1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: मामले में आखिरी गवाह सीबीआई DYSP का बयान दर्ज, 2 मार्च को होगी अगली सुनवाई
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1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: मामले में आखिरी गवाह सीबीआई DYSP का बयान दर्ज, 2 मार्च को होगी अगली सुनवाई

1993 Serial Bomb Blast: 1993 में बाबरी मस्जिद गिराने की बरसी पर किए गए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में गुरूवार को टाडा कोर्ट में गवाह सीबीआई DYSP का बयान दर्ज किया गया, जिसके बाद अब  गए.

1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: मामले में आखिरी गवाह सीबीआई DYSP का बयान दर्ज, 2 मार्च को होगी अगली सुनवाई

1993 Serial Bomb Blast: 1993 में बाबरी मस्जिद गिराने की बरसी पर किए गए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में गुरूवार को टाडा कोर्ट में अंतिम गवाह के बयान दर्ज किए गए । इस दौरान आतंकी अब्दुल करीम टुंडा, इरफान अहमद हमीदुद्दीन को टाडा कोर्ट में पेश किया गया. जहां न्यायालय के समक्ष सभी आतंकी हमले के आरोपियों को पेश किया गया.

 इस दौरान मामले में अंतिम गवाह तत्कालीन सीबीआई डीएसपी बीडी मीणा का बयान भी दर्ज किया गया. इस आखिरी बयान के बाद अब सभी मुलाजिमों के बयान दर्ज किए जाएंगे. जिसे लेकर कोर्ट ने आगामी 2 मार्च की तारीख तय की गई है.

बता दें कि इस मामले में अब तक 65 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं . अधिवक्ता अब्दुल रशीद ने बताया कि बाबरी मस्जिद गिराने की बरसी के बाद देश के अलग-अलग स्थानों पर 5 सिलसिलेवार बम धमाके किए गए थे. इन बम धमाकों को लेकर आतंकी अब्दुल करीम टुंडा इरफान अहमद हमीदुद्दीन को आरोपी बनाया गया और लगातार इस मामले में टाडा कोर्ट में सुनवाई की गई. अब तक इस मामले में 65 लोगों की बयान दर्ज किए जा चुके हैं. इसमें जांच अधिकारी और तत्कालीन सीबीआई डीएसपी बीडी मीणा के बयान दर्ज किए गए हैं . यह इस मामले में आखरी बयान था. इसके बाद आगामी 2 मार्च को मुलजिम बयान दर्ज किए जाएंगे. गौरतलब है कि आतंकी अब्दुल करीम टुंडा पर आतंकी संगठन के सदस्य होने के साथ ही कई स्थानों पर बम धमाकों में शामिल होने का आरोप है...

पिलखुवा का रहने वाला है आतंकी टुंडा

अब्दुल करीम उर्फ टुंडा उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के कस्बा पिलखुवा का रहने वाला है. अपने जीवन की शुरुआत में वह पिलखुवा कस्बे में कारपेंटर (बढ़ई) का काम करता था, लेकिन चला नहीं. इसके बाद कपड़े का कारोबार करने मुंबई चला गया. मुंबई के भिवंडी इलाके में उसके कुछ रिश्तेदार रहते थे. 1985 में भिवंडी के दंगों में उसके कुछ रिश्तेदार मारे गए. इनका बदला लेने के लिए उसने आतंकवाद की राह पकड़ी. 1980 के आसपास वह आतंकी संगठनों के संपर्क में आया.

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