Kalpvas in Mahakumbh 2025: 'माघ आते ही प्रयाग की ओर चल पड़ते हैं पैर', तेज ठंड के बावजूद कठिन व्रत कर रहे कल्पवासियों के चेहरे पर नहीं कोई शिकन
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Kalpvas in Mahakumbh 2025: 'माघ आते ही प्रयाग की ओर चल पड़ते हैं पैर', तेज ठंड के बावजूद कठिन व्रत कर रहे कल्पवासियों के चेहरे पर नहीं कोई शिकन

What is Kalpvas: प्रयागराज महाकुंभ में कंपाने वाली ठंड के बीच हजारों श्रद्धालु तंबुओं में रहकर भगवान शिव और मां गंगा की आराधना कर रहे हैं. ये वो कल्पवासी हैं, जो प्रत्येक वर्ष एक महीने के लिए यहां रहने के लिए आते हैं.

Kalpvas in Mahakumbh 2025: 'माघ आते ही प्रयाग की ओर चल पड़ते हैं पैर', तेज ठंड के बावजूद कठिन व्रत कर रहे कल्पवासियों के चेहरे पर नहीं कोई शिकन

Kalpvas in Prayagraj Mahakumbh 2025: यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 पूरी दिव्यता और भव्यता के साथ जारी है. पिछले 6 दिन में अब तक करीब 8 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु गंगा-यमुना के पवित्र संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ हासिल कर चुके हैं. यहां रोजाना करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं और गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. इसके साथ ही हजारों श्रद्धालु वहां लगे तंबुओं में रहकर कल्पवास भी कर रहे हैं. 

एक महीने तक चलता है कल्पवास

कल्पवासियों के अनुसार, यह एक कठिन साधना होती है, जो एक महीने तक चलती है. इसमें सूर्योदय से पहले संगम स्नान करने के साथ ही पूरे दिन एक ही बार भोजन करना होता है. कल्पवासी उदयभान शर्मा ने बताया कि सूर्योदय से पहले उठकर गंगा स्नान करते हैं. इसके बाद विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ होता है. किया जाता है. फिर भोजन करके महात्माओं को सुना जाता है. कल्पवास के दौरान सिर्फ एक समय ही भोजन करना चाहिए. यह बहुत ही कठिन तप है."

'अपने आप प्रयाग की ओर चल पड़ते हैं पैर'

ऐसी ही भावना कल्पवासी पुष्पा शर्मा भी जताती हैं. वे कहती हैं, "कल्पवास करने का बहुत ही महत्व है. मेरा 16 साल का कल्पवास पूरा हो गया है और इस बार 17वां साल है. कल्पवास के नियमानुसार एक समय का खाना खाया जाता है, लेकिन जो बुजुर्ग हैं, उनमें से कई को दवा लेने के कारण दो समय का भोजन करा दिया जाता है. शुरू में जब पहली बार आए थे तो ठंड और अनजानेपन की वजह से डर सा लगा था. लेकिन अब यहां के आध्यात्म की आदत हो गई है और माघ आते ही पैर अपने आप प्रयाग की ओर चल पड़ते हैं."

पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक चलता है व्रत

बताते चलें कि महाकुंभ सनातन संस्कृति एवं आस्था का सबसे बड़ा आयोजन है. पौराणिक मान्यता के अनुसार महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु एक माह तक नियमपूर्वक संगम तट पर कल्पवास करते हैं. शास्त्रीय मान्यता के अनुसार कल्पवास, पौष पूर्णिमा की तिथि से शुरू होकर माघ पूर्णिमा की तिथि तक पूरे एक माह तक किया जाता है.

एक महीने तक गंगा तट पर करते हैं वास

कल्पवास करने वाले श्रद्धालु नियमपूर्वक, संकल्पपूर्वक एक माह तक संगम तट पर निवास करते हैं और गंगा स्नान कर, जप, तप, ध्यान, पूजन और सत्संग करते हैं. इस बार भी महाकुंभ नगर में हजारों श्रद्धालु कल्पवास कर रहे हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कल्पवास करने से 100 सालों तक बिना अन्न ग्रहण किए तप के बराबर फल मिलता है. इस दौरान कल्पवासी सादगीपूर्वक जीवन व्यतीत करते हुए वेद-पुराणों का अध्ययन करते हैं और भगवान को स्मरण करते हैं. कल्पवासी सफेद और पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं.

(एजेंसी आईएएनएस)

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