अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वे इस संबंध में अपना अभ्यावेदन आयुक्त के समक्ष पेश करें. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यदि निगम आयुक्त याचिकाकर्ता के दावे को स्वीकार नहीं करें तो याचिकाकर्ता तय कानूनी प्रक्रिया अपना सकते हैं.
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Jaipur: ग्रेटर नगर निगम की ओर से दिए यूडी टैक्स के नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट के पूर्व जज हाईकोर्ट पहुंच गए हैं, जिस पर अदालत ने ग्रेटर निगम निगम के आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि वे मामले को नगर पालिका अधिनियम के तहत चार सप्ताह में तय करें.
वहीं, अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वे इस संबंध में अपना अभ्यावेदन आयुक्त के समक्ष पेश करें. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यदि निगम आयुक्त याचिकाकर्ता के दावे को स्वीकार नहीं करें तो याचिकाकर्ता तय कानूनी प्रक्रिया अपना सकते हैं. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश एसके केशोट की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि पूर्व हाईकोर्ट जज और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता याचिकाकर्ता ने इंदिरा गांधी नगर के पास एक रजिस्ट्री के जरिए दो फ्लैट खरीदे थे. इसमें 412 वर्ग मीटर के फ्लैट में उनका ऑफिस चलता है. नगर निगम ने तीन सौ वर्गगज मकान और पंद्रह सौ वर्गमीटर आकार वाले फ्लैट को यूडी टैक्स से मुक्त कर रखा है.
इसके बावजूद ग्रेटर नगर निगम की ओर से उनके 412 वर्ग मीटर के फ्लैट को व्यावसायिक बताकर यूडी टैक्स वसूली का नोटिस जारी कर दिया. याचिका में कहा कि अधिवक्ता का ऑफिस व्यावसायिक श्रेणी में नहीं आता. इसके अलावा इसका आकार भी तय सीमा से कम है. याचिकाकर्ता की ओर से निगम को कई बार लिखित आपत्तियां भी पेश की जा चुकी हैं, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में निगम की ओर से भेजे गए यूडी टैक्स नोटिस को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने निगम आयुक्त को चार सप्ताह में प्रकरण को तय करने को कहा है.
Reporter- Mahesh Pareek
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