Haryana: कांग्रेस में जाट दलित कॉम्बिनेशन, हुड्डा-उदयभान-शैलजा; अब BJP ने चला OBC दांव, क्या जाट नहीं होंगे नाराज
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Haryana: कांग्रेस में जाट दलित कॉम्बिनेशन, हुड्डा-उदयभान-शैलजा; अब BJP ने चला OBC दांव, क्या जाट नहीं होंगे नाराज

Haryana News: कांग्रेस पार्टी में जाट और दलित कॉम्बिनेशन चल रहा है, वहीं हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का पूरा फोकस गैर जाट वोट बैंक पर है.

Haryana: कांग्रेस में जाट दलित कॉम्बिनेशन, हुड्डा-उदयभान-शैलजा; अब BJP ने चला OBC दांव, क्या जाट नहीं होंगे नाराज

Haryana Non-Jat Vote Bank: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनोहर लाल खट्टर को हटाना. जाट वोट की सियासत करने वाले दुष्यंत चौटाला से दूरी बना लेना. गैर-जाट सीएम खट्टर को हटाकर फिर से गैर जाट सीएम बनाना. ओबीसी वर्ग से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाना. हरियाणा में इस बदलाव के पीछे बीजेपी की बड़ी रणनीति है. बीजेपी ने खट्टर सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की काट निकालने के साथ ही गैर-जाट वोट के ध्रुवीकरण और जाट वोट बैंक में बंटवारे का फॉर्मूला सेट कर दिया है.

हरियाणा में गैर-जाट वोट पर बीजेपी की नजर

हरियाणा को जाटलैंड कहा जाता है और यहां जाटों की आबादी करीब 30 फीसदी है. लेकिन, इसके अलावा जट सिख, सैनी, बिश्नोई और त्यागी वोटर्स की आबादी की अच्छी खासी है. यही कारण है कि बीजेपी की नजर ओबीसी वोट बैंक पर है. बीजेपी ने हरियाणा में गैर-जाट राजनीति की शुरुआत साल 2014 में की थी, जब पार्टी ने 10 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 34.7 फीसदी वोट मिले. उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 33.2 फीसदी वोट मिले और पार्टी ने 90 में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की. इसके बाद बीजेपी ने हरियाणा को मनोहर लाल खट्टर के रूप में पहला गैर-जाट मुख्यमंत्री दिया. इसके बाद जाट समुदाय बीजेपी से नाराज हुआ, लेकिन पार्टी ने अपनी रणनीति नहीं बदली. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जाट वोटों के कारण 58.02 फीसदी मत प्राप्त हुआ और पार्टी ने सभी 10 सीटों पर कब्जा कर लिया.

कांग्रेस में जाट-दलित कॉम्बिनेशन

जहां बीजेपी ओबीसी वोट बैंक को साधने में जुटी है, वहीं कांग्रेस पार्टी में जाट और दलित कॉम्बिनेशन चल रहा है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, जो दलित जाति से आती हैं. वहीं, अब पार्टी ने इसकी जिम्मेदारी उदयभान को दी है और वो भी दलित समुदाय से आते हैं. इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाट समुदाय से हैं.

गैर-जाट वोट बैंक पर BJP की नजर क्यों?

जहां, कांग्रेस का पूरा फोकस जाट और दलित वोट पर है तो बीजेपी क्यों गैर जाट पर फोकस कर रही है? इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह जाट वोट बैंक में बंटवारा है. दरअसल, जाट वोटर परंपरागत तौर कांग्रेस और आईएनएलडी के पक्ष में मतदान करते आए हैं. इसके साथ ही अब इसमें जाट वोट की सियासत करने वाले दुष्यंत चौटाला की एंट्री भी हो गई है, क्योंकि अब बीजेपी ने उनसे किनारा कर लिया है. हरियाणा में यह बदलाव दर्शाता है कि जाट वोट अब आईएनएलडी, जेजेपी और कांग्रेस के बीच विभाजित हो जाएगा, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हो सकता है. इससे बीजेपी एक बार फिर हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है.

बीजेपी ने सीएम के लिए OBC चेहरे को क्यों दी तरजीह?

हरियाणा के नए सीएम के रूप में एक ओबीसी चेहरे का चुनाव करना बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है. हरियाणा में पिछड़े वर्ग यानी ओबीसी की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और लोकसभा चुनाव से नायब सिंह सैनी को सीएम बनाना भाजपा की रणनीतिक पहुंच में फिट बैठता है. कई लोग नायब सिंह सैनी को सीएम बनाना गैर-जाट वोटों के ध्रुवीकरण के रूप में देखते हैं. वह ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका मनोहर लाल खट्टर से काफी पुराना रिश्ता है और इससे बीजेपी खट्टर के जाने से होने वाले नुकसान से भी बच सकती है. यह पहला मौका नहीं है, जब हरियाणा में बीजेपी ने पिछड़े वर्गों को लुभाने की कोशिश की हो.

बीजेपी ने निकाल ली एंटी इनकंबेंसी की काट

बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, सोशल इंजीनियरिंग की कवायद के तहत नायब सिंह सैनी को सीएम नियुक्त करने का पार्टी नेतृत्व का फैसला मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पर एक आंतरिक सर्वेक्षण पर आधारित है. 9 साल तक सीएम रहे मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ न सिर्फ जाट समुदाय, बल्कि अन्य बिरादरी के लोगों ने कई बार नाराजगी जताई है.

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