Waqf Row: 'नई संसद भी हमारी...', मंदिर, गांव, सड़क के बाद सीधे पार्लियामेंट पर ठोका दावा, 'वक्फ' के नाम पर हवा में तीर चला रहे लोग
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Waqf Row: 'नई संसद भी हमारी...', मंदिर, गांव, सड़क के बाद सीधे पार्लियामेंट पर ठोका दावा, 'वक्फ' के नाम पर हवा में तीर चला रहे लोग

Waqf Board: अजमल ने कहा, 'JPC को संदेश भेजकर वक्फ बिल का विरोध किया है'. हालांकि वो अपनी कई बातों का सबूत पेश नहीं कर पाए. इस तरह के बयान बताते हैं कि वक्फ के समर्थन में कुछ लोग हवा में तीर चला रहे हैं. सवाल ये भी है कि वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill 2024) से आखिरकार इतनी दिक्कत क्यों है?

Waqf Row: 'नई संसद भी हमारी...', मंदिर, गांव, सड़क के बाद सीधे पार्लियामेंट पर ठोका दावा, 'वक्फ' के नाम पर हवा में तीर चला रहे लोग

Waqf Amendment Bill: नया संसद भवन काफी समय बाद एक बार फिर सुर्खियों में है. अब आप सोच रहे होंगे कि हम संसद की बात क्यों कर रहे हैं. तो इसकी वजह ये है कि AIUDF के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल (adruddin Ajmal) ने दावा किया है कि नया संसद भवन वक्फ की ज़मीन पर बना है. सरकार वक्फ की ज़मीन हड़पना चाहती है. बदरूद्दीन ने और भी कुछ ऐसा बयान दिया कि उस पर नया सियासी तूफान छिड़ गया है. इस पूरी बयानबाजी को लेकर हैरानी की बात ये भी रही कि  जिस संसद में वक्फ संशोधन बिल को पेश किया जाना है. उसी संसद की नई इमारत को लेकर पूर्व सांसद बदरुद्दीन ने चौंकाने वाला दावा करके विवाद खड़ा कर दिया. 

अजमल ने कहा- 
नया संसद भवन वक्फ की जमीन पर बना है.
सरकार ज़मीन हड़पने की साजिश कर रही है.
वक्फ की ज़मीन वापस मुस्लिमों को दी जाए.

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बीजेपी ने अजमल को दिया जवाब

असम के कद्दावार नेता बदरुद्दीन अजमल का कहना है कि संसद की नई बिल्डिंग वक्फ बोर्ड की ज़मीन पर बनी है. उनके पूरे बयान को बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने बदरुद्दीन के दावों को मुस्लिम वोट बैंक की सियासत करार दिया है. जबकि बदरुद्दीन अजमल अपनी बातों पर पूरी ताकत से टिके हुए हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार उद्योगपतियों को होटल बनाने के लिए वक्फ की ज़मीन बांट रही है.

अब एक बार फिर से ये चर्चा तेज हो गई है कि मंदिर, सड़क, गांव, DDA, डीटीसी ऑफिस के बाद सीधे संसद पर दावा ठोक दिया गया है. सोशल मीडिया पर भी एक बार फिर WAQF प्रॉपर्टी की जोर शोर से चर्चा होने लगी है. कुछ लोग वक्फ के समर्थकों की डिमांड को 'न खाता न बही जो आप कह दें वही सही' की जीती जागती मिसाल बता रहे हैं. वहीं एक अहम सवाल ये भी उठता है कि क्या कुछ लोग बिना सुबूत के वक्फ बोर्ड के नाम पर हवा में तीर चला रहे हैं.

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