राजस्थान मंत्रलायिक कर्मचारी और पंचायतराज के कर्मचारी हड़ताल के कारण करीब 10 हजार से ज्यादा ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र अटके हुए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा जयपुर में 1904, भरतपुर में 489, जोधपुर में 465 और चूरू में 436 ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की एप्लीकेशन पेंडिंग हैं.
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Jaipur News: प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में 28 दिनों से काम ठप है. 115 विभागों के 82 हजार से अधिक मंत्रलायिक कर्मचारी और पंचायतराज के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. इस लंबी हड़ताल के कारण प्रदेशभर में ड्राइविंग लाइसेंस, जमीन की रजिस्ट्रियां, विवाहों के पंजीयन, जन्म प्रमाण पत्र, आय, जाति और मूल निवास प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र आवेदन के बाद अटक गए हैं क्योंकि दस्तावेजों की जांच और आगे की प्रक्रिया के लिए कर्मचारी उसे फारवर्ड ही नहीं कर रहे हैं. हड़ताल के कारण शहरी क्षेत्र के ही नहीं, दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोगों के काम भी अटक गए हैं. उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ा रहा है. कार्यालयों में अधिकारी मौजूद हैं, लेकिन सभी के पास रटा-रटाया जवाब है - बाबू छुट्टी पर हैं. फाइल नहीं मिलेगी....आप बाद में आना.
बाबूजी की हड़ताल का असर कितना है ये जाति और मूल निवास सर्टिफिकेट की पेंडेंसी का आंकड़ा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता हैं. प्रदेशभर में सरकार लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए जगह-जगह राहत कैंप लगा रही है. इस माहौल के बीच प्रदेश में लाखों युवा ऐसे भी है जो अपने मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के लिए कलेक्ट्री में धक्के खा रहे है. इसके पीछे कारण मंत्रालयिक कर्मचारियों का हड़ताल पर जाना है. कर्मचारियों के कारण नहीं करने के कारण मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र अटके पड़े है और ये पेंडेंसी पूरे प्रदेश में 2 लाख से ऊपर चली गई है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 1 लाख 3 हजार से ज्यादा लोगों के मूलनिवास प्रमाण पत्र अटके पड़े है. वर्तमान में कई जगहों पर स्कूलों के एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. .इसके अलावा जिन अभ्यर्थियों का कॉम्पीटिशन एग्जाम में सलेक्शन हो जाता है उनको भी अपने डॉक्यूमेंटेशन में मूल निवास की जरूरत होती है. जिलेवार रिपोर्ट देखे तो सबसे ज्यादा मूल निवास के प्रकरण जयपुर में लम्बित है.
जयपुर में वर्तमान में 20 हजार से ज्यादा एप्लीकेशन कलेक्ट्रेट में पेंडिंग पड़ी है. इसके पीछे बड़ा कारण बाबूओं की हड़ताल है. जिनके काम नहीं करने के कारण ये एप्लीकेशन आगे फॉरवर्ड नहीं हो पा रही. इसके बाद दूसरा नंबर अलवर जिले का आता है जहां 6600 से ज्यादा एप्लीकेशन पेंडिंग पड़ी है.
इसी तरह मूल निवास के अलावा जाति प्रमाण पत्र बनवाने वालों के भी 1.09 लाख से ज्यादा एप्लीकेशन पेंडिंग पड़ी है. इसमें एसटी, एससी, ओबीसी के राज्य और केन्द्र स्तर के सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर रखा है. इसमें जिलेवार रिपोर्ट देखे तो जयपुर में 16 हजार 200 से ज्यादा एप्लीकेशन है. इसी तरह अलवर में 6619, जोधपुर में 7734, प्रतापगढ़ में 1617 और उदयपुर में 4 हजार 700 से ज्यादा एप्लीकेशन पेंडिंग है.
इसी तरह राजस्थान में इस हड़ताल के कारण करीब 10 हजार से ज्यादा ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र अटके हुए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा जयपुर में 1904, भरतपुर में 489, जोधपुर में 465 और चूरू में 436 ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की एप्लीकेशन पेंडिंग हैं.
मूल निवास, जाति, जन्म मृत्यु, अतिक्रमण, हैसियत प्रमाण पत्र, नकल प्रतिलिपि कार्य ठप हैं. जमीन के पट्टे के काम व रजिस्ट्रियों के काम अटके, वसीयत, विक्रय, मुखत्यारनामा (पॉवर ऑफ अटॉर्नी), पंचायतों के पट्टे, पेंशन का काम अटका, वेतन के काम में परेशानी, जन आधार कार्ड, खाद्य सुरक्षा, सूचना का अधिकार, फ्री योजना, पालनहार सहित अन्य काम नहीं हो पा रहे हैं. साथ ही हड़ताल के चलते जिला परिषद में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज की विकास योजनाएं, स्वीकृतियां, संस्थापन कार्य, नाली निर्माण, पीएम आवास, सड़कें, मनरेगा, स्वामिस्त योजना, पीएम आदर्श ग्राम विकास के तहत कार्य नहीं हो पा रहे हैं. आरटीई, मिड डे मील जैसे काम भी प्रभावित हो रहे हैं.
प्रदेशभर में आमजन के काम के साथ अब मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल बेरोजगारों को भी दर्द देनी लगी है. मंत्रालयिक कर्मचारियों के आंदोलन की वजह से पुरानी भर्तियों के परिणाम अटक गए है. वहीं नई भर्तियों की विज्ञप्ति अनलॉक नहीं हो पा रही है. इस वजह से बेरोजगारों का सरकारी नौकरी का इंतजार बढ़ता जा रहा है. बजट में सरकार ने इस साल एक लाख भर्तियां कराने की घोषणा की है. लेकिन लगातार देरी होने की वजह से सरकार की भी मुसीबत बढ़ती जा रही है.
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दूसरी तरफ बेरोजगारों ने नई भर्तियों की विज्ञप्ति जल्द जारी करने की मांग की है.राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी नेताओं का कहना हैं की सचिवालय कर्मचारी और अधीनस्थ सेवा के कर्मचारी एक समान आरपीएससी से सलेक्ट होते हैं. लेकिन सरकार ने ग्रेड पे में बड़ी विसंगति कर रखी है. अधीनस्थ सेवा के कर्मचारियों का ग्रेड पे 2400 से शुरू होता है. उसके बाद पदोन्नति पर 2800, 3600, 4200, 4800, 6000 रुपए तक पहुंचता है. जबकि सचिवालय कर्मचारियों का 2400 से शुरू होकर 2800 से सीधे ही 4200 और फिर 4800, 6000, 7600 और 8700 तक ग्रेड पे होता है.
बहरहाल, यह हालात केवल कलेक्ट्रेट के ही नहीं हैं. संभागीय आयुक्त कार्यालय, एडीएम-एसडीएम, शिक्षा विभाग, डीआईजी स्टांप, पंचायतीराज, खनिज विभाग, न्यायिक क्षेत्र सहित लगभग सभी कार्यालयों में पिछले 28 दिनों से ऐसी ही स्थिति बनी है. इनके आसपास बनी चाय-पान की दुकानों से भी रौनक गायब है. मंत्रालयिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर हैं जिनसे सरकारी कामकाज पूरी तरह ठप पड़ा हैं. कार्यालय सूने हैं और फाइलें बस्तों में पड़ी हैं जिन पर धूल चढ़ने लगी है.