Jodhpur News: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में आयोजित हो रहे एक नेशनल कॉन्फ्रेंस में लोगों को संबोधित किया. उन्होंने निजी लॉ कॉलेज द्वारा दी जा रही लॉ डिग्री और उनकी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है.
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Jodhpur News: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में आयोजित हो रहे एक नेशनल कॉन्फ्रेंस में लोगों को संबोधित किया. उन्होंने निजी लॉ कॉलेज द्वारा दी जा रही लॉ डिग्री और उनकी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर (एनएलयूजे) में "भारत में विधि शिक्षा का भविष्य" विषय पर कुलपतियों का दो दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ.
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संदीप मेहता अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति एम.एम. श्रीवास्तव (कुलाधिपति, एनएलयूजे और मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय) में दीप प्रज्वलित कर शुरुआत की.
सम्मेलन में भारत के विभिन्न राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के 22 कुलपति भी भाग ले रहे हैं. सम्मेलन विधि शिक्षा के क्षेत्र में उभरते परिवर्तनों और चुनौतियों पर व्यापक चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करेगा. सम्मेलन के दौरान, "वैश्वीकरण की अर्थव्यवस्था में विधिक विशेषज्ञता का विकास" जैसे उप-विषयों पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी. इस कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत विद्वत्तापूर्ण विचारों और निष्कर्षों को "एनएलयूजे लॉ रिव्यू" के विशेष संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा, जो विधि शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करेगा.
कार्यक्रम में राजस्थान हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉक्टर पुष्पेंद्र सिंह भाटी न्यायाधीश दिनेश मेहता न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग न्यायाधीश अविनाश झिंगन, न्यायाधीश मुन्नरी लक्ष्मण, न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास न्यायाधीश रेखा बोराणा, न्यायाधीश कुलदीप माथुर, न्यायाधीश डॉ नुपुर भाटी सहित न्यायिक जगत से जुड़े कई लोग मौजूद रहे.
इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संदीप मेहता ने संबोधित करते हुए कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना करने का उद्देश्य देश के जस्टिस सिस्टम को मजबूत करना था, लेकिन समय के साथ इसका उद्देश्य से कहीं ना कहीं गौण हो गया है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य युवा प्रतिभा को देश की न्याय प्रणाली में लाना था, नेशनल यूनिवर्सिटी का उद्देश्य न्याय शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना और कानूनी पेशवारों को तैयार करना है.
विश्वविद्यालय के युवा प्रतिभा ज्यादातर कॉरपोरेट लॉ फॉर्म में जाने लगे. इस कारण प्प्रतिभावान युवाओं का ध्यान कोर्ट के प्रोसिडिंग की तरफ न रहकर सिर्फ कॉरपोरेट में ही रह गया. यंग प्रोफेशनल्स का ध्यान सिर्फ फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और अच्छे प्लेसमेंट तक ही सीमित रह गया है. उन्हें उसे तरह से ट्रेंड किया जाने लगा कि वह फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और बेहतर प्लेसमेंट ले सकें.
उन्होंने आगे कहा कि इस सत्य से नकारा नहीं जा सकता की आज पूरा न्याय प्रणाली निजी कानूनी कॉलेज के कारण, जो को डिग्रियों को बेचते हैं, पीड़ित है. इसके साथ ही बार काउंसिल का एक बड़ा फेलियर है कि यह इस तरह के बोगस कॉलेज को रोकने में असफल रहा है. यही कारण है कि इतनी बड़ी संख्या में पास होने वाले लॉ स्टूडेंट्स को बेसिक ट्रेनिंग भी नहीं मिल पा रही.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत ने संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी के लिए आवश्यक है कि हमारे न्याय प्रणाली को आगे की 50 वर्षों के लिए हमें क्या आवश्यकता है इसे पहचानें. हमें सोचने की आवश्यकता है कि यह शिक्षा हम किसके लिए दे रहे हैं. हमें यह भी सोचने की आवश्यकता है कि कौन से क्लास कमेटी और कंज्यूमर सिस्टम द्वारा स्थापित किया जाना है.