Muslims In OBC List West Bengal: पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया है कि उसने कैसे कुछ मुस्लिम समुदायों को राज्य की ओबीसी सूची में जगह दी.
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West Bengal OBC List: सुप्रीम कोर्ट के सामने पश्चिम बंगाल सरकार ने ओबीसी सूची में 77 जातियां शामिल करने का बचाव किया है. राज्य ने कहा कि तीन चरणों वाली विस्तृत प्रक्रिया के बाद इन जातियों के नाम OBC लिस्ट में जोड़े गए. इस प्रक्रिय्रा में दो सर्वे और पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष सुनवाई शामिल थी. चौंकाने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी सरकार ने कुछ मुस्लिम समुदायों के मामले में यह प्रक्रिया 24 घंटों के भीतर पूरी कर ली. पश्चिम बंगाल सरकार 77 जातियों को मनमाने ढंग से OBC सूची में शामिल करने के आरोप में आलोचनाओं का सामना कर रही है. इन 77 जातियों में से 75 मुस्लिम हैं.
कुछ मामलों में, मुस्लिम समुदाय के आवेदन करने के अगले दिन ही पिछड़ा वर्ग आयोग ने उसे OBC लिस्ट में शामिल करने की सिफारिश कर दी. एक मामले में तो उसी दिन लिस्ट में नाम जोड़ने की सिफारिश कर दी. सरकारी महकमों में, वह भी इस तरह की प्रक्रिया में, इतनी तेजी दुर्लभ है.
आवेदन से पहले ही पूरा कर लिया सर्वे
बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया है, वह हैरान करता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ मामलों में तो, समुदाय के सदस्यों के आयोग के सामने आवेदन से पहले ही सर्वे पूरा कर लिया गया. कुछ मुस्लिम समुदायों का सर्वे पहले हुआ, जबकि उन्होंने साल-दो साल बाद आवेदन किया.
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OBC लिस्ट में यूं शामिल किए गए मुसलमान
खोट्टा मुस्लिम समुदाय ने 13 नवंबर, 2009 को आवेदन किया. उसी दिन पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की. मुस्लिम जमादार समुदाय को उसी दिन सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई जिस दिन (21 अप्रैल, 2010) उसने आवेदन किया.
राज्य के ओबीसी आयोग ने भी गजब की तत्परता दिखाई. गायेन (मुस्लिम) और भाटिया मुस्लिम समुदायों को सूची में शामिल करने की सिफारिश करने में सिर्फ एक दिन का समय लिया. आयोग ने मुस्लिम चुटोर मिस्त्री समुदाय के लिए चार दिन का समय लिया और एक दर्जन अन्य मुस्लिम समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश करने में एक महीने से भी कम समय लिया.
कुछ मामलों में, समुदायों के उप-वर्गीकरण के लिए सर्वे समुदाय के सदस्यों द्वारा ओबीसी सूची में शामिल किए जाने के लिए आयोग के समक्ष आवेदन दायर करने से पहले ही कर लिया गया. कुछ मुस्लिम समुदायों - काजी, कोटल, हजारी, लायेक और खास - के लिए सर्वे जून 2015 में किया गया था, लेकिन उन्होंने बहुत बाद में आवेदन दायर किया था, कुछ मामलों में लगभग एक या दो साल बाद.
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चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के आदेश के जवाब में राज्य ने कहा, 'विस्तृत जांच और/या मौखिक या दस्तावेजी प्रकृति में उसके समक्ष मौजूद सामग्री पर विचार करने के बाद ही आयोग द्वारा अंतिम सिफारिश के साथ 34 समुदायों में से प्रत्येक पर अंतिम रिपोर्ट तैयार की गई थी.' SC ने 5 अगस्त को ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी थी.