Nipah Virus Infection: कोरोना के बाद भी एक ऐसा वायरस है, जो किसी भी इंसान की जान ले सकता है और इसका कोई इलाज भी नहीं है. सुअर और चमगादड़ों से फैलने वाले इस वायरस से से कोई भी इंसान 24 घंटे में ही कोमा में जा सकता है, इसलिए निपाह वायरस को लेकर भी गंभीर और सतर्क रहे है.
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Nipah Virus Infection: भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कहर मचाने वाले कोरोनावायरस को लोग अभी तक भी भूले नहीं है. वहीं एक और वायरस ऐसा है, जिसकी चपेट में आने से इंसान 24 घंटे में ही कोमा में जा सकता है. जैसे कोरोना का कोई इलाज नहीं है, वैसे ही सुअर और चमगादड़ों से फैलने वाले इस खतरनाक वायरस का भी कोई इलाज नहीं है. कोरोनाकाल के समय सरकार ने पूरी सतर्कता बरती थी और ठीक उसी तरह सरकार निपाह वायरस को लेकर भी गंभीर और सतर्क है.
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस एक खतरनाक जूनोटिक वायरस है और यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. निपाह दूषित खाने के कारण सीधा लोगों को संक्रमित करता है. निपाह उन जानवरों के माध्यम से इंसानों में फैलता है, जिनमें रीढ़ की हड्डी और कंकाल होते हैं और यह बीमारी एक इंसान से दूसरे में भी फैल जाती है. निपाह सूअर और चमगादड़ों में भी गंभीर बीमारी की वजह वन सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है. आमतौर पर निपाह एक ही जगह रहता है, लेकिन अगर कोई रोगी के संपर्क में आता है, तो यह किसी भी हद तक फैल सकता है.
क्या हैं निपाह के लक्षण?
निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में उल्टी, गले में खराश, सिरदर्द और बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते है. इसके साथ ही किसी को एन्सेफलाइटिस भी हो जाता है और चक्कर आने लगते है. कुछ लोगों में गंभीर श्वसन परेशानी और असामान्य निमोनिया जैसी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है. इसके साथ ही कुछ गंभीर स्थिति में एन्सेफलाइटिस और दौरे भी रोगी को परेशान करते है और इंसान को 24 घंटे में कोमा में भेज देते है और निपाह 4 से 14 दिन तक एक्टिव रह सकता है.
निपाह वायरस के संक्रमण के स्रोत
- संक्रमित चमगादड़ों या फिर पक्षियों की झूठी चीजें खाने से
- किसी संक्रमित रोगी से मिलने से या संक्रमित जानवरों से मिलने पर
निपाह वायरस को इग्नोर किया तो?
किसी भी संक्रमित मरीज में निपाह के लक्षण महज 5 से 14 दिनों में ही दिख जाते है और यह किसी भी रोगी में 45 दिनों तक जीवित रह सकता है. इसके साथ ही निपाह वायरस पर अगर तुरंत ध्यान नहीं दिया जाता, तो यह महज 24 घंटे में ही मरीज को कोमा में पहुंचा देता है.
कैसे करें निपाह की जांच?
निपाह की जांच आरटी-पीसीआर और एलिसा के जरिए की जा सकती है, कुछ केसों में पीसीआर और वायरल आइसोलेशन का भी उपयोग किया जाता है, जिससे रोगी के संक्रमण का पता लगता है और उसको उचित इलाज दिया जा सके.
कैसे करें निपाह वायरस से बचाव?
निपाह जैसे खतरनाक वायरस से बचाव के लिए आपको बेहद ध्यान देने की जरुरत होती है. जरा-सी लापरवाही किसी की भी जान ले सकती है, इसलिए बेहद सतर्क रहने की जरुरत है और इसके लिए टाइम-टू-टाइम अपनों हाथों को साबुन से धोना चाहिए, कच्चे खजूर के रस या फिर ताड़ी का सेवन नहीं करना चाहिए, फलों और सब्जियों का धोकर खाएं, फलों और सब्जियों को खाने से पहले विशेष ध्यान दें, जिन फलों और सब्जियों पर किसी भी पक्षी के दांत या फिर चोंच के निशान होते है उन्हें ना खाएं, मास्क पहनें, कियी भी संक्रमित चमगादड़ या फिर सुअरों के पास ना जाएं.
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निपाह कितना घातक हो सकता है?
विशेषज्ञों की मानें तो निपाह इतना घातक है कि इससे पीड़ित रोगी की 40 से 75 फीसदी तक की मौत होती ही है और इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होने के कारण यह और भी ज्यादा घातक है. बता दें कि निपाह को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के 10 सबसे खतरनाक वायरस की सूची में शामिल किया है. निपाह के होने की कई वजह हो सकती है और यह बहुत लंबे समय तक भी हो सकता है.
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