What is AIMC: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण में हो रही देरी को देखते हुए AIMC लागू करने जा रहे हैं. ये मशीने लग जाने के बाद सड़क के काम में तेजी, सटीकता और बेहतर क्वॉलिटी मिलेगी.
Trending Photos
What is AIMC: राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण में हो रही देरी को देखते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने ऑटोमेटेड और इंटेलिजेंट मशीन-असिस्टेड कंस्ट्रक्शन (AIMC) सिस्टम के इस्तेमाल को तेज़ी से लागू करने का फैसला लिया है. यह सिस्टम हर निर्माण फेज में सर्वे के साथ-साथ परियोजना की स्थिति पर वास्तविक समय में डेटा प्रदान करेगी. यह डेटा तुरंत मंत्रालय समेत सभी संबंधित पक्षों को भेजा जाएगा.
मंत्रालय ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) जैसे सभी संबंधित पक्षों को भेजा गया है. इस सर्कुलर में AIMC को राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में अपनाने के लिए सुझाव और टिप्पणियां मांगी गई हैं. MoRTH के एक अधिकारी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि विभाग ने इस अखिल भारतीय योजना को तैयार करने के लिए अमेरिका, नॉर्वे और यूरोपीय संघ के देशों के सिस्टम का अध्ययन किया है, जहां AIMC पहले से ही लागू है.
हाईवे कंस्ट्रक्शन के लिए अलग-अलग तरह की मशीनरी का इस्तेमाल करने से प्रक्रिया तेज़ हो गई है. अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के आने के बाद एक और क्रांति का समय आ गया है. इंटेलिजेंट रोड कंस्ट्रक्शन मशीनों के विकास से सड़कों की क्वॉलिटी और ज्यादा दिनों तक चलते हैं. रियल टाइम में दस्तावेज़ीकरण होगा और प्रोडक्टिविटी में बेहतरी भी आएगी. ये मशीनें परियोजनाओं को तय समय सीमा के अंदर पूरा करने में मदद करेंगी.
हाल ही में, राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मार्च 2024 में निर्माणाधीन 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वाली 952 परियोजनाओं (राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं सहित) में से कुल 419 परियोजनाएं अपने तय समय से आगे निकल गईं, जिससे परियोजनाओं के पूरा होने के विभिन्न चरणों में से एक या दूसरा चरण छूट गया. हालांकि राजमार्ग परियोजनाओं में देरी की कई वजह हैं, लेकिन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पुरानी तकनीकें, अद्यतन जानकारी न होना और ठेकेदारों का खराब प्रदर्शन समस्या को और बढ़ा देता है.
अवध एक्स्प्रेस के नाम से जाने जाने वाले लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे में पायलट आधार पर NHAI ने AIMC लागू कर दिया है. यहां जीपीएस-सहायता प्राप्त मोटर ग्रेडर, इंटेलिजेंट कॉम्पेक्टर और स्ट्रिंगलेस पेवर जैसी ऑटोमेटेड और AI मशीनों का इस्तेमाल किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट की बुनियाद पर राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में AIMC को देश भर में अपनाया जाएगा.
अधिकारी ने कहा,'इन मशीनों को एआई मशीन नहीं, बल्कि इंटेलिजेंट मशीन कहा जाता है. क्योंकि एआई पहले से उपलब्ध डेटा की बुनियाद पर काम करता है, इसलिए इन मशीनों में हमें सिस्टम में परियोजना के हिसाब जानकारी डालनी होगी, जिससे मैनपावर कम होगी. इससे काम में तेजी आएगी क्योंकि इन मशीनों से रात में भी काम जारी रहेगा.' उन्होंने आगे कहा,'फिलहाल निर्माण के हर फेज के पूरा होने के बाद हमें यह जांचने के लिए सर्वे करना पड़ता है कि क्वॉलिटी से समझौता तो नहीं किया गया है. इन मशीनों के साथ, सर्वे करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि यह मंत्रालय समेत सभी संबंधित डिपार्टमेंट्स को हर कदम पर डेटा भेजेगा.
AIMC मशीनें एक तरह की नई तकनीक वाली मशीने हैं, जो ऑटोमेशन, इंटेलिजेंस, मैकेनिक्स और कंट्रोल (Automation, Intelligence, Mechanics, and Control) को जोड़ती हैं. AIMC का इस्तेमाल आमतौर पर अलग-अलग इंडस्ट्रीज में किया जाता है, जैसे उत्पादन, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा और परिवहन, जहां पर मानव श्रम को कम करके उत्पादन क्षमता और सटीकता को बढ़ाया जाता है. मशीन को उसके काम के मुताबिक डिज़ाइन और प्रोग्राम किया जाता है.