RPF का ''ऑपरेशन आहट'': ट्रेनें बनी मानव तस्करी का अड्डा, लड़कियों से ज्यादा लड़के होते हैं गायब!
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RPF का ''ऑपरेशन आहट'': ट्रेनें बनी मानव तस्करी का अड्डा, लड़कियों से ज्यादा लड़के होते हैं गायब!

ट्रेनों में होने वाले वाली मानव तस्करी human traffickers को लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. RPF ने ''ऑपरेशन आहट'' चलाकर कई मानव तस्करों को गिरफ्तार किया है, जबकि कई लोगों को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया भी है. 

RPF का ''ऑपरेशन आहट'': ट्रेनें बनी मानव तस्करी का अड्डा, लड़कियों से ज्यादा लड़के होते हैं गायब!

आकाश द्विवेदी/भोपाल। मानव तस्करी human traffickers के खिलाफ RPF अब ''ऑपरेशन आहट'' Operation Aahat चल रहा है, जुलाई महीने में मानव तस्करी के खिलाफ RPF ने देश भर में अभियान चलाया. क्योंकि ट्रेनों में होने वाली मानव तस्करी के खिलाफ एक बड़ा खुलासा हुआ है. बताया गया है कि ट्रेनों में होने वाली मानव तस्करी में लड़कियों से ज्यादा लड़कों का अपहरण हुआ है. हालांकि इस दौरान RPF ने कई मानव तस्करों को गिरफ्तार भी किया है. 

RPF का ''ऑपरेशन आहट'' 
मानव तस्करी को लेकर RPF ने जुलाई में ''ऑपरेशन आहट'' चलाया. इस दौरान करीब 180 नाबालिगों को मानव तस्करों से छुड़ाया गया जिनमें. इनमें 151 लड़के, 32 लड़कियां शामिल थी, इसके अलावा 3 महिलाएं भी शामिल थी. इस दौरान आरपीएफ ने  47 मानव तस्करों को भी पकड़ा.  अभियान के जरिए सभी सुरक्षा एजेंसियों को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया कि वे ट्रेन से की जाने वाली मानव तस्करी के खिलाफ लामबंद हो जाएं. इस तरह पूरा अभियान पूरे जुलाई माह में चला. 

लड़कों का हुआ सबसे ज्यादा अपहरण 
आम तौर पर धारणा होती है कि लड़कियों का अपहरण ज्यादा होता है लेकिन RPF के ''ऑपरेशन आहट'' में हैरान करने वाली बात सामने आई है क्योंकि लड़कियों से ज्यादा लड़कों की मानव तस्करी हुई है. बता दें कि घरेलू बेगार करवाने से लेकर अंग प्रत्यारोपण और मादक पदार्थों की तस्करी में सबसे ज्यादा लड़कों का इस्तेमाल किया जा रहा है. रेलवे के आंकड़ो के मुताबिक लड़कियों से 5 गुना ज्यादा लड़के ट्रेनों में अगवा किए गए. 

2178 लोगों को छुड़ाया गया 
बता दें कि पिछले पांच साल के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. क्योंकि पिछले पांच सालों में 2017, 2018, 2019, 2020 और 2021 के दौरान आरपीएफ ने 2178 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया. जबकि 65000 हजार से अधिक बच्चों और तमाम महिलाओं और पुरुषों को बचाया और बाद में उन्हें उन्हें सुरक्षा दी गई. अकेले भोपाल से पिछले साल करीब 36 लड़के गायब हो गए. ऐसे में पूरे एमपी में यह आंकड़ा बढ़ सकता है. 

क्या काम करवाया जाता है 
बता दें कि मानव तस्करी के बाद इन लोगों से यौन शोषण, देहव्यापार, जबरन मजदूरी, जबरन शादी, घरेलू बेगार करवाना, गोद देना, भीख मंगवाना, अंगों का प्रत्यारोपण करवाना, मादक पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान भिजवाने के लिये महिलाओं तथा बच्चों का उपयोग करने के लिए मानव तस्करी संगठित अपराध करते थे. जबकि कई लोगों का आज तक पता भी नहीं चल पाया है. हाल ही में मानव तस्करी के खिलाफ ''ऑप्रेशन आहट (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग) नामक अभियान शुरू किया था. 

आरपीएफ ने पुलिस, थानों में कार्यरत एएचटीयू, जिला और राज्य स्तरों पर, खुफिया इकाइयों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करेंगी तथा रेलगाड़ियों के जरिये होने वाली मानव तस्करी के खिलाफ कारगर कार्रवाई करेंगी. ये सभी आंकड़े पश्चिम मध्य रेल भोपाल मंडल की ओर से जारी किये गए हैं. 

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