Hathras Stampede Chargesheet: हाथरस भगदड़ मामले में यूपी पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. लेकिन इस चार्जशीट में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ ‘भोले बाबा’ का नाम नहीं है. बाबा का नाम चार्जशीट में नहीं होने पर बहस छिड़ गई है.
Trending Photos
Hathras Stampede Chargesheet: हाथरस भगदड़ मामले में यूपी पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. लेकिन इस चार्जशीट में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ ‘भोले बाबा’ का नाम नहीं है. बाबा का नाम चार्जशीट में नहीं होने पर बहस छिड़ गई है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसवा प्रमुख मायावती ने इस मामले को लेकर योगी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि बाबा को राज्य सरकार का संरक्षण मिला हुआ है.
बता दें कि हाथरस के फुलराई गांव में दो जुलाई को सत्संग के बाद मची भगदड़ के मामले में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसमें स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ ‘भोले बाबा’ का नाम शामिल नहीं है. जिसपर बसपा प्रमुख मायावती ने सवाल उठाए और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.
पुलिस ने हाथरस की एक अदालत में 3200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें आरोपियों की सूची में सूरजपाल का नाम शामिल नहीं था. मायावती ने आरोप लगाया कि 11 आरोपियों की सूची में सूरजपाल का नाम शामिल नहीं किए जाने का मतलब है कि उसे राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है. इस भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी. बसपा प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘इस भगदड़ कांड के संबंध में दाखिल आरोप पत्र में सूरजपाल सिंह उर्फ ‘भोले बाबा’ का नाम नहीं होना जनविरोधी राजनीति है. इससे साबित होता है कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जो अनुचित है.’’
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा कि मीडिया के अनुसार सिकंदराराऊ की इस दर्दनाक घटना को लेकर आरोप पत्र में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया है, लेकिन बाबा सूरजपाल के बारे में सरकार द्वारा पहले की तरह चुप्पी क्या उचित है? उन्होंने पूछा कि ऐसे सरकारी रवैये से ऐसी घटनाओं को क्या आगे रोक पाना संभव है?
भगदड़ की घटना के सिलसिले में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कार्यक्रम के मुख्य आयोजक और प्रमुख सेवादार देवप्रकाश मधुकर को मुख्य आरोपी बनाया गया है. अन्य आयोजकों और सेवादारों का नाम और पता अज्ञात है. पुलिस ने बाद में मधुकर समेत 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के वकील ए. पी. सिंह के अनुसार अभियुक्तों में से एक मंजू यादव इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जमानत मिलने पर जेल से बाहर है, जबकि अन्य आरोपी अब भी जेल में हैं.
मायावती ने पहले भी इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि हाथरस भगदड़ पर एसआईटी की रिपोर्ट "राजनीति से प्रेरित" लगती है. मायावती के आरोपों का जवाब देते हुए, सूरजपाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील एपी सिंह ने कहा कि यह सनातन धर्म और सरकार को बदनाम करने का एक प्रयास है."
सिंह ने कहा कि कोई यह नहीं समझ पा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री को ऐसी क्या परेशानी है कि वह लोगों के दुख की परवाह किए बिना अब भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को उछाल रही हैं. उन्होंने पूछा कि वह नारायण साकार को बदनाम करने पर क्यों उतारू हैं? सिंह ने कहा कि क्या उन्हें इस बात से ईर्ष्या है कि दलित-गरीब पृष्ठभूमि का व्यक्ति धर्म का प्रचार करते हुए इतना लोकप्रिय कैसे हो गया?"
(एजेंसी इनपुट के साथ)