DNA: हलाल का सर्टिफिकेट ही 'हलाल' नहीं? जानिए, हलाल में क्यों हुई ED की एंट्री?
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DNA: हलाल का सर्टिफिकेट ही 'हलाल' नहीं? जानिए, हलाल में क्यों हुई ED की एंट्री?

Halal Certificate: हलाल सर्टिफिकेट को लेकर यूपी एसटीएफ के बाद अब ED ने भी सख्त कार्रवाई का मन बना लिया है. हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों और उससे जुड़ी मुस्लिम संस्थाओं पर शिकंजा कस सकता है.

DNA: हलाल का सर्टिफिकेट ही 'हलाल' नहीं? जानिए, हलाल में क्यों हुई ED की एंट्री?

Halal Certificate: हलाल सर्टिफिकेट को लेकर यूपी एसटीएफ के बाद अब ED ने भी सख्त कार्रवाई का मन बना लिया है. हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों और उससे जुड़ी मुस्लिम संस्थाओं पर शिकंजा कस सकता है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानि ED ने हलाल सर्टिफिकेट बांटने वाली संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करने की इजाजत मांगी है.

सवालों के घेरे में हलाल सर्टिफिकेट

सवालों के घेरे में हलाल सर्टिफिकेट की विश्वसनीयता भी है. आरोप है कि पैसे लेकर बिना कोई जांच किए अवैध रूप से सर्टिफिकेट बांटे गए थे. इस पूरे मामले में यूपी एसटीएफ जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी से भी पूछताछ कर चुकी है. पिछले वर्ष नवंबर में लखनऊ पुलिस ने एक FIR दर्ज की थी. FIR में हलाल सर्टिफिकेट को लेकर कुछ संगठनों और लोगों के नाम थे. इस मामले में योगी सरकार ने सख्ती दिखाते हुए जांच STF को सौंपी थी. जांच आगे बढ़ते ही 13 फरवरी 2024 को हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के चार पदाधिकारियों को मुंबई से गिरफ्तार किया.

महमूद असद मदनी का नाम सामने आया

गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में महमूद असद मदनी का नाम सामने आया. जिसके बाद मदनी से पूछताछ हुई थी. सूत्रों के मुताबिक मदनी हलाल सर्टिफिकेट के लिए 10 हजार की फीस और हर प्रोडक्ट के लिए एक हजार रुपये क्यों लिये जाते थे. इसका जवाब ठीक से नहीं दे पाए. प्रमाण पत्र की वैधता के सवाल पर भी मौलाना मदनी सही तर्क नहीं दे पाए. मुंबई दफ्तर के बारे में भी मौलाना महमूद मदनी के बयान सही नहीं पाए गए.

UP STF ने कई गिरफ्तारियां की

UP STF ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की है. लेकिन अब ED ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करने के लिए अनुमति मांगी है. जिससे मौलाना महमूद असद मदनी की टेंशन बढ़ सकती है. इस केस में ED की एंट्री क्यों हुई अब उसे भी आपको आसान भाषा में समझाते है. सूत्रों के मुताबिक अबतक की जांच में पता चला है कि हलाल सर्टिफिकेट बांटने से होने वाली कमाई को कई कंपनियों में डायवर्ट किया गया है. इस पूरे खेल को अंजाम देने के लिए कई शेल कंपनी होने की भी आशंका है.

हलाल सर्टिफिकेट क्या है

महमूद मदनी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख है और जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट के  अध्यक्ष भी है. अब तक UP STF मौलाना महमूद असद मदनी से दो दौर की पूछताछ कर चुकी है. आपके दिमाग में भी ये सवाल आ रहा होगा कि ये हलाल सर्टिफिकेट क्या है. इसको लेकर आपको कम शब्दों में ज्यादा जानकारी देते है. हलाल एक अरबी शब्द है इसका मतलब है 'जायज़'. हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि खाने वाला प्रोडेक्ट शुद्ध है और इस्लामी क़ानून के मुताबिक तैयार किया गया है. उस उत्पाद को हलाल सर्टिफाइड नहीं माना जा सकता है जिसमें हराम सामग्री जैसे मरे या अवैध जानवर जैसे पिग का कोई हिस्सा, अल्कोहल शामिल हो.

आमतौर पर शाकाहारी उत्पाद में मांस या मीट शामिल नहीं होता. इसके बाद भी सभी शाकाहारी प्रोडेक्ट को हलाल नहीं माना जाता है. भारत में कुछ निजी धार्मिक संस्थाएं हैं जो हलाल सर्टिफिकेट जारी करती हैं, जैसे...
-  जमीयत-उलमा-ए-महाराष्ट्र
- जमीयत-उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट
- हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड... हलाल सर्टिफिकेट जारी करती हैं.

कई संस्थाओं की टेंशन बढ़ सकती है

हलाल सर्टिफिकेट मामले में ED का मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करने की इजाजत मांगना एक बड़ा डेवलेपमेंट है. जिससे कई संस्थाओं और उनसे जुड़े लोगों की टेंशन बढ़ सकती है.

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