के लिए अच्छा है." उन्होंने कहा कि IREL पर प्रतिबंध हटाए जाने से भारत को महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा, जिनकी न सिर्फ रक्षा, परमाणु और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में, बल्कि दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले उपकरणों के निर्माण में भी आवश्यकता होती है. ( भाषा इनपुट के साथ )