MP Lok Sabha Elections 2024: बुंदेलखंड की सबसे दिलचस्प सीट मानी जाती है दमोह लोकसभा, ऐसा रहा है इतिहास
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MP Lok Sabha Elections 2024: बुंदेलखंड की सबसे दिलचस्प सीट मानी जाती है दमोह लोकसभा, ऐसा रहा है इतिहास

Damoh Lok Sabha Seat 2024: लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड अंचल की दमोह लोकसभा सीट बेहद दिलचस्प सीट मानी जाती है, जानिए इस सीट का इतिहास और सियासी समीकरण. 

दमोह लोकसभा सीट

Damoh Constituency Election: दमोह लोकसभा सीट पर भी धीरे-धीरे लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं, बीजेपी और कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेता अब यहां एक्टिव होते नजर आ रहे हैं, यानि संभावित प्रत्याशी अब एक्टिव हो रहे हैं, दमोह लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है, 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी. ऐसे में बीजेपी जहां अपनी जीत को बरकरार रखने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस भी इस बार यहां पूरा जोर लगाती नजर आ रही है. ऐसे में जानिए दमोह लोकसभा सीट के सियासी समीकरण क्या कह रहे हैं. 

1989 से खिल रहा कमल 

दमोह लोकसभा सीट पर शुरुआत में तो कांग्रेस की पकड़ मजबूत थी, लेकिन 1989 से इस सीट पर बीजेपी ने अपनी जड़े जमानी शुरू की जो आज तक काबिज हैं, भाजपा लगातार यहां से चुनाव जीत रही है, जबकि कांग्रेस को हर बार हार का सामना करना पड़ा है, खास बात यह है कि दमोह सीट नेताओं के लिए लकी मानी जाती है, इस सीट से चुनाव जीतने वाले सांसद अहम पदों पर पहुंचे हैं. फिलहाल बीजेपी 9वीं जीत की तलाश में हैं तो कांग्रेस अपना वनवास खत्म करना चाहती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि दमोह सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. 

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दमोह लोकसभा सीट की सियासी पृष्ठभूमि

दमोह लोकसभा सीट की सियासी पृष्ठभूमि की शुरूआत 1962 के चुनावों से हुई थी, तब यह सीट पहली बार अस्तित्व में आई थी. शुरुआत में यह सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित थी. पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, कांग्रेस की सहोद्राबाई राय दमोह लोकसभा सीट से पहली सांसद चुनी गई थी. 1967 के चुनाव में सीट सामान्य हो गई, लेकिन कांग्रेस ने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा, कांग्रेस के मणिभाई पटेल ने यहां से जीत हासिल की. 1971 के चुनाव में भी कांग्रेस का परचम लहराया. लेकिन शुरुआती तीन चुनावों में जीत के बाद कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई और 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी ने यहां से जीत हासिल की. लेकिन 1980 में ही कांग्रेस ने जोरदार वापसी और 1984 के चुनाव में भी अपनी जीत बरकरार रखी. लेकिन यह जीत दमोह लोकसभा सीट पर कांग्रेस की आखिरी जीत थी. क्योंकि 1989 के बाद से सभी चुनाव बीजेपी ने यहां से जीते हैं. 

दमोह लोकसभा सीट पर अब तक कुल 15 आम चुनाव हुए हैं, जिनमें से 5 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि 9 बार बीजेपी जीती है, इसके अलावा एक बार जनता पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली थी. लगातार 9 चुनाव जीतकर बीजेपी यहां अंगद के पांव की तरह जमी हुई है. 




साल विजेता पार्टी
1962 सहोद्राबाई राय कांग्रेस
1967 मणिभाई जे पटेल कांग्रेस
1971 वराहगिरी शंकर गिरी कांग्रेस
1977 नरेंद्र सिंह यादवेंद्र सिंह जनता पार्टी
1980 प्रभुनारायण रामधन कांग्रेस
1984 डालचंद जैन कांग्रेस
1989 लोकेंद्र सिंह बीजेपी
1991 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
1996 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
1998 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
1999 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
2004 चंद्रभान सिंह लोधी बीजेपी
2009 शिवराज सिंह लोधी बीजेपी
2014 प्रहलाद सिंह पटेल बीजेपी
2019 प्रहलाद सिंह पटेल बीजेपी

दमोह लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें आती हैं 

दमोह लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की चार सीटें आती हैं, जिनमें चार सीटें दमोह जिले की दमोह, पथरिया, जबेरा और हटा शामिल हैं, इसके अलावा तीन सीटें सागर जिले की बंडा, देवरी और रहली शामिल हैं, जबकि छतरपुर जिले की एक सीट बड़ामलहरा शामिल है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इन 8 सीटों में से 7 पर बीजेपी ने जीत हासिल की है, जबकि 1 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है. यानि विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से बीजेपी यहां फिर से पकड़ बनाती नजर आ रही है. 

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दमोह लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण 

दमोह लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा अहम जातिगत समीकरण माना जाता है, राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस सीट पर कास्ट कॉम्बिनेशन को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ा जाता है, लोधी बाहुल्य सीट होने की वजह से ज्यादातर राजनीतिक दल इसी वर्ग से आने वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़वाते हैं, लोधी, कुर्मी वर्ग यानि ओबीसी यहां 22.4 प्रतिशत के आसपास है, इसके अलावा वैश्य, जैन यानि सवर्ण 7 प्रतिशत के आसपास माने जाते हैं, जबकि ब्राहमण-राजपूत 10 प्रतिशत हैं, वहीं आदिवासी वर्ग 9.6 प्रतिशत हैं, जबकि यादव मतदाता भी 5.7 प्रतिशत हैं. 2019 के चुनाव में वर्तमान कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल को बीजेपी ने चुनाव लड़वाया था, जो स्थानीय प्रत्याशी नहीं थे. 

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दमोह लोकसभा क्षेत्र की 82.01 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जबकि 17.99 प्रतिशत के आसपास की आबादी शहरी क्षेत्र में निवास करती है, दमोह क्षेत्र में पानी, रोजगार और पलायन सबसे बड़ी समस्या मानी जाती है. 

2019 के चुनाव में ऐसा रहा था रिजल्ट 

बात अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की जाए तो बीजेपी ने यहां से प्रहलाद पटेल को चुनाव लड़वाया था, जबकि कांग्रेस ने प्रताप सिंह लोधी को उतारा था, इसके अलावा बीएसपी ने भी लोकगायक जित्तू खरे को चुनाव लड़वाया था, जहां बीजेपी के प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार को 2 लाख 13 हजार 299 वोटों से हराया था. बीजेपी प्रत्याशी को 7 लाख 4 हजार 524 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 3 लाख 51 हजार 113 वोट मिले थे, इसी तरह बसपा प्रत्याशी को 45 हजार 848 वोट मिले थे. दमोह के वर्तमान सांसद प्रहलाद पटेल विधायक बनकर प्रदेश सरकार में मंत्री बन चुके हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी यहां किसी नए चेहरे को उतार सकती है, जबकि कांग्रेस भी पिछली बार से इतर कोई नया चेहरा ला सकती है.  

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