Gwalior: 'आयरन गर्ल' के नाम से शहर में मशहूर है ये लड़की, कराटे चैंपियनशिप में जीता वर्ल्‍ड लेवल का कांस्‍य पदक
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Gwalior: 'आयरन गर्ल' के नाम से शहर में मशहूर है ये लड़की, कराटे चैंपियनशिप में जीता वर्ल्‍ड लेवल का कांस्‍य पदक

कराटे में अपना हुनर द‍िखाने के ल‍िए एक लड़की जब बाहर न‍िकली तो समाज और र‍िश्‍तेदारों ने उसके बारे में काफी अनर्गल बातें की. इन सब की परवाह न करते हुए उसने कड़ा संघर्ष क‍िया और अब लंदन में सम्पन्न हुई 10वीं कॉमनवेल्थ कराटे चैंपियनशिप की सीनियर केटेगरी में कांस्य पदक जीत कर अपने शहर का नाम रोशन क‍िया. 

न‍िहार‍िका कौरव.

ग्‍वाल‍ियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर की एक बिटिया, जिसने अपने समाज और रिश्तेदारों से क्या कुछ नहीं सुना, आज वही बिटिया देश, प्रदेश और शहर का नाम रोशन कर रही है. गृह नगर लौटने पर उसका भव्य स्वागत किया गया.

रेलवे स्‍टेशन पर हुआ स्‍वागत
ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर ढोल नगाड़े के साथ स्वागत और सत्कार उस बिटिया का किया गया जो हाल ही में इंग्लैंड के लंदन में सम्पन्न हुई 10वीं कॉमनवेल्थ कराटे चैंपियनशिप की सीनियर केटेगरी में कांस्य पदक जीतकर अपने गृह नगर ग्वालियर लौटी है. हालांकि इसके बाद टर्की में आयोजित विश्व स्तरीय कराटे चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया, जहां पदक नहीं जीता सकी पर अपने खेल से लोगों के दिल जरूर जीता है. यहां उसकी परफॉर्मेंस पिछले मुकाबलों की तुलना में और बेहतर हुई है. 

काफी संघर्ष के बाद पाया मुकाम 
निहारिका के पिता रामवीर कौरव मूल रूप से भिंड जिले के गोहद कस्बे की रहने वाले हैं लेकिन वर्तमान में ग्वालियर के गोला का मंदिर क्षेत्र में रहते हैं. निहारिका ने काफी संघर्ष के बाद यह मुकाम हासिल किया है. निहारिका को लोग शहर की आयरन गर्ल के नाम से भी जानते हैं और उसने इसे साबित भी किया है. न‍िहार‍िका के लिए कहा जाता है क‍ि जब वह खेलने जाती थी तो ग्रामीण परिवेश से जुड़ा होने के चलते समाज और रिश्तेदारों से कई ऐसी बातें सुनने को मिलती थीं जिन्हें आज वह शब्द देने से बचती है. 

समाज और रिश्तेदार करते थे अनर्गल बातें
वहीं, निहारिका के माता - पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है, और हों भी क्यों ना ? क्योंकि जिस बिटिया के घर से बाहर खेलने जाने पर समाज और रिश्तेदार अनर्गल बातें करते थे, आज वही सब लोग उसके स्वागत में उमड़े हैं. हालांकि उन्होंने हमेशा ही ऐसी बातों को नजरंदाज किया है और बिटिया को लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं, जिसका नतीजा उनके सामने है.

न‍िहार‍िका को द‍िलाई प्राइवेट कोच‍िंग 
निहारिका की मां शिक्षिका है जबकि पिता एक छोटे किसान हैं. बावजूद इसके वे अपनी लाड़ली को बेहतर खेल सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रयासरत रहे. उन्होंने निहारिका को प्राइवेट कोचिंग दिलवाई, उसकी हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश की. निहारिका के कोच बताते हैं क‍ि वह प्रतिभावान कराटे खिलाड़ी है और उसकी परफॉर्मेंस में लगातार सुधार हो रहा है जो आगे जाकर उसे बेहतरीन खिलाड़ी बनने में मदद करेगा. 

जल्‍द ही र‍िंग में उतरकर शुरू होगी तैयारी 
बहरहाल, निहारिका का लक्ष्य ओलंपिक और एशियाई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए उसे पदक दिलाकर गौरवान्वित करना है, लिहाजा वह जल्द ही रिंग में उतरकर तैयारी शुरू करेगी. 

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