महिला आर्मी अफसर को मिली 'सुप्रीम' राहत, परमानेंट कमीशन पर सबसे बड़ी अदालत ने सुनाया ये फैसला
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महिला आर्मी अफसर को मिली 'सुप्रीम' राहत, परमानेंट कमीशन पर सबसे बड़ी अदालत ने सुनाया ये फैसला

Women Officer Indian Army: अधिकारी आगरा में सैन्य डेंटल कोर में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में पदस्थ हैं. उन्होंने लखनऊ स्थित सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) की क्षेत्रीय शाखा के 2022 के आदेश को चुनौती दी थी. 

महिला आर्मी अफसर को मिली 'सुप्रीम' राहत, परमानेंट कमीशन पर सबसे बड़ी अदालत ने सुनाया ये फैसला

Supreme Court Indian Army Officer: सेना की एक महिला अधिकारी को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन्हें स्थायी कमीशन दिया. कोर्ट ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से इससे बाहर रखा गया जबकि समान रूप से पदस्थ अन्य अधिकारियों को इसका फायदा दिया गया.

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि सियाचिन या अन्य दुर्गम क्षेत्रों में बहादुरी से सीमा की पहरेदारी कर रहे जांबाज भारतीय सैनिकों को सेवा शर्तों की पूरी जानकारी होनी चाहिए.

क्या बोली दो जजों की बेंच?

बेंच ने कहा, 'क्या उन्हें यह कहना सही होगा कि समान रूप से पदस्थ होने की स्थिति में उन्हें राहत नहीं दी जाएगी, क्योंकि जिस फैसले का उन्होंने हवाला दिया है वह कुछ खास आवेदकों के मामले में पारित किया गया था जिन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया था. हमें लगता है कि यह बहुत गलत नजारा होगा.' कोर्ट ने एक महिला अधिकारी की ओर से दायर अपील पर अपना फैसला दिया.

डेंटल कोर में ले.कर्नल हैं महिला अफसर

यह अधिकारी आगरा में सैन्य डेंटल कोर में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में पदस्थ हैं. उन्होंने लखनऊ स्थित सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) की क्षेत्रीय शाखा के 2022 के आदेश को चुनौती दी थी. बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया.

सबसे बड़ी अदालत ने कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता के मामले को स्थायी कमीशन देने के लिए लिया जाए और उन्हें उसी तारीख से स्थायी कमीशन का फयदा दिया जाए जिस दिन अन्य लोगों ने एएफटी के 22 जनवरी 2014 के निर्णय के अनुपालन में लाभ हासिल किये थे.'

महिला अफसर ने क्या कहा था याचिका में?

महिला अधिकारी ने एएफटी की प्रिंसिपल बेंच के जनवरी 2014 के फैसले में दी गई राहत के समान उन्हें भी लाभ प्रदान करने संबंधी उनके अनुरोध को जनवरी 2022 में खारिज किये जाने संबंधी आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. महिला अधिकारी ने कहा कि वाद में अन्य आवेदकों के साथ शामिल नहीं हो पाईं क्योंकि उस वक्त उनकी प्रेग्नेंसी आखिरी स्टेज में थी. 

बेंच ने कहा, 'हमारा मानना है कि आवेदक को (स्थायी कमीशन देने पर विचार किये जाने से) गलत तरीके से बाहर रखा गया, जब समान रूप से पदस्थ अन्य अधिकारियों के नाम पर विचार किया गया और स्थायी कमीशन दिया गया.'

जज ने कहा कि आदेशों को चार हफ्तों में लागू किया जाए और आवेदक को बकाया समेत वरिष्ठता, प्रमोशन और मौद्रिक लाभ समेत सभी फायदे दिए जाएं.

(इनपुट-पीटीआई)

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