संकट में अशोक गहलोत की योजना, 80 लाख लाभार्थियों को लग सकता है झटका
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संकट में अशोक गहलोत की योजना, 80 लाख लाभार्थियों को लग सकता है झटका

मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना की सफलता पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं. प्रदेश के 80 लाख पशुओं की इस बीमा योजना को लॉन्च हुए तो 15 दिन का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक महज 350 पशुओं का ही बीमा हो सका है.

संकट में अशोक गहलोत की योजना, 80 लाख लाभार्थियों को लग सकता है झटका

Mukhymantri Kamdhenu Pashu Bima Yojana: मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना की सफलता पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं. प्रदेश के 80 लाख पशुओं की इस बीमा योजना को लॉन्च हुए तो 15 दिन का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक महज 350 पशुओं का ही बीमा हो सका है. पशु चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से बीमा नहीं हो रहे हैं. ऐसे में पशुपालक अब मुख्यमंत्री संपर्क हैल्पलाइन 181 पर भी शिकायतें कर रहे हैं.

देश के किसी राज्य में पहली बार शुरू की गई पशुधन की बीमा योजना एक नजीर साबित हो सकती है. लेकिन पशु चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच खींचतान से यह योजना शुरू ही नहीं हो पा रही है. मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना को लॉन्च हुए 15 दिन का समय बीत चुका है. 6 सितंबर को भीलवाड़ा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना की लाॅन्चिंग की थी.

लॉन्चिंग के बाद 15 दिन में महज 350 पशुओं की ही बीमा पॉलिसी जारी हो सकी हैं. जबकि योजना के मुताबिक 80 लाख पशुओं का बीमा किया जाना है. राज्य सरकार ने एसआईपीएफ को बीमा के लिए अधिकृत किया है और बीमा के लिए पशुओं का पंजीयन पशुपालन विभाग के चिकित्सकों के माध्यम से किया जाना है. लेकिन नॉन प्रैक्टिस अलाउंस दिए जाने की मांग को लेकर पशु चिकित्सक लॉन्चिंग के साथ ही योजना का बहिष्कार कर रहे हैं. 18 सितंबर से पशुपालन विभाग के लगभग सभी 2 हजार पशु चिकित्सकों ने सामूहिक अवकाश ले लिया है. इस कारण योजना में पशुओं का बीमा पूरी तरह ठप हो गया है.

किसलिए महत्वपूर्ण है यह बीमा योजना ?

- 750 करोड़ रुपए लागत की है यह पशु बीमा योजना

- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 300 करोड़ रुपए का किया गया प्रावधान

- SIPF को पहले चरण में 50 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया

- 40 लाख पशुपालकों के करीब 80 लाख दुधारू पशुओं का होगा बीमा

- एक पशुपालक के अधिकतम 2 पशुओं का बीमा किया जा सकेगा

- एक पशु का अधिकतम 40 हजार रुपए का बीमा किया जाएगा

- पशु चिकित्सक पशु की नस्ल, उम्र, दुग्ध उत्पादन क्षमता और स्वास्थ्य का आकलन करेगा

- 12 डिजिट के यूआईडी टैग से पशु के 3 फोटो के साथ बीमा पंजीयन होगा

- विभाग द्वारा नामित अधिकारी के हस्ताक्षर से बीमा पॉलिसी जारी होगी

- बीमा पॉलिसी का मैसेज पशुपालक के मोबाइल पर भी भेजा जाएगा

- पशु चिकित्सकों की हड़ताल से अभी मात्र 350 पॉलिसी जारी हो सकी हैं

मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना में जो 350 पशु चिकित्सकों काे बीमा पॉलिसी जारी हुई हैं, वे भी उन्हीं पशुपालकों की हैं, जो लाॅन्चिंग के दिन की गई थी. इसके बाद के दिनों में बीमा पॉलिसी जारी नहीं हो पा रही हैं. इन दिनों जब किसी बीमारी की वजह से और पशु चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से पशुओं को उपचार नहीं मिलने से उनकी मौत हो रही है. तो पशुपालक शिकायत स्वरूप और बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए राजस्थान सरकार की संपर्क हैल्पलाइन 181 पर फोन कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक ऐसी दर्जनों शिकायतें अब तक संपर्क पोर्टल पर प्राप्त हाे चुकी हैं. लेकिन चूंकि ऐसे पशुपालकों की पॉलिसी नहीं हो सकी है, ऐसे में उन्हें बीमा क्लेम के रूप में भी कुछ नहीं मिलेगा.

कुलमिलाकर इस बीमा योजना का फायदा आमजन को तभी मिल सकेगा, जब पशु चिकित्सक काम पर लौटें. पशु चिकित्सकों की हड़ताल के चलते बीमा पॉलिसी जारी करने का कार्य पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. चूंकि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार केवल पशु चिकित्सकों ही है, ऐसे में पशु चिकित्सकों से वार्ता कर ही इस समस्या का समाधान संभव है.

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