कोरबा की रहने वाली अनाया राठौर महीनों के नाम, दिनों में चर्चा में है. क्योंकि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने इस बच्ची को सम्मानित किया है और उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.
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कोरबा/नीलम पड़वार: जिस उम्र में बच्चे ठीक से बोल भी नहीं पाते उस उम्र में छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की नन्ही बेटी ने कमाल कर दिया है. कोरबा की रहने वाली अनाया राठौर महीनों के नाम, दिन के नाम से लेकर बहुत कुछ सिर्फ डेढ़ साल की ही उम्र में जानने लगी है. वो ना सिर्फ इन सब को जानती समझती है, बल्कि बोल भी लेती है. यही वजह है कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने इस बच्ची को सम्मानित किया है और उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.
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मूल रूप से कोरबा के मुक्ता हरदीबाजार इलाके के रहने वाले रुद्र सिंह राठौर इन दिनों मुंबई में काम करते हैं. वो वहां पर एसबीआई बैंक में चीफ मैनेजर हैं. रुद्र की पत्नी ममता राठौर हैं. ममता पेशे से टीचर हैं. दोनों की डेढ़ साल की बेटी अनाया है. जिसने कमाल कर रखा है. खास बात ये है अनाया बचपन से ही चीजों को जल्दी समझने और सीखने लगी थी. जिसका फायदा उसे अब मिल रहा है.
25 से ज्यादा जानवरों के साउंड्स निकाल लेती है अनाया
इतनी छोटी से उम्र में अनाया महीनों के नाम, दिन के नाम, जानवरों के नाम बोल लेती हैं और समझ लेती है. इसके अलावा वह हिंदी वर्णमाला को भी समझ लेती है. अनाया की मां ममता ने बताया कि वह 25 तरह के जानवरों के साउंड्स भी निकाल लेती है. वहीं और भी कई चीजों के बारे में उसे पता है. मैथ्स के भी नंबर उसे याद हैं. बच्चों के रैम्स, रैन- रैन गो अवे, ट्विंकल - ट्विंकल लिटिल स्टार भी अनाया बोल लेती है. कई तरह की कविता भी उसे याद है.
एक साल की उम्र के बाद चला पता अनाया के टैलेंट का
अनाया की माँ कि माने तो अनाया जब एक साल की हुई तब हमें पता चला कि वह काफी चीजों को जल्दी समझ लेती है. हम उसे पहले टीवी पर चलने वाले कार्टून, रैम्स वगैरह नहीं देखने देते थे. थोड़ा बहुत वह देखती थी उसी से उसे काफी कुछ पता चलने लगा था. इसके बाद हमें समझ आया और हमने खेल-खेल में उसे ये सब बताना शुरू किया, जिसे उसने काफी जल्दी सीख लिया है.
इन दिनों सीख रही टेबल
अनाया की माँ ममता राठौर बताती हैं कि हम अनाया को फोर्स नहीं करते, वह खेलती रहती है तभी हम उसे इन सब जरूरी बातों को बताते हैं. उसी से उसने काफी कुछ सीखा है. इन दिनों अनाया टेलब सीख रही है. बॉर्डी पार्ट्स के बारे में भी उसे पता है. ममता ने बताया कि हमें जब ये लगा कि हमारी बच्ची काफी जल्दी सब चीजों को पिक कर रही है तो हमने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड वालों से संपर्क किया था. इसके बाद उन्होंने अनाया का वीडियो देखा. फिर उसका नाम दर्ज किया गया है. अनाया के पिता रुद्र कहते हैं कि हर बच्चा बचपन से स्पेशल होता है, जरूरत है तो उसे पहचानने की. अनाया के केस में भी ऐसा हुआ था. उसने एक साल में ही सब जानना शुरू कर दिया था. हमे बाकी के बच्चों के लिए यही संदेश देंगे कि हर बच्चा बचपन से ही कुछ ना कुछ जानना और समझना चाहता है. जरूरत है तो उसे पॉलिश करने की. हमें ये तो अभी नहीं पता है कि नाया बड़े होकर क्या बनेगी, पर हम चाहेंगे कि ये आगे जाकर देश का और प्रदेश का नाम रोशन करे.