Nitish Kumar: समय देखकर ही पलटा नीतीश ने पाला, गजब है CM साहब की टाइमिंग! चुनावों से पहले करते हैं खेल
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Nitish Kumar: समय देखकर ही पलटा नीतीश ने पाला, गजब है CM साहब की टाइमिंग! चुनावों से पहले करते हैं खेल

Bihar Political Crisis: बिहार के इतिहास के पन्नों को यदि पलट कर देखा जाए तो पिछले 22 साल में दो बार नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़ चुके हैं और इसमें भी सबसे कमाल की बात यह रही है नीतीश के ऐसे फैसले अक्सर किसी चुनावों के नजदीक ही आते हैं. समझें नीतीश से जुड़ा पूरा सियासी घटनाक्रम...

Nitish Kumar: समय देखकर ही पलटा नीतीश ने पाला, गजब है CM साहब की टाइमिंग! चुनावों से पहले करते हैं खेल

Nitish Kumar Political Timings: बिहार की राजनीति में इस वक्त भूचाल आया हुआ है. अब तक राज्य में BJP समर्थित एनडीए सरकार चल रही थी. लेकिन आज यह गठबंधन टूट गया. सियासी घटनाक्रम को देखकर स्पष्ट कहा जा सकता है कि अब नीतीश कुमार RJD के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे. हालांकि बिहार के लोगों के लिए यह सबकुछ नया नहीं है. क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, राज्य के इतिहास के पन्नों को यदि पलट कर देखा जाए तो पिछले 22 साल में दो बार नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़ चुके हैं और इसमें भी सबसे कमाल की बात यह रही है नीतीश के ऐसे फैसले अक्सर किसी चुनावों के नजदीक ही आते हैं. 

गजब है नीतीश की टाइमिंग

आपको याद होगा कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया था. ऐसा सिर्फ लोकसभा चुनावों के आसपास नहीं होता बल्कि राष्ट्रपति चुनावों में नीतीश किसे समर्थन देंगे, इस ओर सबकी निगाहें टिकी रहती हैं. 

राष्ट्रपति चुनावों में समर्थन पर भी बनाते हैं सस्पेंस

साल 2005 में भाजपा संग बिहार की सरकार बनाने वाले नीतीश ने 2012 में भी सबको चौंकाया था. तब वह NDA में थे, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी को वोट दिया था. इसके बाद 2013 में जब BJP ने मोदी को PM कैंडिडेट घोषित किया तो नीतीश कुमार ने 17 साल पुराने रिश्ते को ही खत्म कर दिया था. इस बार के राष्ट्रपति चुनावों में भी नीतीश कुमार की पार्टी किसे समर्थन देगी इस पर सबका ध्यान था. हालांकि JDU ने द्रौपदी मुर्मू को ही समर्थन दिया.

उठ रहे जरूरी सवाल

ऐसे में अहम सवाल है कि क्या 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार की अंतरआत्मा जाग रही है? क्या फिर से वह बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंध के साथ जाकर कुछ बड़ा खेला करेंगे?

समझें नीतीश का कुर्सी घटनाक्रम

पहली बार नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण उनको 7 दिन बाद ही 10 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा. दूसरी बार नीतीश कुमार ने 2005 में बीजेपी के साथ सरकार बनाई. 24 नवंबर 2005 को उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा करते हुए 24 नवंबर 2010 तक मुख्यमंत्री रहे. तीसरी बार नीतीश कुमार 26 नवंबर 2010 को मुख्यमंत्री बने. इन चुनावों में एनडीए ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 243 में से 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

चौथी बार नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने का वाकया बेहद नाटकीय रहा. 2014 में बीजेपी से अलग होकर राजद के साथ उन्होंने सरकार बनाई. लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को सीएम बनाया गया, लेकिन कुछ गलतफहमियों के कारण उन्हें हटा दिया गया. इसके बाद 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली और 19 नवंबर 2015 तक अपने पद पर बने रहे. पांचवी बार नीतीश कुमार राजद के साथ चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. चुनाव में जीत के बाद 20 नवंबर 2015 को उन्होंने पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

कम सीट फिर भी बने सीएम

छठी बार नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने का घटनाक्रम उनके कार्यकाल में अब तक का सबसे नाटकीय घटनाक्रम था. राजद से मतभेद के बाद 26 जुलाई 2017 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 27 जुलाई 2017 को उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. सातवीं बार नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इन चुनावों में जेडीयू पहली बार बीजेपी से कम सीटें जीतीं लेकिन मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार ही काबिज हुए.

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