Delhi: केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ ED को मुकदमा चलाने के लिए मिली जरूरी अनुमति, इससे केस पर क्या फर्क पड़ेगा?
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Delhi: केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ ED को मुकदमा चलाने के लिए मिली जरूरी अनुमति, इससे केस पर क्या फर्क पड़ेगा?

Delhi News: आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए  ED को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जरूरी मंजूरी दे दी है.

Delhi: केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ ED को मुकदमा चलाने के लिए मिली जरूरी अनुमति, इससे केस पर क्या फर्क पड़ेगा?

Delhi News: आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए  ED को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जरूरी मंजूरी दे दी है. ये अनुमति अपने आप मे इसलिए महत्वपूर्ण  है क्योंकि इसी के न होने के आधार पर केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को चुनौती दी है. दोनों ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपनी  अलग अलग अर्जियो में निचली अदालत की ओर से  ED  चार्जशीट पर संज्ञान लेने के 9 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है.

क्या है याचिका में..

याचिकाओं में कहा गया है कि चूंकि आरोप लगने के वक़्त वो दोनों पब्लिक सर्वेंट थे, इसलिए  चार्जशीट पर संज्ञान लेने के लिए  ED की ओर से सक्षम ऑथोरिटी से अनुमति लेना जरूरी था. ट्रायल कोर्ट को बिना जरूरी अनुमति के चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लेना चाहिए था. इस आधार पर दोनों ने इस आदेश को रद्द करने की मांग के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी सारी कार्रवाई को रद्द करने की मांग भी की है.

क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश

केजरीवाल और सिसोदिया की इन अर्जियों के पीछे आधार बना सुप्रीम कोर्ट का पिछले साल 6 नवंबर का दिया आदेश.इस आदेश में  सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भी ED को मुकदमा चलाने के लिए सक्षम ऑथोरिटी से अनुमति लेना ज़रूरी है. जस्टिस अभय एस ओक और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा था कि सीआरपीसी की धारा 197(1) PMLA के मामलों में भी लागू होती है.इस धारा  के मुताबिक किसी भी पब्लिक सर्वेट के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जांच एजेंसी को सक्षम ऑथोरिटी की  ज़रूरी  अनुमति लेना जरूरी होता है.

हाई कोर्ट में केजरीवाल, सिसोदिया की अर्जी का स्टेटस क्या है

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया के अलावा एयरसेल मैक्सिस केस में मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी पी चिंदबरम ने भी अलग अलग अर्जी दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल की. इन्होंने अपनी अर्जियों में कहा है कि उनके केस में ट्रायल कोर्ट ने बिना ज़रूरी अनुमति के चार्जशीट पर संज्ञान लिया है,इसलिए यह आदेश रद्द होना चाहिए. दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम के केस में तो निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी. हालांकि केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले में कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया. इसके बावजूद चूंकि ED की ओर से जरूरी मंजूरी लिए जाने का मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है.इसलिए निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई एक तरह से रुकी हुई है. निचली अदालत ने अभी मनी लॉन्ड्रिंग के केस में आरोप तय नहीं किये है.

अब आगे क्या होगा!

अब दिल्ली हाईकोर्ट में केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की याचिकाएं 30 जनवरी को सुनवाई के लिए लगी है. उस दिन ED की ओर से कोर्ट को बता दिया जाएगा कि उन्हें मुकदमा चलाने के लिए ज़रूरी मंजूरी मिल गई है. इसके बाद हाई कोर्ट पर निर्भर करेगा. हाईकोर्ट चाहे तो ED की ओर से इस मंजूरी को पर्याप्त मानते हुए  अपने यहाँ  केजरीवाल और सिसोदिया की लंबित अर्जी का निपटारा कर सकता है .इसके अलावा हाई कोर्ट ED से यह कह सकता है कि वो मंजूरी मिलने की जानकारी निचली अदालत को दे और  निचली अदालत से  चार्जशीट पर फिर से संज्ञान लेने का आग्रह करें 

बढ़ सकती हैं मुश्किलें

दोनों स्थितियों में केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ निकली अदालत में मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जो विराम लगा हुआ है, वो हट जाएगा और कोर्ट आरोप तय करने की दिशा में आगे बढ़ेगा. निचली अदालत  की ओर से आरोप तय करने का मतलब होगा कि फिर केजरीवाल और सिसोदिया को उन धाराओं के तहत मुकदमे का सामना करना होगा.

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