P. K. Mahanandia Love Story: भारत के पी. के. महानंदिया ने अपने प्यार को पाने के लिए भारत से स्वीडन तक की यात्रा साइकिल से कर डाली, क्योंकि पास में फ्लाइट के टिकट के लिए पैसे नहीं थे. इस कहानी में महानंदिया के पागलपन भरी आशिकी को सुनकर लोग हैरान हो गए थे.
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Unique Love Story Of PK Mahanandia: ‘मेरे ब्रदर की दुल्हन’ फिल्म में ‘इश्क-रिस्क’ नाम से एक गाना है जिसे इरशाद कामिल ने लिखा है. इसी गाने के लिरिस्क हैं 'कैसा ये इश्क है, अजब सा रिस्क है.' भारत के पी. के. महानंदिया की लव स्टोरी के लिए ये लाइनें बिल्कुल फिट बैठती हैं जिन्होंने अपने प्यार को पाने के लिए भारत से स्वीडन तक की यात्रा साइकिल से कर डाली, क्योंकि पास में फ्लाइट के टिकट के लिए पैसे नहीं थे. महानंदिया पेशे से एक आर्स्टिट हैं. बात साल 1975 की है, जब उनकी मुलाकात स्वीडन की चार्लेट से हुई. अपने करियर के शुरुआती दौर में बतौर कलाकार पी. के. महानंदिया लोगों के बीच में मशहूर हो ही रहे थे लेकिन उस समय वो दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट्स में पढ़ाई कर रहे थे.
इस लव स्टोरी में फिर क्या हुआ?
स्वीडन की रहने वाली चार्लेट एक बार हिंदुस्तान घूमने के लिए आई थीं. तब दिल्ली में उनकी मुलाकात पी. के. महानंदिया से हुई. चार्लेट उस दौरान पी. के. महानंदिया को बतौर कलाकार जानती थीं और अपनी एक तस्वीर बनवाने के लिए उनके पास आई थीं. दोनों के बीच में नजदीकियां बढ़ती गईं और फिर उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो गया. अब वक्त आ गया था कि चार्लेट वापस से स्वीडन के लिए रवाना हो जाएं, लेकिन इससे पहले आदिवासी परंपरा के साथ चार्लेट और पी. के. महानंदिया ने शादी कर ली. महानंदिया को चार्लेट अपने साथ स्वीडन ले जाना चाहती थीं लेकिन महानंदिया चाहते थे कि वह दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करें.
अजब प्रेम की गजब कहानी
स्वीडन जाने के बाद चार्लेट और पी. के. महानंदिया के बीच लंबे समय तक पत्राचार हुआ. दोनों के बीच कई खत लिखे गए. आने वाले कुछ सालों में पीके महानंदिया की पढ़ाई भी पूरी हो गई. अब चार्लेट से मिलने के लिए महानंदिया स्वीडन जाना चाहते थे लेकिन पैसे की इतनी ज्यादा तंगी थी कि उनके पास टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. फिर सब कुछ बेच कर उन्होंने साइकिल खरीदी और भारत से स्वीडन के लिए साइकिल से ही निकल गए.
सफर में हुई बड़ी मुश्किल
उन्होंने पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार किया. इस दौरान उनकी साइकिल कई बार टूटी कई रात बिना खाए गुजारने पड़े. अपनी कला की बदौलत वह लोगों के तस्वीर बनाकर कुछ पैसे इकट्ठा करते, उससे अपना पेट भरते और आगे बढ़ जाते थे. कई लोगों ने खाने के लिए ऑफर किया, तो कुछ लोगों ने रहने की जगह दी. ऐसे करते हुए उन्होंने इस्तांबुल और वियना का रास्ता काटा था लेकिन इसके बाद वो गोथेनबर्ग ट्रेन से गए. 22 जनवरी, 1977 में शुरू हुई इस यात्रा में महानंदिया रोज 70 किमी साइकिल से सफर करते थे. 4 महीने की कठीन यात्रा के बाद पी. के. अपने प्यार तक पहुंचे. वर्तमान समय में पी. के. महानंदिया अपनी पत्नी चार्लेट के साथ स्वीडन में ही रहते हैं. उनके दो बच्चे भी हैं. मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में महानंदिया और चार्लेट ने अपने इस अजब प्रेम की गजब कहानी को बयां किया. इस कहानी में पी. के. महानंदिया के पागलपन भरी आशिकी को सुनकर लोग हैरान हो गए थे.