सर्दी का मौसम गठिया पीड़ितों के लिए एक कठिन समय हो सकता है. मौसम में बदलाव आने के साथ ही गठिया के लक्षण जैसे सूजन, दर्द और जकड़न बढ़ सकते हैं.
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सर्दी का मौसम गठिया पीड़ितों के लिए एक कठिन समय हो सकता है. मौसम में बदलाव आने के साथ ही गठिया के लक्षण जैसे सूजन, दर्द और जकड़न बढ़ सकते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ठंड का मौसम जोड़ों के टिशू पर असर डालता है. इसके अलावा, सर्दियों में शारीरिक गतिविधि कम होने से मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है, जिससे जोड़ों पर दबाव बढ़ सकता है. ठंड का सामना करने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम भी अधिक सक्रिय हो जाता है, जिसकी प्रतिक्रिया सूजन और दर्द बढ़ने के रूप में सामने आ सकती है.
गठिया हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन बड़ी उम्र में यह अधिक गंभीर हो सकता है. बड़े लोगों में जोड़ अधिक संवेदनशील होते हैं और मौसम के बदलावों के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं. इसके अलावा, खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलावों के कारण कम उम्र में भी गठिया के मामले बढ़ रहे हैं. मोटापा, मेनोपॉज और हार्मोनल उतार-चढ़ाव भी गठिया के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
इन लक्षणों पर दें ध्यान
- जोड़ों में अकड़न आना
- दर्द बढ़ जाना
- सूजन व लालिमा बढ़ना
- जोड़ों की मूवमेंट सीमित होना
इस तरह करें बचाव
गर्म रहें: सर्दी के मौसम में गठिया के लक्षण बढ़ सकते हैं. इसलिए, गर्म कपड़े पहनें और अपने शरीर को गर्म रखें. खासकर सुबह और शाम के समय बाहर निकलते समय प्रभावित जोड़ों को ढककर रखें.
नियमित व्यायाम करें: जोड़ों को सक्रिय रखने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए नियमित व्यायाम करें. शरीर की क्षमता के अनुसार तैराकी, पैदल चलना और योग करना बेहतर रहेगा. ठंड बढ़ने पर घर में ही शरीर को सक्रिय रखने वाले व्यायाम करें.
थेरेपी लें: गठिया के शुरुआती लक्षणों में हॉट और कोल्ड थेरेपी ले सकते हैं. इससे जोड़ों की जकड़न और सूजन कम करने में मदद मिलती है. फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लेकर इन थेरेपी का लाभ उठा सकते हैं.
दवाएं लें: डॉक्टर की बताई दवाएं नियमित रूप से लें. यदि दवाएं नहीं लेते हैं और सामान्य उपायों से आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर से जरूर मिलें.
सही खानपान: अपने आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फल और सब्जियां जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड शामिल करें. जोड़ों को अच्छी तरह से नम रखने के लिए दिनभर में पर्याप्त पानी पिएं. वजन को नियंत्रित रखें. इससे जोड़ों पर दबाव कम होता है और दर्द में कमी आती है.