जयपुर: पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों के बाद इलेक्ट्रिक विंग ने भी खोला मोर्चा, इस वजह से सड़कों के काम अटके
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जयपुर: पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों के बाद इलेक्ट्रिक विंग ने भी खोला मोर्चा, इस वजह से सड़कों के काम अटके

jaipur: पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों के बाद इलेक्ट्रिक विंग ने भी मोर्चा खोला दिया है. आपको बता दें कार्य के बहिष्कार की वजह से जयपुर में सड़कों के काम अटके हुए हैं.दो माह से निविदाओं में ठेकेदार नहीं कर रहे आवेदन.

 

जयपुर: पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों के बाद इलेक्ट्रिक विंग ने भी खोला मोर्चा, इस वजह से सड़कों के काम अटके

jaipur: जयपुर में 34 सूत्रीय मांगों को लेकर पीडब्ल्यूडी सिविल ठेकेदारों के बाद अब इलेक्ट्रिक विंग से जुडे ठेकेदारों ने भी कार्य बहिष्कार कर दिया हैं.यूनाइटेड कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन राजस्थान के अध्यक्ष बीएस राव का कहना है कि सरकार ठेकेदार संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ समझौता वार्ता कर चुकी है, लेकिन उसको लागू नहीं रही हैं.

हमारी लड़ाई जायज मांगों को लेकर है. समाधान होने तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा.उन्होने कहा की 47वीं जीएसटी काउंसिल में निर्माण कार्य ठेकेदारों पर 12 प्रतिशत जीएसटी दर तय की थी.अब इसे 6 प्रतिशत बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर गया है.ठेकेदारों की मांग है कि मध्यप्रदेश,कर्नाटक,महाराष्ट्र में जीएसटी की नई रेट बढ़ने से पहले जारी वर्क ऑर्डर में ठेकेदार को राहत देते हुए बढ़ी हुई जीएसटी का भुगतान सरकार कर रही है.

 ऐेसा ही राजस्थान में होना चाहिए.डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (डीएलपी) को 5 से घटा कर फिर 3 वर्ष करने की मांग की जा रही हैं.रजिस्ट्रेशन दो साल में नवीनीकरण की प्रक्रिया को निरस्त कर स्थायी किया जाए.

उन्होने कहा की भले ही विधानसभा चुनाव 2023 से पहले जहां केंद्र और प्रदेश सरकार निर्माण कामों को तेजी से पूरा कर जनता को साधने की रणनीति बना रही है.ठेका एजेंसियों ने नया काम लेने से इनकार कर दिया है.यूनाइटेड कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन राजस्थान से जुड़े ठेकेदारों ने अपनी मांगों का मुद्दा उठाते पिछले दो माह से जयपुर में मोर्चा खोल रखा है.

 प्रगति रिपोर्ट भी शून्य है
इसके चलते प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की 1745.73 करोड़ की 266 और प्रदेश सरकार द्वारा बजट 2023 में घोषित 6500 करोड़ की 165 सड़कें अटक गई हैं.सरकार ने पिछले दो माह में कुल 431 सड़कों में से करीब 350 के 7500 करोड़ के टेंडर निकाले.लेकिन एक भी ठेकेदार ने आवेदन नहीं किया.

सरकारी बिल्डिंगों के निर्माण कार्यों की प्रगति रिपोर्ट भी शून्य है.समझौता पत्र लागू नहीं करने के चलते ठेकेदारों के साथ में श्रमिकों की रोजी रोटी पर संकट आ गया हैं.

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