Polygraph Test: दिल्ली पुलिस ने श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब के पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी. इस अर्जी पर कोर्ट ने मंजूरी दे दी है.
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Lie Detector Machine: श्रद्धा मर्डर केस में आरोपी आफताब से सच पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस अब उसका पॉलीग्राफ टेस्ट करवा सकती है. सोमवार को नार्को टेस्ट होना था, लेकिन नहीं हो सका. नार्को टेस्ट से पहले आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट होगा. दिल्ली पुलिस ने आरोपी आफताब के पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी. इस अर्जी पर कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. पॉलीग्राफ टेस्ट को लाई डिटेक्टर मशीन यानी झूठ पकड़ने वाली मशीन से किया जाता है. हम आपको बताएंगे कि आखिर पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है और ये नार्को टेस्ट से कितना अलग है.
पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान यह देखा जाता है कि यह देखा जाता है कि सवालों के जवाब के दौरान आदमी सच बोल रहा है या झूठ.
पॉलीग्राफ टेस्ट में क्या होता है?
-इंसान जब भी झूठ बोलता है तो उसका हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर बदलता है, पसीना आता है और आंखे इधर-उधर जाती हैं.
-हांलांकि इस टेस्ट के दौरान मुख्य रूप से - सांस लेने की दर, नाड़ी की गति, ब्लड प्रेशर, और पसीना कितना निकल रहा है- इन चार पर ध्यान दिया जाता है .
-इसके अलावा जवाब देने वाले शख्स के हाथ-पैर की मूवमेंट पर भी ध्यान दिया जाता है.
-पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान मशीन के चार या छह प्वाइंट्स को इंसान के सीने, उंगलियों से जोड़ दिया जाता है.
-फिर उससे सवाल जवाब का सिलसिला शुरू होता है. पहले सामान्य सवाल पूछे जाते हैं और उसके बाद क्राइम से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं.
कैसे पता चला है कि इंसान झूठ बोल रहा है?
-जवाब देने वाला अगर झूठ बोलता है तो उस समय उसका हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, नाड़ी दर घटता या बढ़ता है. माथे पर या हथेलियों पर पसीना आने लगता है. वहीं सच बोलने पर सारी शारीरिक गतिविधियां सामन्य रहती हैं.
-झूठा जवाब देते वक्त इंसान के दिमाग से P300 (P3) सिग्नल निकलता है. ऐसे में उसका हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. इन्हें सामान्य दरों से मिलाया जाता है और पता लगा जाता है कि जवाब सच है या झूठ.
-पॉलीग्राफ टेस्ट से पहले इंसान का मेडिकल टेस्ट किया जाता है ताकि उसके सामान्य हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, नाड़ी दर आदि को नोट किया जा सके.
क्या पॉलीग्राफ टेस्ट में कोई चकमा दे सकता है?
-ऐसा नहीं है कि पॉलीग्राफ टेस्ट 100 प्रतिशत सही होता है. इससे भी बचकर निकला जा सकता है. यही वजह है कि इस पर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता.
-अगर कोई व्यक्ति अपने हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और पसीने को नियंत्रित कर जवाब देता है, तो बहुत संभव है कि वह पॉलीग्राफ टेस्ट में भी पकड़ में न आए. हालांकि ऐसा करना आसान नहीं है.
किन चीजों का होता है इस्तेमाल?
-पॉलीग्राफ टेस्ट जिस शख्स का होता है उसके सीने के चारों तरफ न्यूमोगराफ ट्यूब बांधी जाती है.
-बांह पर पल्स कफ और उंगलियों पर लोमब्रोसो ग्लव्स लगाया जाता है.
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