Rajasthan Election 2023: जयपुर की इन सीटों पर कांग्रेस- बीजेपी में कांटे की टक्कर, समीकरण बनते बिगड़ते दिख रहे
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Rajasthan Election 2023: जयपुर की इन सीटों पर कांग्रेस- बीजेपी में कांटे की टक्कर, समीकरण बनते बिगड़ते दिख रहे

Rajasthan Election 2023: जयपुर शहर संसदीय क्षेत्र से इतर 11 विधानसभा क्षेत्र और पूरे जिले में हैं, इनमें जयपुर ग्रामीण, सीकर, अजमेर और दौसा संसदीय क्षेत्र के कुछ हिस्से शामिल हैं. हालांकि अधिकांश सीटों पर मुकाबला आमने-सामने का है, लेकिन निर्दलीय की मौजूदगी से समीकरण बीजेपी-कांग्रेस के लिए बनते बिगड़ते दिख रहे हैं.

Rajasthan Election 2023: जयपुर की इन सीटों पर कांग्रेस- बीजेपी में कांटे की टक्कर, समीकरण बनते बिगड़ते दिख रहे

Rajasthan Election 2023: जयपुर शहर संसदीय क्षेत्र से इतर 11 विधानसभा क्षेत्र और पूरे जिले में हैं, इनमें जयपुर ग्रामीण, सीकर, अजमेर और दौसा संसदीय क्षेत्र के कुछ हिस्से शामिल हैं. ग्रामीण क्षेत्र में निर्दलीय और तीसरी पार्टी की मौजूदगी ने कुछ जगह पर रोमांचक स्थिति बना रखी है.

बीजेपी-कांग्रेस के लिए हालात बनते बिगड़ते

हालांकि अधिकांश सीटों पर मुकाबला आमने-सामने का है, लेकिन निर्दलीय की मौजूदगी से समीकरण बीजेपी-कांग्रेस के लिए बनते बिगड़ते दिख रहे हैं.

कांग्रेस ने सिटिंग एमएलए राजेंद्र यादव को टिकट दिया

हरियाणा से लगती कोटपूतली सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस ने सिटिंग एमएलए राजेंद्र यादव को टिकट दिया है. गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के सामने बीजेपी ने हंसराज पटेल को उतारा है. हंसराज पटेल पिछली बार बागी होकर निर्दलीय के रूप में लड़े थे. पिछली बार बीजेपी के प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल 2018 में हार गए थे. उन्हें इस बार टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उम्मीद चूर हुई तो मुकेश गोयल बागी होकर चुनावी मैदान में है. मुकेश गोयल की उपस्थिति से मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है.

विराटनगर में भी मुकाबला चतुष्कोणीय 

विराटनगर में भी मुकाबला चतुष्कोणीय बनाने की कोशिश दो लोगों ने की है. यहां कांग्रेस से मौजूदा विधायक इंद्राज गुर्जर और बीजेपी से कुलदीप धनखड़ प्रत्याशी हैं. कुलदीप धनखड़ पिछली बार निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में थे, तो वही पूर्व विधायक रामचंद्र सराधना कांग्रेस से बागी होकर आसपा के टिकट पर मैदान में हैं. भीम सहन भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में यहां पर हैं, लेकिन रामचंद्र सराधना की मौजूदगी चुनाव को रोचक बना सकती है. सराधना आजाद समाज पार्टी की टिकट पर हैं और चुनाव में आसपा ने हनुमान बेनीवाल की आरएलपी से गठबंधन किया है.

शाहपुरा विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय 

बात करें शाहपुरा की तो शाहपुरा विधानसभा सीट विराटनगर से लगती हुई है. यहां भी मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है. मौजूदा विधायक आलोक बेनीवाल पिछली बार भी निर्दलीय के रूप में जीते थे और इस बार भी कांग्रेस-बीजेपी दोनों ने ही उन्हें टिकट नहीं दिया.

हालांकि आलोक बेनीवाल की पहली पसंद कांग्रेस का टिकट थी. कांग्रेस ने पिछली बार के प्रत्याशी मनीष यादव को रिपीट किया है तो बीजेपी ने बेरोजगार युवकों के लिए संघर्ष से पहचान बनाने वाले उपेन यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस और बीजेपी से यादव चेहरा आने के बाद आलोक बेनीवाल समाज में अपनी सौम्या छवि के चलते लोगों के बीच जगह बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. आलोक बेनीवाल के समर्थकों का मानना है कि दूसरे समाजों का साथ और वोट इस बार के चुनाव में जीताऊ प्रत्याशी तय करेगा.

चौमूं विधानसभा क्षेत्र भी रोचक मुकाबला

चौमूं विधानसभा क्षेत्र भी रोचक मुकाबला वाला बनता दिख रहा है. हालांकि यहां से रामलाल शर्मा लगातार दूसरी बार विधायक हैं और शिखा मिल बराला के रूप में कांग्रेस ने नए चेहरे को टिकट दिया है, लेकिन आरएलपी के छुट्टन यादव और बसपा के कैलाश सैनी अपनी-अपनी सोशल इंजीनियरिंग के दम पर चुनाव को चतुष्कोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. हालांकि मुख्य मुकाबला रामलाल शर्मा और शिखा मिल के बीच ही माना जा रहा है.

फुलेरा में निर्मल कुमावत बीजेपी से और विद्याधर नगर विद्याधर चौधरी कांग्रेस से टिकट लेकर आमने-सामने के मुकाबले में देख रहे हैं. पिछली बार निर्मल कुमावत यहां से नजदीकी मुकाबले में जीते थे और तब बीजेपी से बागी होकर डीडी कुमावत चुनाव मैदान में थे. ऐसे में डीडी कुमावत ने जो वोट काटे वह निर्मल कुमावत को मिलते हैं तो मुकाबला उनके पक्ष में जा सकता है. लेकिन विद्याधर चौधरी के समर्थकों कहना है कि पिछली बार आरएलपी से लड़ी स्पर्धा चौधरी ने भी विद्याधर चौधरी के वोटो का बड़ा नुकसान किया था. ऐसे में इस बार मुकाबला कांटे की टक्कर का है.

जयपुर ग्रामीण में आने वाली दूदू विधानसभा सीट हालांकि अब नए जिले की शक्ल ले चुकी है और संसदीय क्षेत्र के लिहाज से अजमेर में शामिल है, लेकिन यहां पर बाबूलाल नागर और प्रेमचंद बेरवा में सीधा मुकाबला दिख रहा है. पिछली बार बाबूलाल नागर निर्दलीय के रूप में चुनाव जीत कर आए थे.

हालांकि पिछले दिनों बाबूलाल नागर के नॉमिनेशन के दिन उनकी जुबान भी फिसल गई थी. सोनिया गांधी-राहुल गांधी मुर्दाबाद का नारा भी उनकी जुबान से निकला था। लेकिन इन सबके इतर वह चुनाव मैदान में अपनी सक्रियता और लोगों को तीर्थ यात्रा कराकर पहले से ही अपनी मजबूती की कोशिश करते दिखे हैं. उधर डॉक्टर प्रेमचंद बैरवा अपनी छवि और जनता से सीधे संपर्क के चलते चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. बैरवा समर्थकों का कहना है कि दूदू की जनता इस बार बता देगी कि उसके मन में क्या है.

आशु सिंह सुरपुरा ने ताल ठोक रहे

जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र में आने वाली झोटवाड़ा सीट यूं तो शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के मिलेजुले प्रभाव वाली सीट है, लेकिन यहां भी मुकाबला रोचक हो रहा है. झोटवाड़ा में बीजेपी से पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ हैं तो कांग्रेस से NSUI के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी चुनाव मैदान में हैं. यहां बीजेपी के बागी के रूप में आशु सिंह सुरपुरा ने भी ताल ठोक रखी है.

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हालांकि आशु सिंह सुरपुरा 5 साल पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन निर्दलीय के रूप में गाड़ी 35 हज़ार वोट से कम पर ही अटक गई थी. अभिषेक चौधरी के बाहरी प्रत्याशी होने का मुद्दा भी आशु सिंह सुरपुरा और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ उठा रहे हैं. यहां मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है.अभिषेक चौधरी ने NSUI के कार्यकर्ताओं की टीम चुनाव मैदान में झोंक रखी है और अपनी टीम के दम पर ही वे यहां जीत की दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन यह सिर्फ दावे तक ही सीमित दिखती है.

आमेर सीट पर मुकाबला होगा रोचक

आमेर सीट पर भी मुकाबला रोचक है. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और प्रतिपक्ष के उप नेता सतीश पूनिया यहां से चुनावी मैदान में हैं. सिटिंग एमएलए होने के नाते पूनिया फिर से जीत का दावा कर रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रशांत शर्मा से होगा. पिछली बार भी प्रशांत शर्मा और सतीश पूनिया में ही आमेर सीट पर मुकाबला हुआ था. अगर किरोड़ी लाल मीणा सतीश पूनिया के समर्थन में प्रचार करने आते हैं, तो पूनिया को मजबूती मिल सकती है. यहां सोशल इंजीनियरिंग के दम पर दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपनी जुगत बिठाने में लगे हुए हैं.

जमवारामगढ़ सीट से दोनों ही पार्टियों ने अपने पुराने प्रत्याशियों को रिपीट किया है. बीजेपी से महेंद्र पाल मीणा का मुकाबला सिटिंग एमएलए गोपाल मीणा से होगा. हालांकि गोपाल मीणा दो बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन दोनों कार्यकाल में एक अंतराल भी आ चुका है. यहां मुकाबला आमने-सामने का है.

बस्सी में आईपीएस और पूर्व आईएएस का मुकाबला 

बस्सी में मुकाबला रोचक है. यहां पूर्व आईपीएस और पूर्व आईएएस का मुकाबला है. मौजूदा विधायक लक्ष्मण मीणा पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीते थे. जिन्हें कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशी बनाया है, तो सामने से बीजेपी के टिकट पर आए पूर्व आईएएस चंद्र मोहन मीणा से उनका मुकाबला होगा.

हालांकि यहां से जितेंद्र मीणा बीजेपी के बागी है और पूर्व विधायक अंजू धानका निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. दोनों ही मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लिहाजा बस्सी सीट अलग-अलग दावेदारों की मौजूदगी से हॉट सीट बन गई है.

चाकसू में रामवतार बैरवा बीजेपी से हैं. जिनका मुकाबला मौजूदा विधायक वेद प्रकाश सोलंकी से होगा. कांग्रेस ने वेद प्रकाश सोलंकी का टिकट रिपीट किया है। हालांकि कुछ जगह सोलंकी के खिलाफ नाराजगी देखी गई थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी को लगता है कि सोलंकी इस नाराजगी को दूर कर लेंगे. सोलंकी को पूर्व उप मुख्यमन्त्री सचिन पायलट के समर्थन से जीत का भरोसा है तो रामवतार बैरवा के समर्थन में हाल ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी जनसभा की थी.

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