बाड़मेर में एक बंदर की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने हिंदू रीति रिवाज से अंतिम यात्रा निकालकर उसका अंतिम संस्कार किया.
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Barmer: बाड़मेर शहर में मानवता की बेहद मार्मिक तस्वीर देखने को मिली है. शहर में मंगलवार को एक बंदर की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने हिंदू रीति रिवाज से बंदर की अंतिम यात्रा निकालकर उसका अंतिम संस्कार किया. इस दौरान बंदर की आरती की गई और फूल मालाओं से सजा कर, गुलाल लगाया गया. जानकारी के अनुसार शहर के शास्त्री नगर में पिछले चार-पांच महीने से एक नीम के पेड़ पर बंदर रहता था और मोहल्ले के लोग ही उसे खाना देते थे. कल अचानक बंदर की तबीयत खराब हो गई और बंदर को मायूसी में बैठे देख स्थानीय लोग भी पहुंचे और फल फ्रूट बंदर को खाने के लिए दिए लेकिन बंदर ने कुछ भी नहीं खाया.
बंदर की तबीयत बहुत ज्यादा नासाज लग रही थी और मंगलवार सुबह जब स्थानीय लोग उठे तो बंदर की मौत हो गई थी. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने बजरंग दल के लोगों को सूचना दी और बजरंग दल व स्थानीय लोगों ने गंगाजल से बंदर के शव को स्नान करवाया फूल व गुलाल से अर्थी को सजाया गया और उसके बाद पूरे शहर में अंतिम शव यात्रा निकालकर सार्वजनिक मोक्ष धाम ले जाया गया. जहां पर बंदर के शव का दाह संस्कार किया.
स्थानीय मौहल्ले वालों ने बताया कि मंगलवार को हनुमान का वार माना जाता है और हिंदू समाज में बंदर का बड़ा महत्व है. इस कारण बंदर को हनुमान जी की सेना के रूप में माना जाता है. हमारे मोहल्ले में वह बंदर परिवार के सदस्यों की तरह था, इसलिए आज बंदर का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया गया.
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