CM मोहन की लोकसभा चुनाव पर नजर, ब्यूरोक्रेसी से लेकर हिंदुत्व तक ऐसा है BJP का प्लान
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CM मोहन की लोकसभा चुनाव पर नजर, ब्यूरोक्रेसी से लेकर हिंदुत्व तक ऐसा है BJP का प्लान

MP Lok Sabha Elections 2024: मध्य प्रदेश में बीजेपी की नई सरकार ने इस बार अलग रणनीति से काम शुरू किया है, जिसे बीजेपी के लोकसभा चुनाव के प्लान से जोड़कर भी देखा जा रहा है. 

बीजेपी का लोकसभा चुनाव प्लान

CM Mohan Yadav: मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद सीएम मोहन यादव एक्शन में नजर आ रहे हैं, दिल्ली दौरे के बाद उनके एक्शन में और तेजी आई है. खास बात यह है कि बीजेपी का आलाकमान केवल मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है. बीजेपी ने तीन राज्यों में अपने नई पीढ़ी को सत्ता संभालने की जिम्मेदारी दी है, जिसकी सबसे पहली अग्निपरीक्षा लोकसभा चुनाव हैं, ऐसे में मोहन यादव सरकार के पिछले 1 महीने के कामकाज को देखा जाए तो पांच बातों पर सबसे ज्यादा फोकस दिख रहा है, जो लोकसभा चुनाव में अहम साबित हो सकती हैं. 

इन पांचों चीजों पर सबसे ज्यादा फोकस 

सीएम मोहन यादव ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी. सत्ता संभालने के बाद जिस अंदाज में उन्होंने काम किया उससे यह साफ था कि वह लोकसभा के विजन पर काम कर रहे हैं. क्योंकि आम चुनावों में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. मोहन सरकार के अब तक फैसलों को देखा जाए तो बीजेपी की कोर लाइन हिंदुत्व से लेकर ब्यूरोक्रेसी, ट्राइबल, ओबीसी और गरीब वर्ग पर सरकार का सबसे ज्यादा फोकस हैं. मोहन यादव खुद संघ से जुड़े हैं, ऐसे में हिंदुत्व उनके भी एजेंडे में रहा है. जबकि कलेक्टरों को हटाने से लेकर अधिकारियों को सख्त हिदायत देने के मामले में वह ब्यूरोक्रेसी को भी साफ संकेत दे चुके हैं कि निजाम अब बदल चुका है. 

हिंदुत्व और धार्मिकता पर फोकस 

मध्य प्रदेश में मोहन सरकार का हिंदुत्व और धार्मिकता पर पूरा फोकस दिख रहा है. 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीरामलला मंदिर की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां मध्य प्रदेश में जोर शोर से चल रही है. सीएम मोहन यादव जल्द ही अपनी कैबिनेट की बैठक राम की नगरी चित्रकूट में करने वाले हैं, चित्रकूट का सीधा कनेक्शन धार्मिक नगरी अयोध्या से जुड़ा है. भगवान राम ने वनवास के 12 वर्ष यही गुजारे थे. इसके अलावा सरकार ने उज्जैन, ओरछा और मैहर में भी कैबिनेट बैठक आयोजित करने का ऐलान किया है. ये चारों ही स्थान धार्मिकता के लिहाज से मध्य प्रदेश में बेहद अहम माने जाते हैं. यानि बीजेपी हिंदुत्व के मामले में क्लीयर मैसेज के साथ चल रही है कि फोकस हिंदुत्व पर ही रहेगा. खास बात यह है सीएम मोहन यादव खुद उज्जैन से आते हैं, जबकि उज्जैन में इस साल महाकाल लोक के दूसर चरण का लोकार्पण होना है, इसके अलावा उज्जैन में ही साल 2028 में सिंहस्थ का आयोजन किया जाना है. जो बीजेपी का बड़ा विजन है. क्योंकि इसके पहले ही विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका होगा. 

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ब्यूरोक्रेसी पर कसावट 

सीएम मोहन यादव की अब तक की सबसे खास बात जो नजर आई है वह ब्यूरोक्रेसी पर कसावट है. गुना बस हादसे के बाद कलेक्टर-एसपी को हटाना हो या फिर ड्राइवर के साथ आपत्तिजनक भाषा बोलने पर शाजापुर कलेक्टर को हटाने का फैसला हो चाहे फिर परिवहन आयुक्त, आरटीओ, पंचायत अधिकारियों को लेकर सख्त संदेश की बात हो. भोपाल, जबलपुर और इंदौर जैसे बड़े शहरों के कलेक्टर उन्होंने एक महीने के अंदर ही बदल दिए. यानि सीएम मोहन यादव ने एमपी में अपनी सरकार की इमेज सुशासन वाली बनाने पर जोर दिया है. ब्यूरोक्रेसी को संदेश साफ है जनता के साथ मिलकर जनता के लिए काम करना होगा. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ऐसे और भी एक्शन दिख सकते हैं. 

बीजेपी का ओबीसी प्लान 

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत का पूरा श्रेय पार्टी के जातिगत समीकरणों को साधने पर जाता है. जिसका असर लोकसभा चुनाव में भी साफ दिखना तय माना जा रहा है. जिसमें ओबीसी वर्ग का सबसे अहम रोल है. मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग 52 प्रतिशत हैं, ऐसे में मोहन कैबिनेट में सबसे ज्यादा 12 मंत्री इसी वर्ग के हैं, सीएम मोहन यादव खुद भी ओबीसी वर्ग से आते हैं, पार्टी ने विधानसभा चुनाव में ओबीसी वर्ग को टिकट भी 27 प्रतिशत के हिसाब से ही बांटे थे. ऐसे में लोकसभा चुनाव में भी यही फॉर्मूला अपनाए जाने की पूरी उम्मीद है. क्योंकि एक बार फिर यह वर्ग जीत की सीढ़ी बन सकता है. 

आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग पर फोकस 

आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग हमेशा से बीजेपी की राजनीति में रहा है. मध्य प्रदेश में बीजेपी की सत्ता में जोरदार वापसी की वजह यह दोनों वर्ग भी माने जा रहे हैं, क्योंकि दोनों आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग ने दोनों हाथों से बीजेपी पर प्यार लुटाया. ऐसे में पार्टी ने कैबिनेट में भी दोनों वर्गों का समन्वय बनाने की कोशिश की है, मध्य प्रदेश की 29 में से 6 लोकसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि 4 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं, दोनों ही वर्गों से केंद्र सरकार में एक-एक मंत्री भी हैं, मोहन यादव आदिवासी और अनुसूचित जाति बाहुल वर्ग क्षेत्रों में कैबिनेट की बैठक करने का ऐलान करके यह साफ कर चुके हैं उनके फोकस पर दोनों ही वर्ग बने हुए हैं. 

गरीबों को पूरी राहत 

मध्य प्रदेश में बीजेपी की नई सरकार का फोकस गरीब वर्ग पर भी हैं, शिवराज सरकार में जितनी योजनाएं चलाई गई थी और केंद्र सरकार की गरीब कल्याण के लिए बनाई गई सब योजनाओं पर मोहन यादव सरकार का फोकस है, सीएम मोहन यादव खुद भी लगातार अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं, इस दौरान रैन बसेरों, रसोई केंद्रों और सरकारी अस्पतालों का दौरा करना स्पष्ट दर्शाता है सरकार का फोकस गरीब कल्याण पर है. क्योंकि पीएम मोदी के विजन में भी यही वर्ग सबसे ऊपर रहता है. यानि बीजेपी हर वर्ग को साधकर काम कर रही है. 

पीएम मोदी से मुलाकात के बाद हुआ एक्शन 

सीएम बनने के बाद सीएम मोहन यादव ने अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों जगदीश देवड़ा और राजेद्र शुक्ला के साथ मिलकर दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की थी. जिसके बाद सरकार एक दम से एक्शन मोड में हैं, क्योंकि प्रदेश की 29 लोकसभा सीटें जीतना बीजेपी ने लक्ष्य बनाया है, जिसे सीएम मोहन यादव की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा माना जा रहा है. 

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