Rajasthan News: राजस्थान में ऊर्जा स्रोत के पावर प्लांट लगाने में दी जाएगी रियायत, जानें स्कीम
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Rajasthan News: राजस्थान में ऊर्जा स्रोत के पावर प्लांट लगाने में दी जाएगी रियायत, जानें स्कीम

Rajasthan News: राजस्थान में ऊर्जा स्रोत के पावर प्लांट लगाने में रियायत दी जाएगी.अब सरकारी जमीन को अपनी जमीन से कर सकेंगे एक्सचेंज.जानें आखिर राजस्थान सरकार कि विषय को लेकर क्या स्कीम है, पढ़ें पूरी खबर.

 

फाइल फोटो.

Rajasthan News: राजस्थान प्रदेश में कृषि भूमि पर गैर पारम्परिक उर्जा स्रोतों पर आधारित पावर प्लांट लगाने के लिए राज्य सरकार नियमों में संशोधन करने जा रही है. इसके तहत प्लांट लगाने के दौरान मध्य में सरकारी जमीन आने पर प्लांट लगाने वाले इस जमीन को अपनी अन्य स्थल की जमीन से एक्सचेंज कर सकेंगे.

इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से गत 24 जुलाई को विधानसभा में राजस्थान अभिधृति संशोधन विधेयक पेश किया गया था, इस विधेयक को आज पारित किया जाएगा.

जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार की ओर से किसी व्यक्ति, कंपनी या सरकारी विभाग को गैर पारम्परिक उर्जा स्रोत पर आधारित पावर प्लांट लगाने की अनुमति प्रदान की गई है. कई बार इस प्रकार पावर प्लांट को लगाने के दौरान बीच में सरकारी जमीन आ जाने से काम अवरूद्ध हो जाता है. इससे संबंधित कंपनी या व्यक्ति को परेशानी के साथ प्रदेश में विकास कार्य भी रुक जाते है.

वर्तमान में संचालित राजस्थान अभिधृति अधिनियम 1955 में इस प्रकार की परिस्थिति के निस्तारण के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसको देखते हुए राज्य सरकार ने विधेयक में संशोधन की कवायद शुरू की है.

ये किया संशोधन

राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में पेश किए गए राजस्थान अभिधृति संशोधन विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि अगर पावर प्लांट लगाने के दौरान अगर सरकारी जमीन प्रोजेक्ट के बीच में आती है तो संबंधित व्यक्ति या कंपनी सरकारी जमीन का विनिमय अपनी जमीन से कर सकेंगे। इसके लिए अधिनियम की धारा 48 में संशोधन का प्रावधान किया गया है.
खेती का विवाद भी कम होगा

राज्य सरकार के  अनुसार कई बार खेती के दौरान पानी की पाइप लाइन या सड़क मार्ग बनाने के दौरान दोे खातेदारों में विवाद हो जाता है. इसके समाधान के लिए उपखंड़ अधिकारी के स्तर पर सुनवाई होती है, इसमें भूमि मालिक के खिलाफ फैसला आने पर उसे कई बार कम जमीन होने के कारण नुकसान हो जाता है.

इसको देखते हुए नए संशोधन विधेयक में यह प्रावधान किया जा रहा है कि इस प्रकार के मामले में उपयोग में ली गई जमीन के बराबर की जमीन लाभार्थी पक्ष को पीड़ित पक्ष को देनी होगी, जिससे उसकी जोत व उससे मिलने वाली फसल में कमी नहीं आए. इसके लिए अधिनियम की धारा 251क में भी संशोधन किया गया है.

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