दमोह: नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशहरा का त्योहार आता है. जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूम में जाना जाता है. इस साल 24 अक्टूबर को देशभर में रावण दहन का त्योहार मनाया जाएगा. लेकिन दमोह में आज 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
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दमोह: नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशहरा का त्योहार आता है. जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूम में जाना जाता है. इस साल 24 अक्टूबर को देशभर में रावण दहन का त्योहार मनाया जाएगा. हालांकि मध्यप्रदेश के दमोह में नवमी के दिन रावण दहन किया जाता है. जिसकी तैयारी अब तेज हो गई है, आज शाम को दशहरे से एक दिन पहले रावण दहन किया जाएगा.
गौरतलब है कि जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, उसदिन को दशहरा के रूप में जाना जाता है. इस मौके पर हर साल भारत में लोग रावण का पुतला बनाकर उसका दहन करते हैं. परंपरा के मुताबिक आज यानी सोमावर को दमोह के तहसील मैदान में भव्य रूप से ये आयोजन होगा. वीर बजरंगी की अध्यक्षता वाली श्री रामजी सेवा समिति के द्वारा रावण दहन की भव्य तैयारियां की गई हैं.
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55 फीट ऊंचा रावण, आतिशबाजी होगी
बता दें कि उरई जालौन के कलाकारों ने यहां 55 फिट ऊंचे रावण के पुतले का निर्माण किया है. वहीं इस बार विशेष आतिशबाजी जन आकर्षण का केंद्र रहेगी. आयोजन समिति की ओर से सेवादार अनुनय श्रीवास्तव ने बताया कि बीते सालों के मुकाबले इस बार रावण दहन का कार्यक्रम बेहद खास रहेगा. हालांकि इस समय प्रदेश के साथ साथ दमोह मे भी चुनाव आचार सहिंता लागू है. लिहाजा नियमों के मुताबिक समय सीमा में ये आयोजन होगा.
क्यों एक दिन पहले मनाया जाता है दशहरा?
अब आप सोच रहे होंगे कि देशभर में तो दशहरे की दिन ही रावण दहन होता है, फिर दमोह में ऐसा क्या है कि वहां नवमी के दिन ही रावण दहन किया जाता है. दरअसल यहां दशकों पहले से पांच दिवसीय भव्य आयोजनों की नींव रखी गई और शहर की बड़ी देवी मंदिर में पंचमी के दिन महाआरती, सप्तमी के दिन चुनरी यात्रा और अष्टमी के दिन शहर में विशाल रामदल का आयोजन होता है. जिसमें भगवान राम के स्वरूप को शहर भ्रमण कराया जाता है.
बीते 43 साल पहले यहां रावण दहन की शुरुवात भव्य रूप में हुई तो देश के पंजाबी दशहरे की तर्ज पर यहां नवमी के दिन रावण दहन होता चला आ रहा है. जबकि दशहरे के दिन यहां देवी प्रतिमाओं का विसर्जन होता है और दहशरा चल समारोह खास हो जाता है. जब शहर भर की देवी प्रतिमाएं नगर भ्रमण करने के बाद फुटेरा तालाब में विसर्जित की जाती है. एकदिन पहले नवमी को रावण दहन अपने आप में अनूठा है और इसकी वजह उत्सव को श्रंखला बद्ध करना खास कारण बताया जाता है.
रिपोर्ट- महेंद्र दुबे