ठंडा पानी पिलाने वाले लॉकडाउन की आग में तपे, माटी पुत्र का व्यवसाय भी हुआ डाउन
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ठंडा पानी पिलाने वाले लॉकडाउन की आग में तपे, माटी पुत्र का व्यवसाय भी हुआ डाउन

कर्ज़ के कारण परेशानी दुगुनी हो गई है. छोटे व्यवसायी के लिए कमाई की समस्या खड़ी हो गयी है.

 

कोरोना के आगे हारा कुम्हार

रतलाम: हम सबने एक कहावत सुनी है "कुम्हार फूटी हांडी में खाता है" ये कहावत कोरोनाकाल में लॉकडाउन के चलते अक्षरत चरितार्थ हो रही है. 2 साल से लॉकडाउन के कारण इन माटी पुत्र का गर्मी में प्रमुख व्यवसाय पूरी तरह बंद होने से इनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. बड़े व्यापारियों ने लाखों के मटके गुजरात और राजस्थान से खरीद कर अपने गोदाम में भर तो लिए लेकिन अब इन गोदाम में ये लाखों के मटके लॉक हो गए है. वही छोटे व्यवसायी जो घर पर मिट्टी के मटके और बर्तन बनाते है उनके चक्के थम गये  है.

सालभर में केवल 3 महीने ही कमाई
दरअसल मिट्टी के बर्तन का व्यवसाय यूं तो साल भर होता है लेकिन गर्मियों में मटके और नाद की खासी डिमांड से यह गर्मियों का होने वाला मुख्य व्यवसाय है. वही इस दौरान शादियों का भी सीजन होने से इस व्यवसाय के सालभर में केवल 3 महीने ही प्रमुख रूप से कमाई के होते है.

बड़े व्यवसायियों को होता था फायदा
गर्मी के मौसम में मिट्टी के मटकों की डिमांड इतनी ज्यादा होती है कि बड़े व्यवसायी लाखों रुपये के मटके गर्मी से पहले ही राजस्थान और गुजरात से खरीद कर ले आते है. 3 महीने के सीज़न में बड़े व्यवसायियों के लिए यह 4 से 5 लाख का व्यापार होता है. वही छोटे व्यवसायी जो खुद मटके और मिट्टी के बर्तन घर पर बनाकर बेचते है उनके के लिए यह सीजन 1 से डेढ़ लाख का व्यापार होता है.

परिवार पालने का संकट खड़ा
लेकिन 2 साल से सीज़न के वक्त लॉकडाउन के कारण इन मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचने वालों का व्यापार पूरी तरह ठप पड़ा है. पिछले साल लॉकडाउन के कारण घाटा खा चुके मिट्टी के बर्तन व्यापारियों को इस साल अपने घाटे की भरपाई की उम्मीद थी. लेकिन इस बार भी जिन बर्तन व्यवसायियों ने लाखों के मटके गुजरात और राजस्थान से खरीद कर अपने गोदाम भर लिए थे उनके गोदाम पर लॉक लग गया है. पूरे साल घर चलाने की चिंता तो बढ़ ही गई वही दूसरी बार घाटे के कारण कर्ज़ बड़ गया है.
कर्ज़ के कारण परेशानी दुगुनी हो गई है. वही छोटे व्यवसायी के लिए कमाई की समस्या खड़ी हो गयी है. क्योंकि यह सीज़न भी गया तो कमाई का दूसरा मौका अगले साल गर्मी में ही मिलेगा. ऐसे में पूरे साल परिवार पालने का संकट खड़ा हो जाएगा.

ठंडा पानी पीने से डर रहे लोग
कोरोनाकाल में आम जनता भी घरो में बंद है. अब लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिली तो है लेकिन दुकाने बंद है. ऐसे में वे भी मिट्टी के मटके नहीं ले पा रहे हैं. फ्रिज का पानी पीने से लोग डरने भी लगे है कि कहीं ज्यादा ठंडा पानी पीने से गले की समस्या और सर्दी जुकाम न आ हो जाये. कोरोना के सिम्टम्स भी सर्दी ज़ुकाम से ही शुरू होते है ऐसे में लोग फ्रिज का पानी नहीं पी रहे लेकिन मटका नहीं खरीद पाने के कारण गर्मियों में ठंडा पानी पीने के तरस जरूर गए.

व्यापार घटा हो रहा नुकसान
मिट्टी के बर्तन का व्यापार करने वाले जितेंद्र प्रजापत बताते है कि पिछले साल भी बड़ा नुकसान हुआ था. इस साल भी दोबारा लॉकडाउन के कारण नुकसान हो गया है. नवरात्रि में बिकने वाले मिट्टी के बर्तन भी नहीं बिक पाए. शादी के सीज़न में भी व्यापार नहीं हुआ और अब बारिश आने वाली है. इसके बाद फिर अगले साल तक इंतज़ार करना पड़ेगा. गर्मियों में सामान्य दिनों में 5 लाख का होने वाला व्यवसाय 2 साल से मात्र 50हजार 1 लाख पर सिमट गया.

व्यापारी जगदीश का कहना है कि हमारा मुख्य व्यवसाय ही यही है 2 साल से सारा माल घर में ही रह गया है. न मुनाफा मिला बल्कि उल्टा 3 लाख का घाटा हो गया.

सरकार क्या करेगी मदद
मिट्टी के बर्तन की महिला व्यापारी दीप कुंवर ने बताया कि पिछले साल भी नुकसान हुआ. इस साल भी हमने 1 लाख का माल खरीदा था लेकिन सब धरा का धरा राह गया. अब हमारे लिए क्या करेगी सरकार.

आम जनता भी परेशान
वहीं आम नागरिक से हमने बात की तो जितेंद्र ने  कहा कि आम नागरिक भी करे तो क्या करे. अनलॉक में घर से बाहर तो आये लेकिन दुकाने व्यापार बन्द है. मिट्टी के मटके खरीद नहीं पा रहे. फ्रिज का पानी पीने से डर लगता है ऐसे में मुश्किल खड़ी हो गयी कि गर्मी में ठंडा पानी पीने के लिए मटके नहीं खरीद पा रहे.

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