Motivation: जिंदगी नंबर नहीं है, इसलिए कभी नंबर की रफ्तार में खुद से हारना मत, IAS तुषार पर भी लोगों ने किया था कमेंट
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Motivation: जिंदगी नंबर नहीं है, इसलिए कभी नंबर की रफ्तार में खुद से हारना मत, IAS तुषार पर भी लोगों ने किया था कमेंट

Motivation: राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल कक्षा 10वीं-12वीं और  राजस्थान कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा के परिणाम जारी हो चुके हैं, इसमें कुछ छात्र सफल तो असफल हुए हैं. जो असफल हुए हैं, जिनके नंबर कम हैं उन्हे और भी मेहनत के साथ लक्ष्य के लिए जुटना है. क्योंकि जिंदगी नंबर नहीं है?

 

Motivation: जिंदगी नंबर नहीं है, इसलिए कभी नंबर की रफ्तार में खुद से हारना मत, IAS तुषार पर भी लोगों ने किया था कमेंट

Motivation: कुछ दिन पहले राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल कक्षा 10वीं-12वीं और  राजस्थान कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी किया गया है. इसमें कुछ छात्र सफल तो असफल भी हुए हैं. ये हर एक परीक्षा का निर्धारित क्रम है.आपके नंबर कम हैं, इसका मतलब ये नहीं कि आप में टैलेंट नहीं है. इसलिए ZEE राजस्थान आज आपको मोटीवेट करने के लिए कम नंबर से जुड़ा एक IAS का किस्सा शेयर कर रहा है.

 100 में से अंग्रेजी में सिर्फ 35 नंबर मिले थे

गुजरात के भरूच जिले के डीएम हैं तुषार सुमेरा. आईएएस तुषार सुमेरा सोशल माडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखते हैं कि जब वह राजकोट में पढ़ते थे तब दसवीं में उनके पासिंग नंबर ही आए थे. 100 में से अंग्रेजी में सिर्फ 35, गणित में 36 और विज्ञान में 38 नंबर मिले थे. पूरे गांव में स्कूल में कहा गया कि यह लड़का कुछ नहीं कर सकता है. लेकिन उन्होंने पढ़ाई जारी रखी.fallback अपनी जिंदगी को नंबर्स कि रफ्तार से खुद को दूर रखा. उनका कहना है कि हर व्यक्ति के अंदर कोई न कोई खूबी होती है. इसलिए हम सबको अपनी खूबी को पहचानना चाहिए. 

शिक्षक की नौकरी के साथ की थी UPSC की तैयारी
आईएएस तुषार सुमेरा ने 12वीं पास करने बाद BA की शिक्षा पूरी की.  उसके बाद BEd किया. फिर उन्हे चोटिला में शिक्षक की नौकरी मिल गई. नौकरी के साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी की तैयारी चालू रखी. फिर दिन गुजरते गए मेहनत का कारवां भी बनता गया. आखिर वो दिन भी आया जिस दिन का उनके चाहने वालों को इंतजार था. यानि तुषार सुमेरा आईएएस बन गए. आज भरूच जिले में डीएम के पद पर कार्यरत हैं.

हार कर नहीं लड़कर जीत सकते हैं
अक्सर प्रतिभागियों में कम नंबर को लेकर होड़ मची रहती है. यहां तक कि कम नंबर होने पर खाना, पीना, बात-चीत करना सब कुछ छोड़ देते हैं. कुछ तो नंबर कि रफ्तार में खुद को भी खो देते हैं. क्या आपकी जिंदगी के सारे फैसले नंबर पर ही डिजर्व करते हैं. इसलिए आपकी जिंदगी नंबर नहीं है. जीतने के लिए लड़ना जरूरी होता है. इसलिए अपनी असफलताओं से लड़ते रहिए. सफलता के लिए आखिरी सांस तक संघर्ष करिए. 

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