Hathras Stampede: 'बाबा' पर नहीं चला योगी का बुलडोजर, मायावती खफा और अखिलेश के बदले सुर, जानिए यूपी उपचुनाव का कितना असर
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Hathras Stampede: 'बाबा' पर नहीं चला योगी का बुलडोजर, मायावती खफा और अखिलेश के बदले सुर, जानिए यूपी उपचुनाव का कितना असर

UP By-elections Effect: हाथरस के सिकंदराराऊ भगदड़ में 121 लोगों की मौत के बाद 'विलेन' स्वयंभू बाबा नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव को लेकर यूपी सरकार और विपक्ष के दल संभलकर बयान दे रहे हैं. पुलिस ने किसी एफआईआर में कथित बाबा को नामजद नहीं किया है.

Hathras Stampede: 'बाबा' पर नहीं चला योगी का बुलडोजर, मायावती खफा और अखिलेश के बदले सुर, जानिए यूपी उपचुनाव का कितना असर

Hathras Case And UP Politics: उत्तर प्रदेश के हाथरस में दिल दहलाने वाली भगदड़ में 121 लोगों की मौत के बावजूद योगी सरकार का बुलडोजर अभी तक गरजा नहीं है. सीएम योगी आदित्यनाथ के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाथरस का दौरा किया. पीड़ित परिवारों से मिले, लेकिन कथित बाबा नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव के खिलाफ कुछ नहीं कहा. राहुल गांधी ने घायलों के सही इलाज और मुआवजा बढ़ाने की मांग की.

अखिलेश यादव समेत सपा नेताओं ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल

सबसे ज्यादा चौंकाने वाले वाकए के रूप में बसपा प्रमुख मायावती ने स्वयंभू बाबा को ढोंगी बताते हुए उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले तो चुप्पी साधे रखी फिर चार दिन बाद यूपी पुलिस की कार्रवाई पर ही सवाल खड़े दिए. नारायण साकार हरि के जय-जयकार वाले सोशल मीडिया पोस्ट और समारोह में शामिल होने की तस्वीरों पर कुछ नहीं कहा. सपा नेता रामगोपाल यादव ने इसे एक हादसा करार दे दिया.

हाथरस मामले में नेताओं के रवैए को देखकर देश भर में हैरानी

हाथरस मामले में सरकार और विपक्ष के नेताओं के रवैए को देखकर देश भर में हैरानी जताई गई. सीएम योगी ने न्यायिक जांच आयोग बनाया, पुलिस को सख्त कार्रवाई के लिए कहा, तीन-तीन मंत्रियों को इलाके पर नजर रखने कहा, लेकिन उनका मशहूर बुलडोजर एक्शन कहीं नहीं दिखा. सीएम योगी ने भी सोच-समझकर बयान दिए. उनका चर्चित रौद्र रूप सामने नहीं आया. भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेता भी शांत दिखे.

मायावती को छोड़कर किसी ने कथित बाबा पर बयान नहीं दिया

विपक्ष के नेताओं में मायावती को छोड़कर किसी ने कथित बाबा पर बयान नहीं दिया. अखिलेश यादव ने सवाल को ही दो-दो बाबा कहकर टाल दिया. फिर मामले में हो रही गिरफ्तारी पर सवाल खड़े कर दिए. बाकी नेताओं ने भी भगदड़ के लिए योगी सरकार और प्रशासन पर सवाल खड़े किए, लेकिन स्वयंभू बाबा पर खामोश रहे. जानकारों के मुताबिक, ऐसा पहली बार देखा गया है कि इतने बड़े मामले के बाद भी सीधे तौर पर नारायण साकार हरि पर कोई कार्रवाई की खबर सामने नहीं आई है.

देश के अन्य राज्यों में हो चुकी है पावरफुल बाबाओं पर कार्रवाई

इससे पहले, देश के अन्य राज्यों में आशाराम बापू, नारायण साईं, स्वामी, नित्यानंद, संत रामपाल, गुरमीत राम-रहीम पर पुलिस केस, जेल, सजा वगैरह सारी कार्रवाई हुई है. तमिलनाडु में जयललिता सरकार ने कांची कामकोटि पीठ के जगदगुरू शंकराचार्य को दिवाली से ऐन पहले पूजा करने के दौरान गिरफ्तार कर लिया था. मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रामजन्मभूमि आंदोलन के समय कारसेवकों पर गोली चलवा दी तो अखिलेश यादव की सरकार में काशी में अविमुक्तेश्वरानंद पर लाठियां चलीं. 

कथित बाबा पर पहले से यौन शोषण समेत कुल 6 मामले दर्ज

इन सबको देखते हुए लोगों की हैरानी जायज है कि हाथरस मामले में तमाम सवालों और पहले से ही दर्ज यौन शोषण समेत कुल 6 मामले के बावजूद कथित बाबा पर सीधे हाथ डालना तो दूर कड़े कमेंट करने तक से परहेज किया जा रहा है. आखिर क्या वजह है कि पहले कई बार जेल जा चुके सूरजपाल जाटव सत्ता और विपक्ष दोनों के सामने नहीं आ रहा. वीडियो संदेश दे रहा है, लेकिन खुद छिपकर वकील के जरिए लछ्छेदार बातें कर रहा है. जबकि क्राउंड मैनेजमेंट में वह और उसका अमला पूरी तरह फेल साबित हुआ है.

स्वयंभू बाबा को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सधे हुए बयान

उत्तर प्रदेश में इतने बड़े हादसे के बावजूद इस स्वयंभू बाबा को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष फूंक-फूंककर कदम इसलिए रख रहे हैं कि यहां जल्द ही 10 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने वाला है. दूसरी वजह यह है कि इस कथित बाबा के फॉलोवर्स बड़ी संख्या में हैं. कई लाख फॉलोवर्स और कई राज्यों में नेटवर्क के अलावा इस बाबा की 100 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी भी बताई जा रही है. 

उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का चक्कर

इस कथित बाबा के फॉलोवर्स में ज्यादातर पिछड़े और दलित वर्ग के हैं. जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं उनमें ज्यादातर सीटों पर इस समुदाय के वोट निर्णायक भूमिका में हैं. सख्त कार्रवाई होने की हालत में उनके भड़कने की आशंका है. ऐसे कई फॉलोवर्स ने सूरजपाल जाटव की गिरफ्तारी की सूरत में आत्मदाह तक की धमकी दी है. शांति भंग होने की आशंका भी पुलिस को एहतियाती तौर कदम बढ़ाने की एक वजह है. 

कोर वोटर्स के बावजूद हाथरस नहीं पहुंचे सपा-बसपा के नेता

उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल सपा और बसपा के नेता अभी तक हाथरस नहीं पहुंचे हैं. जबकि पीड़ितों में ज्यादातर इन दोनों दलों के ही कोर वोटर्स बताए जाते हैं. मायावती प्रदेश के दलित वोटों पर क्लेम करती हैं, लेकिन उन्होंने सरकार से सूरजपाल के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के साथ ही दलित लोगों से इस ढोंगी से बचने की अपील की. दूसरे दलित नेता और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर मौके को लपकने की कोशिश में हैं. हाल ही में सांसद बनने के बाद वह अपना जनाधार बढ़ाना चाह रहे हैं.

जाति का कार्ड और हिंदुत्व की विचारधारा का विरोधाभास

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हालिया लोकसभा चुनाव में पीडीए का समीकरण बनाकर पहली बार बड़ी जीत हासिल की है. इसलिए वह बच-बचाकर चल रहे हैं. यूपी में कांग्रेस और सपा का गठबंधन है. इसलिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अखिलेश यादव से अलग नहीं जा सकते. कथित बाबा सपा के गढ़ मैनपुरी स्थित अपने आलीशान आश्रम में छिपा बताया जा रहा है. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ कड़ी कार्रवाई की सूरत में फिर से विपक्ष को जाति कार्ड खेलने का मौका देना नहीं चाह रहे. यह जाति का कार्ड उनकी हिंदुत्व की विचारधारा पर चोट पहुंचाता है.

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जाति और चुनाव के कनेक्शन से कार्रवाई में देरी का अंदेशा

मूल रूप से यूपी के कासगंज जिले के रहने वाला सूरजपाल या स्वयंभू बाबा दलित वर्ग के जाटव बिरादरी का है. उत्तर प्रदेश में 11 फीसदी मतदाता इस जाति के बताए जाते हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नौ जिले के लाखों लोग इसके समर्थक हैं. इस बाबा के मंगल मिलन में जाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होती है.

सूरजपाल जाटव के मानने वालों दलित और पिछड़े लोग महज यूपी तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका फैलाव राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड तक भी है. हर जगह बड़ी तादाद में मौजूद दलित-पिछड़े वोट बैंक पर सूरजपाल जाटव की गिरफ्तारी का असर होने का अंदेशा सभी राजनीतिक दलों को है. इनमें से हरियाणा में इस साल अंत में और दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने वाला है. 

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