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Nawabi Paratha: खानपान का जिक्र हो और राजा-महाराजाओं और नवाबों की रसोई में मौजूद शाही खानसामों यानी शाही बावर्चियों (Royal Sheff) का जिक्र न हो भला ये कैसे हो सकता है. ऐसे में अब बात उस नवाब की जिनका शेफ उनकी पसंद के 6 पराठे (Parathe) पकाने के लिए करीब 30 Kg घी का खर्च सरकारी खजाने से लेता था. उस जमाने में शाही रसोइयों का वही रुतबा था जो आज किसी मंत्री के पीए या किसी डीएम के स्टाफ का होता है. ऐसे में अब जो किस्सा आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते होंगे.
'अवध के नवाब के रसोइये का दावा'
कहा जाता है कि अवध के नवाब गाजीउद्दीन हैदर खाने पीने के बड़े शौकीन थे. जिनके शाही रसोइये का दावा था कि वो अपने मालिक के पसंदीदा पराठे की रेसिपी किसी के साथ भी शेयर नहीं करता था. इस तरह वो एक पराठे के लिए करीब पांच सेर या पांच किलो घी लिया करता था. उसका ये कहना था कि एक पराठे में पांच KG घी लग जाता है और जो बच जाता है, वह घी नहीं रह जाता.
अनसुनी कहानी
अवध के नवाब को अपनी डायनिंग टेबल में तरह-तरह के तोशे यानी (डिश) देखना पसंद था. एक बार जब उनके रसोइये के कामकाज पर नजर रखी गई तो पता चला कि वह नवाब साहब के नाम पर बहुत ज्यादा घी मांगता था. महीने के औसत खर्च में जब बेहिसाब घी इस्तेमाल होने का पता चली तो जमकर बवाल मचा. नवाब के खजाने का काम देखने वाले ने इसकी खबर वजीर को दी तब उसने रसोइये की बात तो मानी पर एक पराठे के लिए एक सेर यानी करीब (933 ग्राम) ग्राम घी की लिमिट तय कर दी. इस बात से नाराज बावर्ची ने जब नवाब साहब तक यह बात पहुंचाई तब उसकी शिकायत सुनकर आगबबूला हुए नवाब ने अपने वजीर ए आजम मोतमउद्दौला आगा मीर पर थप्पड़ों और घूसों की बरसात कर दी थी.
101 डिश का ‘तोरा’
नवाब के दस्तरखान में मौजूद शाही पकवानों में शीरमाल, जर्दा, खटाई वाला मीठा पुलाव, खास पुलाव, मुजाफर के रंग वाला मीठा चावल (सफेदा), दूध में पके चावलों से बनी खीर यानी शीर विरंज के ख्वांचे और बैंगन का रायता जरूर होता था. वहीं नॉन वेज में बिरयानी, कोरमा, गोश्त के साथ पकी हुईं अरबियां, शाही कबाब होना भी जरूरी था. इस लिस्ट में कई तरह की रोटियां, पराठे और सालन भी जरूर होता था.
(Disclaimer: यहां लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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