International Labour Day 2023: आज मजदूर दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने बोरे बासी खाने वाले हैं. इसके अलावा उन्होंने प्रदेश भर के मजदूरों को शुभकामनाएं दी है और बोरे बासी खाने की अपील की है.
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International Labour Day 2023: देश भर में आज मजदूर दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर कई तरह के आयोजन हो रहे हैं. मजदूरों को सम्मान दिलाने के लिए सरकारें भी कई तरह के इंतजाम कर रही है. इसी तरह छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सीएम भूपेश बघेल (bhupesh baghel) भी आज तमाम नेताओं और मंत्रियों के साथ बोरे बासी (bore basi)खाने वाले हैं. इसके अलावा उन्होंने बोरे बासी खाने के लिए लोगों से अपील भी की. बोरे बासी क्या है छत्तीसगढ़ में इसकी क्या मान्यता है जानते हैं.
बोरे बासी
छत्तीसगढ़ में बोरे बासी को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. इसे लेकर लोग कहते हैं कि ये हमें सिर्फ गर्मी और लू से ही नहीं राहत देता है, बल्कि यह खाने में जायकेदार होता है. इसे खाने से डि-हाइड्रेशन और बीपी जैसी समस्या नहीं होती है. इसके अलावा लोग कहते हैं कि इसे खाने से धन और आर्थिक स्थिति में बढ़ावा होता है.
बोरे बासी में अंतर
कुछ लोग बोरे और बासी को एक ही समझते हैं. लेकिन बोरे बासी का अर्थ एक नहीं है. छत्तीसगढ़ में रात के समय बनाए गए खाने में जो चावल बच जाता है उसे रख दिया जाता है. उसे रखते समय पानी में डुबा दिया जाता है और सुबह उठकर उसे खाया जाता है तो उसे बासी कहते हैं. जबकि रात में चावल बनाकर उसे ठंडा करने के बाद पानी में डालकर खाते हैं तो उसे बोरे कहा जाता है.
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खाने का तरीका
छत्तीसगढ़ में बोरे बासी खाने का कई तरीका है. इसे खाने के लिए लोग दही दूछ छाछ मट्ठा का इस्तेमाल करते हैं. इसमें नमक मिर्च भूना जीरा का भी प्रयोग करते हैं. इसके अलावा कुछ लोग इसे पापड़, अचार, गुड़ और नमकीन के साथ इसका इस्तेमाल करते हैं. छत्तीसगढ़ के अलावा इसका प्रचलन और भी राज्यों में है. आंध्र प्रदेश और केरल की बात करें तो लोग इमली के पानी के साथ इसे खाते हैं. बताया जाता है कि ये जमीन से जुड़ा हुआ ब्यंजन है और काफी स्वादिष्ट होता है. इसके अलावा कुछ लोग कहते हैं कि इसे खाने से लू औऱ डिहाइड्रेशन से भी लोग बचते हैं.