जयपुर महानगर की स्थायी लोक अदालत ने राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग को आदेश दिए हैं कि वह परिवादी की पत्नी के इलाज में खर्च हुई 2.50 लाख रुपए की राशि का एक माह में भुगतान करे. अदालत ने कहा कि यदि एक माह में इस राशि का भुगतान नहीं होता है तो अदायगी तक सात फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा.
Trending Photos
Jaipur News: महानगर की स्थायी लोक अदालत ने राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग को आदेश दिए हैं कि वह परिवादी की पत्नी के इलाज में खर्च हुई 2.50 लाख रुपए की राशि का एक माह में भुगतान करे. अदालत ने कहा कि यदि एक माह में इस राशि का भुगतान नहीं होता है तो अदायगी तक सात फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा. अदालत ने यह आदेश डॉ. पवन पूनिया के परिवाद पर दिए.
परिवाद में कहा गया कि उसकी गर्भवती पत्नी को अचानक तबीयत खराब होने पर जुलाई 2017 में दुर्लभ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दौरान इलाज में एक लाख 90 हजार 991 रुपए खर्च हुए. वहीं पुन: बीमार होने पर अगस्त, 2017 में उसे फिर से इस अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज में एक लाख 46 हजार 166 रुपए का खर्च आया. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने तय समय में ऑनलाइन ऑफ लाइन माध्यम से क्लेम के लिए मय दस्तावेज आवेदन कर दिया था, लेकिन विभाग ने एक क्लेम के 50 हजार रुपए स्वीकृत किया और दूसरे क्लेम को खारिज कर दिया.
ये भी पढ़ें- Rajasthan: प्रदेश में महंगाई राहत कैंप का आगाज, सीएम ने लाभार्थियों को सौंपे गारन्टी कार्ड, 30 जून तक चलेंगे कैम्प
जबकि दोनों क्लेम एक ही अस्पताल से संबंधित हैं. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने विभाग में परमावश्यक प्रमात्र पत्र भी पेश कर दिया था. जिसमें अनुसार गंभीर हालत होने पर मरीज को निकटतम अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है. इसके बावजूद बीमा क्लेम नहीं देकर विभाग ने सेवादोष कारित किया है. इसलिए उसे 2 लाख 87 हजार रुपए की क्लेम राशि ब्याज सहित दिलाई जाए.
जिसका विरोध करते हुए विभाग की ओर से कहा गया कि टीपीए दावे की अधिकतम 50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी. ऐसे में कोई सेवादोष कारित नहीं हुआ है, इसलिए दावा खारिज किया जाए. दोनों पक्षों को सुनकर अदालत ने इलाज में खर्च 2.50 लाख रुपए परिवादी को एक माह में अदा करने को कहा है.