What is Section 498A: बेंगलुरु में आईटी पेशेवर अतुल सुभाष आत्महत्या का मामला देशभर में सुर्खियों में बना हुआ है. अतुत सुभाष के मामले ने पूरे देश में दहेज कानून के दुरुपयोग पर एक बहस शुरु हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने भी दहेज उत्पीड़न के मामलों में कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई है. इस मौके पर जानते हैं कि आखिर क्या है आईपीसी की धारा 498ए, जिसको लेकर देश में मचा बवाल.
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Atul Subhash Sucide Case: बेंगलुरु में 34 साल के अतुल सुभाष के सुसाइड मामला सामने आने के बाद ही एक बार फिर घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना कानून के कथित दुरुपयोग पर एक बहस छेड़ दी है. सुसाइड करने वाले अतुल सुभाष के परिजनों का आरोप है कि बेटे की पत्नी और ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर उनके बेटे ने सुसाइड किया. अतुल सुभाष के सुसाइड नोट और वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इस घटना से बवाल मच गया. लोगों में अतुल सुभाष की पत्नी को लेकर आक्रोश है. लोग इस बात से अधिक नाराज है कि भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 498A का इस देश में दुरुपयोग हो रहा है. जिसके दमपर पत्नियां पति की जिंदगी, पति के परिवार वालों की जिंदगी बर्बाद कर रही हैं. सबसे दुखद बात इस कानून के डर से लोग आत्महत्या कर रहे हैं. तो आइए जानते हैं आखिर क्या है आईपीसी की धारा 498ए, जिसको लेकर देश में मचा बवाल.
आईपीसी की धारा 498A क्या है?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 498A को 1983 में विवाहित महिलाओं के खिलाफ हो रही क्रूरता और उत्पीड़न को रोकने के लिए लागू किया गया था. इस प्रावधान का उद्देश्य उन महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना था, जो अपने पति या ससुराल वालों द्वारा की गई क्रूरता का शिकार होती हैं. यानी किसी महिला को उसके पति या ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा किसी भी प्रकार का मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न सहना पड़ता है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है.
इस कानून के गलत प्रयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में अदालतों को कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए और पति के सगे-संबंधियों को फंसाने की प्रवृत्ति को देखते हुए निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाना चाहिए. जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वैवाहिक विवाद से उत्पन्न आपराधिक मामले में परिवार के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी को इंगित करने वाले विशिष्ट आरोपों के बिना उनके नाम का उल्लेख शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी ऐसे समय पर की है, जब बेंगलुरु के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सुसाइड कर लिया. उन्होंने पत्नी और ससुरालवालों पर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. मंगलवार को खुदकुशी करने से पहले अतुल ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था. उसके आधार पर पत्नी और उनके परजिनों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है. मृतक उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. पुलिस ने बताया कि बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में काम करने वाले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने शादी के बाद जारी तनाव और उसके खिलाफ दर्ज कई मामलों और उसकी पत्नी, उसके रिश्तेदार और उत्तर प्रदेश के एक न्यायाधीश द्वारा प्रताड़ित किए जाने का विस्तृत विवरण दिया है.
अब जानें आईपीसी की धारा 498A किस पर लागू होता है
दहेज के लिए महिला का उत्पीड़न किया जाए.
पति या ससुराल पक्ष के लोग किसी महिला को इस हद तक परेशान करें कि वह आत्महत्या करने की कोशिश करे.
महिला को गंभीर चोट या मानसिक तनाव पहुंचे.
आईपीसी की धारा 498A की सजा क्या?
आईपीसी की धारा 498A की कौन कर सकता है शिकायत
महिला स्वयं या उसके परिवार के सदस्य शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.
क्यों बना था धारा 498A कानून
इस कानून को बनाने के पीछे एक ही तर्क था कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले दहेज उत्पीड़न और अन्य प्रकार के घरेलू हिंसा के मामलों में न्याय सुनिश्चित किया जा सके, इसी लिए इस धारा को 1983 में इसलिए जोड़ा गया.
आईपीसी की धारा 498A का विवाद
धारा 498A के जरिए महिलाओं को असीम शक्ति प्रदान की जाती है, उसे देखते हुए, बहुत सी महिलाओं ने अपने पति और ससुराल वालों से अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए इस प्रावधान का दुरुपयोग किया है. धारा 498 ए महिलाओं के हाथों में एक हथियार बन गया है जो अपने पतियों से बदला लेने की कोशिश कर रही है और परिवार के सदस्यों को ब्लैकमेल करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
498 ए के झूठे मामलों में पुरुषों की संख्या में कमी के कारण महिलाओं की बढ़ती संख्या एक अच्छी तरह से पहचानी जाने वाली घटना और सामाजिक बुराई बन गई है, जिसे भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है. शीर्ष अदालत ने धारा 498 ए के दुरुपयोग की इस कदाचार को ' कानूनी आतंकवाद ' के रूप में संदर्भित किया है. धारा 498 ए का दुरुपयोग में सिर्फ पति को प्रभावित नहीं करता है, बल्कि अक्सर बुजुर्ग माता - पिता, दूर के रिश्तेदारों को सभी को गलत तरीके से फंसाया जाता है और आपराधिक न्याय प्रणाली के माध्यम से भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
बेंगलुरु के एक इंजीनियर की आत्महत्या के बाद आईपीसी की धारा 498A पर विवाद शुरू
उत्तर प्रदेश निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में मंगलवार को पत्नी और उसके परिजनों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया. इसके बाद ही इस कानून में बदलाव की मांग उठने लगी है. तभी तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर कई बार कहा है कि जांच और गिरफ्तारी के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए.