स्टेम सेल प्रत्यारोपण से ब्लड कैंसर और थैलेसेमिया के इलाज में बड़ी मदद मिलेगी. यह प्रक्रिया बोन मैरो ट्रांसप्लांट से सरल और काफ़ी सस्ती है. निजी अस्पतालों में मरीजों को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में अब यह निशुल्क किया जाएगा.
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जयपुर: आधुनिक इलाज की दिशा में जयपुर के एसएमएस अस्पताल ने एक और कदम बढ़ा दिया है. अब राजस्थान के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में पहली बार स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की शुरुआत हो गई है. इसका सबसे ज्यादा फायदा कैंसर पेशेंट्स को मिलेगा, जिन्हें अब निजी सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों की दौड़ नहीं लगानी होगी. एसएमएस में प्रदेश का बुधवार को पहला स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया. राजस्थान में सरकारी मेडिकल कॉलेज का यह पहला ट्रांसप्लांट है.
एसएमएस अस्पताल ट्रोमा सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग धाकड ने बताया कि सेंटर में स्थित ब्लड बैंक में राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालयों में पहली बार रक्ताल्पता की बीमारी जो कि एप्लास्टिक एनीमिया कहलाती है के केस में स्टेम सेल प्रत्यारोपण हुआ. नक़्श पुत्र भगवान सहाय निवासी आँधी ज़िला अलवर नाम का एक बच्चा जो कि 7 साल का है इसका स्टेम सेल प्रत्यारोपण किया गया है.
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निजी अस्पतालों में लाखों रुपये होते हैं खर्च
इस प्रत्यारोपण में मरीज़ की बड़ी बहन नेहा उम्र 11 वर्ष ने अपने रक्त से स्टेम सेल डोनेट की. इस स्टेम सेल प्रत्यारोपण से ब्लड कैन्सर और थैलेसेमिया के इलाज में बड़ी मदद मिलेगी. यह प्रक्रिया बोन मैरो ट्रांसप्लांट से सरल और काफ़ी सस्ती है. निजी चिकित्सालयों में मरीज को इस ट्रांसप्लांट के लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन यह ट्रांसप्लांट मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत पूर्णतः निशुल्क किया गया है.
डॉक्टरों की ये टीम रही मौजूद
यह स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एसएमएस मेडिकल कॉलेज के पैथोलोज़ी विभाग के हैड डॉ. अमित शर्मा , ट्रौमा सेंटर ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. पर्मेंद्र पचौरी के निर्देशन में उनकी टीम ,डॉ. सरिता शर्मा, डॉ. दुर्गेश तिवाड़ी नर्सिंग अधीक्षक रामपाल बुनकर सहित अन्य डॉक्टर्स व चिकित्साकर्मी ने मिलकर इस ट्रांसप्लांट में भूमिका निभाई. इस मौके पर एसएमएस चिकित्सालय के अधीक्षक डॉक्टर अचल शर्मा , उपाधीक्षक डॉ. जगदीश मोदी अन्य डॉक्टर्स व चिकित्साकर्मी उपस्थित रहे.