गौतमबुद्ध नगर जिले में घटते ग्राउंड वाटर को देखते हुए अब NGT ने सख्ती दिखाई है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध बोरवेल को NOC के बना चल रहे बोरवेल को तत्काल जब्त करने का आदेश दिया है.
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गौतमबुद्ध नगर: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का हाल कुछ ऐसा है कि वहां पर रहने वाले बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. जिन इलाकों में दिक्कत ज्यादा है वहां पानी का टैंकर आते ही ग्रामीण उस पर टूट पड़ते हैं. आने वाले समय में यह हाल राजस्व के रूप में नंबर एक पर रहने वाले जिले गौतमबुद्ध नगर का भी हो सकता है. यहां पर जिस तरीके से पानी का दोहन किया जा रहा है उसको देखते हुए यह लग रहा है कि आने वाले दिनों में हाल बेहाल होने वाला है. इसीलिए एनजीटी ने नोएडा एक्सटेंशन में अवैध रूप से चल रहे बोरवेल को सील करने और उसके अब तक के किए गए प्रयोग पर जुर्माने की राशि को वसूल करने का आदेश जारी किया है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण कार्यकर्ता प्रसून पंत और प्रदीप डाहलिया की याचिका पर 15 नवंबर को एक आदेश जारी किया है. आदेश के मुताबिक ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन में अवैध रूप से चल रहे सभी बोरवेलों को सील करने और भूजल के अवैध निष्कर्षण के लिए मुआवजे की वसूली का निर्देश दिया गया है. शिकायतकर्ताओं ने एनजीटी में बात रखी थी की 40 बिल्डरों की ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन में 63 साइटों पर अवैध रूप से भूजल निकाल रही हैं. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने भविष्य के लिए उपचारात्मक कार्रवाई के अलावा, बिल्डरों की परियोजना लागत का 0.5 प्रतिशत की राशि का अंतरिम पर्यावरणीय मुआवजा भी लगाया गया है. अवैध रूप से भूजल निकालने वाले सभी बिल्डरों को 15 नवंबर से शुरू होने वाले एक महीने के भीतर संबंधित जिलाधिकारियों और राज्य पीसीबी के पास मुआवजा जमा करना होगा. ऐसा न करने पर जिला मजिस्ट्रेट भूजल जमीन से निकालने वाली परियोजनाओं के खिलाफ चोरी के मामले दर्ज करने सहित कठोर कदम उठाने के लिए स्वतंत्र होंगे.
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क्या कहते है पर्यावरण कार्यकर्ता
पर्यावरण कार्यकर्ता प्रदीप डाहलिया ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर में बिल्डर परियोजनाएं जबरदस्त तरीके से पानी का दोहन कर रही हैं. पहले पानी 20 से 25 मीटर नीचे भी मिल जाया करता था. अब 200 मीटर नीचे जाने पर पानी मिलता है. वह भी साफ नहीं और हर साल लगभग 5 मीटर पानी का लेवल और नीचे जाता हुआ दिखाई दे रहा है. ऐसे में आने वाले सालों में लोगों को पानी मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा. इसके साथ ही पर्यावरण को भी काफी नुकसान होगा और पेड़ पौधों को पानी और नमी नहीं मिल पाएगी जिसके चलते उनका जीवित रहना भी मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने बताया कि निर्देश पारित किए गए हैं कि स्थानीय निकायों से पानी की आपूर्ति करने वाले और भूजल निकालने वाले प्रतिष्ठानों के लिए दोनों स्रोतों के संबंध में अलग-अलग डिजिटल मीटर होने चाहिए, जो वर्तमान में नहीं हो रहे हैं.