MP News: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले (Narmadapuram News)से करोड़ों के सरकारी धन के गबन का मामला सामने आया है. जिसके बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. इसका इसका आरोप डोलरिया तहसील के क्लर्क और चपरासी पर लगा है.
Trending Photos
अभिषेक गौड़/ नर्मदापुरम: एक बड़ी अच्छी कहावत है कि राजा को पता ही नहीं मुसहरे ने वन बांट लिया! ये कहावत मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नर्मदापुरम के लिए बिल्कुल फिट बैठती है. बता दें कि जिले के डोलरिया तहसील ( Dolariya Tehsil News) से एक ऐसी खबर सामने आई है कि आपके होश उड़ जाएंगे. यहां पर करोड़ों की सरकारी राशि का गबन करने का मामला आया है. इसका आरोप तहसील के क्लर्क और चपरासी पर लगा है. क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं.
करोड़ों का घाला मेला
पूरा मामला मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के डोलरिया तहसील का है. यहां पर तहसील कार्यालय में पदस्थ सेकंड ग्रेड क्लर्क अमित लौवंशी और चपरासी आशीष कहार के द्वारा सरकारी धन का गबन करने का मामला सामने आया है. आरोप है कि इन दोनों ने मिलकर सरकारी योजनाओं के तहत हितग्राहियों को दी जाने वाली 2.23 करोड़ रुपये की राशि का गबन किया है. मामला संज्ञान में आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है.
ये भी पढ़ें: MP Assembly Election: प्रियंका के दौरे से पहले गरजे सिंधिया, प्रदेश में मचा राजनीतिक घमासान, बयानबाजी का दौर जारी
ऐसे किया गबन
तहसील में पदस्थ क्लर्क और चपरासी ने मिलकर बहुत सतर्कता और चालाकी के साथ इस गबन को अंजाम दिया. बताया जा रहा है कि आरोपी कर्मचारियों ने हितग्राहियों को एक बार सरकारी राशि का भुगतान किया. एक बार राशि का भुगतान होने के बाद उसी नाम से दोनों ने योजनाबद्ध तरीके से बार-बार कागज तैयार कर राशि स्वीकृत कराई. सरकार की तरफ से राशि स्वीकृति होने के बाद दोनों ने अपने बेटे-पत्नी और रिश्तेदारों के खातें में ये राशि ट्रांसफर कराई. इसके बाद इस धन का उपयोग खुद किया. साथ ही साथ कहा जा रहा है कि इसके लिए जरूरी तहसीलदार के हस्ताक्षर को इन लोगों ने खुद कर लिया.
5 सालों तक हुआ खेला
इन दोनों कर्मचारियों ने मिलकर साल 2018- 2019 से लेकर 2022-23 तक इस तरह के काम को अंजाम देते रहे. इस तरह से इन लोगों ने कुल 2 करोड़ 23 लाख 33 हजार रुपए की राशि का गबन किया. इसके बाद इस राशि को इन दोनों ने अपने परिजनों और रिश्तेदारों को के खातों में टुकड़े- टुकड़े में जमा किया. इसकी भनक लगने के बाद कलेक्टर ने जांच का आदेश और दिया. जिसके बाद भोपाल से आई लेखाधिकारियों की विशेष टीम ने बीते महीने इस मामले की जांच-पड़ताल की जिसके बाद ये मामला सामने आया.