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Rajasthan Election Gurjar's Mandate: राजस्थान में 16वीं विधानसभा के लिए जनता ने अपना फैसला सुना दिया है और इसी के साथ ही एक बार फिर सूबे की सत्ता में भाजपा की वापसी होने जा रही है, लेकिन जिस सचिन पायलट फेक्टर के चलते कांग्रेस पिछली दफा सत्ता तक पहुंची थी, इस बार इसी फेक्टर पर गुर्जरों ने वोट चोट की है.
दरअसल राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस मर्तबा कुल 9 गुर्जर विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं, जिनमें से दो कांग्रेस, एक बसपा और 6 भाजपा के कोटे से है.यानी साफ है कि इस बार गुर्जर मतदाताओं ने भाजपा का साथ दिया और कांग्रेस को वोट की चोट दी. 2018 के विधानसभा चुनाव में गुर्जर समाज कांग्रेस के साथ नजर आया था, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस गुर्जरों को साधने में नाकामयाब साबित हुई, सियासी विश्लेषकों ने इसका अंदाजा पहले ही जता दिया था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री ना बनाए जाने से गुर्जर मतदाताओं में खासा रोष है, जिसकी बानगी चुनावी नतीजे में भी देखने को मिली.
सचिन पायलट - टोंक (INC),
अशोक चांदना - हिंडौली (INC),
जसवंतसिंह गुर्जर - बाड़ी (BSP),
धर्मपाल गुर्जर - खेतड़ी (BJP),
सुरेश गुर्जर - खानपुर (BJP),
हंसराज पटेल - कोटपूतली (BJP),
जवाहर बेढम - नगर (BJP),
उदयलाल भड़ाना - मांडल (BJP),
दर्शन गुर्जर - करौली (BJP),
इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से कुल 11 प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतार था तो वहीं भाजपा ने भी 10 गुर्जर उम्मीदवारों को टिकट दिया था। सबसे खास यह भी रहा कि जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर एक भी गुर्जर विधायक ने जीत दर्ज नहीं की थी, तो वहीं कांग्रेस के आठ गुर्जर उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे थे. हालांकि इस बार स्थिति बदल गई और 6 भाजपा के गुर्जर उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं कांग्रेस से सिर्फ सचिन पायलट और अशोक चांदना ही जीत दर्ज कर सके, जबकि शकुंतला रावत, गजराज खटाना, इंद्राज गुर्जर, जोगिंदर अवाना जैसे नेताओं को जनता ने हार का स्वाद चखा दिया.
इसी साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुर्जर समाज के लोक देवता देवनारायण भगवान की जन्मस्थली पहुंचकर उन्हें नमन किया था. इस दौरान उन्होंने लोक देवता देवनारायण भगवान की 1,111 "महोत्सव पर गुर्जर मतदाताओं को संबोधित भी किया था. इसके बाद गुर्जरों का झुकाव भाजपा की ओर दिखाई देने लगा था.