Temple of Kota: लक्ष्मीपुरा पंचायत क्षेत्र में बाणगंगा नदी किनारे स्थित हांडीपाली पालेश्वर महादेव मंदिर भी भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरो मे से एक हैं, यह मंदिर अपने आप में कला और खूबसूरती का इतिहास अपने में समाए हुए हैं. ऐसी कई मान्य़ता है जो ये सिद्ध करती है कि इसे पांडवों ने बनवाया था.
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Rajasthan News: राजस्थान के कोटा संभाग में लक्ष्मीपुरा पंचायत क्षेत्र में बाणगंगा नदी किनारे स्थित हांडीपाली पालेश्वर महादेव मंदिर भी भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरो मे से एक हैं, यह मंदिर अपने आप में कला और खूबसूरती का इतिहास अपने में समाए हुए हैं. ऐसी कई मान्य़ता है जो ये सिद्ध करती है कि इसे पांडवों ने बनवाया था. यहां का इतिहास लोगों को विचलित कर देता है और इस मंदिर पर भक्तों की आस्था भी अपार है. यह मंदिर भी अपने आप में वर्षो पुराने इतिहास समाए हुए है.
36 कलात्मक खंभों का संग्रह
ये शिव मंदिर लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की भक्ति के लिए आते हैं. शिल्प कला के बेजोड़ नमूने को दर्शाते हुए 36 कलात्मक खंभों पर पालेश्वर महादेव मंदिर खड़ा है. मंदिर के शिखर पर और खंभों पर महिषासुर मर्दिनी, कार्तिकेय, मयूर, नटराज की विभिन्न भाव भंगिमाओं का चित्रण करती हुई मूर्तियों को कुशलता के साथ उकेरा गया है. ये यहां आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं. यहां लगी हुई मूर्तियां कोणार्क और खजुराहों से मेल खाती हैं.
पांडवों ने अज्ञातवास में यहां बिताया था समय
प्राचीन मान्यता यह है कि महाभारत के समय में पांडव अज्ञातवास के समय पांडव यहां आए थे और एक ही रात में शिव मंदिर का निर्माण किया था. इसके बाद से ही इस शिव मंदिर का नाम हांडीपाली के पालेश्वर महादेव मंदिर पड़ा. यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है. लेकिन पुरातत्व विभाग का इस मंदिर की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं है. यहां लगी बेशकीमती मूर्तियां भी कई सालो से चोरी होती आई हैं. देखरेख के अभाव में मंदिर अपना गौरवशाली वैभव खोता जा रहा है. मंदिर के शिखर व खंभों पर लगी मूर्तियां खंडित हो गई हैं और अधिकांश मूर्तियां चोर चुरा ले गए हैं.
शिवरात्रि पर होता है मेले का आयोजन
स्थानीय निवासी और मंदिर की देखरेख करने वालो के अनुसार हांड़ीपाली महादेव मंदिर में लाखों लोगों की मन्नते पूरी होती है, साथ ही साथ यह मंदिर लाखों लोगो की आस्था का भी केंद्र है. यहां हर साल शिवरात्रि पर्व पर बड़े स्तर पे मेले का आयोजन भी किया जाता है. इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश के अलग अलग शहरों से लाखों श्रद्धालु पहुंचते है और भगवान शिव की आराधना करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं. मंदिर के सामने से ही बाणगंगा बहती है. बाणगंगा की जलधारा में स्नान करके श्रद्धालु पुण्य प्राप्त करते हैं.
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