Supreme Court ने बुधवार को बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ करने की मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया कि केंद्र काफी लंबी अवधि के लिए उसकी दया याचिका पर फैसला करने में विफल रहा.
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Supreme Court Vedict: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ करने की मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया कि केंद्र काफी लंबी अवधि के लिए उसकी दया याचिका पर फैसला करने में विफल रहा. कोर्ट ने केंद्र से दया याचिका पर विचार करने और फैसला लेने के लिए कहा है.
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी समय आने पर फिर से दया याचिका पर विचार कर सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं. रिट याचिका का निपटारा उसी के अनुसार किया जाता है. 2 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें उसने मौत की सजा को इस आधार पर माफ करने की मांग की थी कि केंद्र काफी समय से उसकी दया याचिका पर फैसला करने नहीं कर रहा है. राजोआना को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है.
न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजोआना का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
रोहतगी ने तर्क दिया था कि लंबे समय तक दया याचिका पर बैठे रहने के दौरान राजोआना को मौत की सजा पर रखने से उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है. दिलचस्प बात यह है कि राजोआना ने अपनी दोषसिद्धि या सजा को चुनौती नहीं दी है.
पिछले साल सितंबर में, सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की ओर से दायर दया याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए केंद्र को फटकार लगाई थी.
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने कहा था कि वह मामले में स्थगन देने के केंद्र के वकील के अनुरोध पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. शीर्ष अदालत ने केंद्र के वकील से कहा था कि उसके मई 2022 के आदेश के चार महीने बीत चुके हैं, क्योंकि उसने राजोआना की दया याचिका पर निर्णय लेने में देरी पर सवाल उठाया था. शीर्ष अदालत ने संबंधित विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी को मामले की स्थिति पर एक हलफनामा दायर करने को कहा.