CG News: छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में 39 मौतों की खबर के बाद मेडिकल टीमें इलाके की ओर रवाना हो गई हैं. अब मेडिकल टीम की अबूझमाड़ के गांवों में कई रातें गुजरेंगी.
Trending Photos
पवन दुर्गम/बीजापुर: बुखार और शरीर में सूजन की बीमारी से अबूझमाड़ कहे जाने वाले बीजापुर नारायणपुर जिले के सरहदी गांवों में 39 आदिवासियों की मौत हो गई. ये सभी मौतें बीते 2 से 3 महीने में हो गई हैं. प्रशासन और सरकार को मौतों की कोई जानकारी नहीं थी. मेडिकल टीमों का गठन भी तब हुआ, जब ज़ी मीडिया संवाददाता पवन दुर्गम से बीजापुर के कलेक्टर राजेन्द्र काटारा से इस संबंध में उनका पक्ष जानना चाहा.
मौत की खबर के बाद स्वास्थ्य और प्रशासनिक अमला सकते में
7 पंचायतों के 39 आदिवासियों की मौत की खबर के बाद स्वास्थ्य और प्रशासनिक अमला सकते में हैं. बीजापुर से कल 2 एमबीबीएस डॉक्टर, 2 सुपरवाइजर सहित 20 सदस्यीय स्वास्थ्यकर्मियों का दल 4 की संख्या में मर्रामेट, पेठा, पीडियाकोट, बड़ेपल्ली की ओर रवाना कर दिया गया था.
राहत सामग्री के साथ टीमें रवाना
भैरमगढ़ से करीब 12 किमी दूर उसपरी में इन्द्रावती नदी पर बोट के सहारे स्वास्थ्य टीम को नगर सेना ने पार कराया जिसके बाद स्वास्थ्य टीम गांवों में पहुंच रही है. स्वास्थ्य टीम के साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन और ग्राम पंचायत सचिवों का टीम भी इन गांवों की ओर राहत सामग्री के साथ रवाना किया गया है. कल और आज नगर सेना की टीम भैरमगढ़ से 15 किलोमीटर दूर उसपरी में इन्द्रावती नदी को बोट से पार करा रहा है.
नारायणपुर जिले में हुई 10 लोगों की मौत
वहीं, नारायणपुर जिले के रेकावाया में 10 लोगों की मौत की खबर के बाद आज CMHO बीआर पुजारी के नेतृत्व में एक टीम भैरमगढ़ पहुंची है जो रेकावाया के लिए निकल रही है. दरअसल, नारायणपुर के रास्ते रेकावाया पहुंचना दूर की कौड़ी है. जंगली और माओवाद प्रभाव के चलते यहां न सड़क है, न पगडंडी है और न ही संचार का कोई माध्यम. यहां सरकार 75 सालों में विकसित कर पाई है. मौत की खबर भी गांव वाले आकर सरकार को देते हैं. ऐसी मजबूरी में अबूझमाड़ आज भी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है. माओवाद प्रभावित और सड़कविहीन क्षेत्र होने की वजह से यहां स्वास्थ्य सुविधाओं में मुश्किलात आती है. वहींं, सड़क के अभाव में वाहन, पानी, बिजली जैसी बुनियादी जरूरतें भी यहां नहीं पहुंच पाई है.
ये इलाका आज भी विकास से कोसों दूर
अंधकार और अंधविश्वास की जकड़ में अबूझमाड़ का ये इलाका आज भी विकास से कोसों दूर है. यहां सरकारों का डिजिटल प्रचार तंत्र पहुंचने से पहले दम तोड़ देता है. अंधविश्वास और सिरहा गुनिया के आसरे यहां आदिवासी आत्मविश्वास से लबरेज स्वास्थ्य होने का दावा करते हैं लेकिन मौत यहां की स्याह हक़ीक़त बन गई है. 39 मौतों की जानकारी और खबर ज़ी मीडिया की दखल के बाद मिलती है और टीमें बनाकर प्रशासन को भेजना पड़ जाता है.
इस मामले में जमकर सियासत
इस पूरे मामले में अब जमकर सियासत हो रही है. बीजापुर प्रवास के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने इसे दो लोगों की आपसी विवाद का नतीजा बताया.
अब ट्यूलिप से गुलजार होगा झुमका, सीएम ने 3 जुलाई को झुमका आईलैंड का किया था उद्घाटन