जलदाय विभाग में बड़ा खेल, 1 कार्य आदेश के अनुभव प्रमाण पत्र 5 बार लगाए, कांट-छाट की
Advertisement

जलदाय विभाग में बड़ा खेल, 1 कार्य आदेश के अनुभव प्रमाण पत्र 5 बार लगाए, कांट-छाट की

पीएचईडी में मैसर्स बीएसआर कॉपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के फर्जी रजिस्ट्रेशन के बाद अब इसी फर्म के फर्जी अनुभव प्रमाण का मामला उजागर हुआ है.बीएसआर फर्म के फर्जी रजिस्ट्रेशन के साथ साथ अनुभव प्रमाण पत्रों में भी हेराफेरी की शिकायत हुई है.

जलदाय विभाग में बड़ा खेल, 1 कार्य आदेश के अनुभव प्रमाण पत्र 5 बार लगाए, कांट-छाट की

Jaipur News : जलदाय विभाग में फर्मो के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र का मामला लगातार विवादों में घिरता जा रहा है. गणपति,श्री श्याम,बजरंगबली के बाद BSR फर्म के रजिस्ट्रेशन के बाद अनुभव प्रमाण पत्रों पर भी सवाल खड़े हो रहे है, आखिर कैसे PHED की फर्मे सरकार को चूना लगा रही है.

पूरे मामले की गहनता से जांच

कहते है ना जब नींव ही झूठ की बुनियाद पर टिकी हो तो वो ईमारत ज्यादा दिन टिक नहीं पाती..पीएचईडी में कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है.मैसर्स बीएसआर कॉपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के फर्जी रजिस्ट्रेशन के बाद अब इसी फर्म के फर्जी अनुभव प्रमाण का मामला उजागर हुआ है.बीएसआर फर्म के फर्जी रजिस्ट्रेशन के साथ साथ अनुभव प्रमाण पत्रों में भी हेराफेरी की शिकायत हुई है.बीएसआर फर्म ने एक वर्क आर्डर के कार्य अनुभव के 5 बार प्रमाण पत्र लगाए है.उधर जलदाय विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल के शिकायत के बाद उपसचिव गोपाल सिंह पूरे मामले में गहनता से जांच कर रहे है.

9 नंबरी का खेल

मैसर्स बीएसआर फर्म ने एनआईटी नंबर 9,2018—19 के एक ही कार्य अनुभव के प्रमाण पत्र का 5 बार उपयोग में लिया.जयपुर नार्थ-4 में 2019 से 2021 तक अनुभव प्रमाण पत्र में हेराफेरी कर टैंडर हासिल किए. यानि जलदाय विभाग में निकली निविदाओं में नियम शर्तों को पूरा करने के लिए अपने हिसाब से प्रमाण पत्रों में हेराफेरी की.

1 ही अनुभव प्रमाण पत्र 5 बार लगाए

तारीख                      एनआईटी नंबर  

09 मई,2019                    09/2018-19    

15 जुलाई,2019                09/2018-19

21 जनवरी,2020              09/2018-19

09 अप्रैल,2020                09/2018-19

05 अगस्त,2021               09/2018-19

प्रमाण पत्र में कांट-छांट

फर्म के 6 अगस्त 2021 को जारी किए अनुभव प्रमाण पत्र में एनआईटी नंबर 1 में 1,60,84,294 के कार्य का जिक्र किया गया.जबकि 24 फरवरी 2023 को जारी किए गए इसी एनआईटी के प्रमाण पत्र में 1,80,64,294 के कार्य का दर्शाया गया,ऐस में सवाल ये है कि कौना प्रमाण पत्र सही,कौनसा गलत? क्या प्रमाण पत्र में कांटछांट कर करोडों के टैंडर लिए? महेश नगर में इसी फर्म द्वारा किए गए घटिया टयूबवेल निर्माण कार्य को लेकर सवाल उठे थे. विवादों में रही फर्म की उस समय तत्कालीन मुख्य अभियंता सतर्कता एवं प्रशासन संदीप शर्मा ने काम को रोक कर जांच की थी.वाकई रजिस्ट्रेशन से लेकर प्रमाण पत्र लेने से लेकर टैंडर लेकर काम करना,कई सवाल खडे कर रहे है,ऐसे में क्या फर्म के साथ साथ कई इंजीनियर की मिलीभगत भी हो सकती है?

Trending news